देश – JRD ने कैसे सौंपी रतन टाटा को कंपनी की कमान, सिमी गरेवाल के शो में सुनाया था किस्सा – #INA
देश के सबसे बड़े उद्योग घराने, टाटा ग्रुप की कमान को तीन दशक से ज्यादा समय तक संभालने वाले रतन टाटा का 9 अक्टूबर को निधन हो गया। टाटा ग्रुप की बागड़ोर उनके हाथ में कैसे आई इसको लेकर भी एक दिलचस्प कहानी है। बॉलीवुड अभिनेत्री सिम्मी गरेवाल के शो में आए रतन टाटा ने खुद ही इस पूरे वाकये को दुनिया के सामने रखा था कि आखिर कैसे जेआरडी टाटा ने उन्हें टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाने का फैसला लिया था।
रेंडेजवस विद सिमी गरेवाल शो में बतौर मेहमान आए रतन टाटा ने खुलासा करते हुए बताया था कि दिल की बीमारी के कारण जेआरडी टाटा को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था, जब मैं वहां उनसे मिलने जाता था तभी एक दिन उन्होंने मुझे कंपनी की जिम्मेदारियां सौंपने का फैसला किया। रतन टाटा ने बताया कि हम सभी लोग एक समारोह में शामिल होने के लिए जमशेदपुर में थे। वहां से मुझे कुछ काम के सिलसिले में स्टटगार्ट जाना था। जब मैं वहां से वापस आया तो मुझे पता चला कि उन्हें दिल की समस्या है और वह वहां ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती हैं। मैं एक हफ्ते तक लगातार उनको देखने के लिए जाता था। एक हफ्ते के बाद वह सोमवार को फिर से ऑफिस पहुंच गए।
ऑफिस पहुंचकर रतन टाटा को कमान संभालने के लिए कहा
रतन ने कहा कि जब भी मैं उनसे मिलता था तो वह हमेशा यह पूछकर बात शुरू करते थे कि अच्छा आज नया क्या है। मैंने उस दिन उनकी इस बात पर कहा कि कल जब मैं आपसे मिला था तब से लेकर अब तक कुछ भी नया नहीं है। इस पर उन्होंने मुझसे कहा कि अच्छा बैठो.. मैं बताता हूं कि नया क्या है। जेआरडी ने मुझसे कहा कि जमशेदपुर में मेरे साथ जो कुछ भी हुआ उसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि मुझे पद छोड़ना होगा। इसके बारे में काफी सोचने के बाद मैंने फैसला लिया कि तुम्हें मेरी जगह लेनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने अपने इस फैसले को बोर्ड मेम्बर्स के सामने रखा।
दशकों बाद हो रहा लीडरशिप में बदलाव भावुक करने वाला- रतन टाटा
बोर्ड की बैठक के बारे बात करते हुए रतन टाटा ने कहा कि उसमें यह घोषणा की गई की रतन टाटा ही नए चेयरमैन होंगे। उन्होंने कहा कि जितने वर्ष जेआरडी ने व्यापार में लगाए अगर उनको याद किया जाए तो वह एक भावुक पल था। मैंने अपने साथ में काम करने वाले कई लोगों को सुना की वह एक ऐतिहासिक दिन था, क्योंकि कई दशकों तक हमारा नेतृत्व करने के बाद वह अपना पद छोड़ रहे थे। उस बैठक में भी उनका संबोधन उनके बाकी दिनों की तरह ही चला। उन्होंने अपनी प्रशंसा नहीं बल्कि अपने अनुभवों की प्रशंसा की। वह दिन हम सभी के लिए बहुत भावुक कर देने वाला था।
रतन टाटा को कंपनी की बागडोर सौंपने के दो साल बाद जिनेवा में जेआरी टाटा का निधन हो गया। कंपनी संभालने के बाद रतन टाटा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, कंपनी संभालने के समय कंपनी की वैल्यू करीब 5 बिलियन डॉलर की थी, जब रतन ने यह कंपनी छोड़ी तो उसकी वैल्यू करीब 100 बिलियन डॉलर थी। रतन टाटा ने 2012 में 75 वर्ष की उम्र में टाटा समूह के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था।
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