देश – आखिर सलमान खान से क्यों खार खाए बैठा है बिश्नोई समाज? केवल इस नियम से बच सकती है जान! #INA
Salman khan vs Lawrence Bishnoi: एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की मौत के बाद लॉरेंस बिश्नोई गैंग फिर से चर्चा में आ गया है. 12 अक्टूबर की रात जब पूरा देश दशहरे के जश्न में डूबा हुआ था तो उस दौरान मुंबई के बांदरा इलाके में सिद्दीकी की हत्या कर दी गई थी. बाबा सिद्दीकी मर्डर के बाद अब सलमान खान काले हिरण केस में लॉरेंस बिश्नोई शूटरों के निशान पर है. हालांकि सलमान खान का मामला कोर्ट में है, लेकिन उन्हें लॉरेंस बिश्नोई गैंग से कभी जान से मारने की धमकी मिलती है तो कभी उनके अपार्टमेंट के बाहर गोलियां चलती हैं.
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चिकारा हिरण केस में सलमान खान 26 साल से आरोपी
दरअसल, चिकारा हिरण केस में सलमान खान 26 साल से आरोपी हैं. इसी के चलते वह लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर है, क्योंकि बिश्नोई समाज के लोग काले हिरण को भगवान की तरह मानते हैं. दशकों से इस मामले के चलते सलमान खान को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिश्नोई समाज के एक नियम के तहत उन्हें माफी मिल सकती है. दरअसल, राजस्थान के स्थानीय भाषा में लिखी एक कहावत है जो लोग गुरु जंभेश्वर के 29 नियमों का हृदय से पालन करते हैं, वह लोग विश्नोई कहलाते हैं. यह कहावत एक प्रण है इस प्रण में 29 नियमों का जिक्र है और इन्हें अपने भगवान से निभाने का वादा करते हैं.
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आखिर कौन थे गुरु जंभेश्वर
बिश्नोई समाज के लोग आज भी इन नियमों का बिश्नोई समाज बखूबी रूप से पालन करते आया है. इतना ही नहीं इन नियमों को बचाने के लिए बिश्नोई समाज के लोग अपनी जान तक दे देते हैं. सबसे पहले आपको बता दें कि आखिर कौन थे गुरु जंभेश्वर. 28 अगस्त 1451 यह वह तारीख है जब मध्य राजस्थान की रियासत नागौर के छोटे से गांव पीपासर में क्षत्रिय परिवार में धनराज नाम के बच्चे का जन्म हुआ. भक्तिकाल में जन्मे धनराज शुरुआती सात सालों तक कुछ बोल नहीं पाए तो उनके परिवार वाले उन्हें गूंगा गला कहने लगे. ठीक कुछ साल बाद उन्होंने बोलना शुरू किया. इसके बाद शुरू हुआ इनका आध्यात्मिक जीवन फिर, उन्हें मिला एक नाम और उपाधि वह कहलाने लगे गुरु जंभेश्वर.
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ऐसे पड़ी बिश्नोई समाज की नींव
7 साल की उम्र में उन्हें गायों को चराने का काम मिला. जब वह 16 साल के हुए तो उनकी मुलाकात गुरु गोरखनाथ से हुई, उन्होंने उनसे ज्ञान प्राप्त किया. गुरु जंभेश्वर के विचारों से लोग काफी ज्यादा प्रभावित थे. लोग उनसे जुड़ने लगे. साल 1485 में उन्होंने 34 साल की उम्र में गांव मुकाम के एक बड़े रेत के टीले पर हवन किया. स्थान को समराथल धोरा कहा जाने लगा. इसी विशाल हवन के दौरान कलश की स्थापना कर एक पंथ की शुरुआत की गई, जिसे नाम दिया गया बिश्नोई. सबसे पहले इस पंथ में शामिल होने वाले शख्स गुरु जंभेश्वर के चाचा पुल होजी थे.
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क्या हैं बिश्नोई समाज के नियम
गुरु जंभेश्वर ने विश्नोई पंथ में शामिल होने वाले लोगों के के लिए 29 नियम बनाए. इन 29 नियमों का कनेक्शन भी बिश्नोई शब्द से है. मारवाड़ की स्थानीय भाषा में विस का अर्थ 20 और नोई का नौ कहा जाता है. इन दोनों को जोड़ने पर योग 29 होता है. यहीं से विश्नोई नाम भी लिया गया है. इन 29 नियमों में 10 नियम खुद की सुरक्षा और स्वास्थ्य नौ नियम जानवरों की रक्षा सात नियम समाज की रक्षा और चार नियम आध्यात्मिक उत्थान के लिए बनाए गए. आप बता दें कि बिश्नोई समाज जीव और मानव सेवा को समर्पित है और गुरु जंभेश्वर को अपना आराध्य मानता है, जहां बिश्नोई समाज के लोग रहते हैं. वहां काले हिरण पाए जाते हैं.
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गुरु जंभेश्वर के 29 सिद्धांत
गुरु जंभेश्वर के 29 सिद्धांतों को मानते हुए यह उनको अपनी जान से ज्यादा चाहते हैं. यहां तक कि समाज की महिलाएं हिरणों के बच्चों को स्तनपान तक कराती है. बिश्नोई समाज के 29 नियमों की अगर बात करें तो इनमें शामिल है 30 दिन सूतक रखना, प्रतिदिन सवेरे स्नान करना, शील का पालन करना और संतोष रखना, बाह्य और आंतरिक पवित्रता रखना. द्विका संध्या उपासना करना संध्या समय आरती और हरि गुण गाना निष्ठा और प्रेम पूर्वक हवन करना पानी ईंधन और दूध को छानकर प्रयोग में लेना वाणी विचार कर बोलना क्षमा दया धारण करना चोरी नहीं करना निंदा नहीं करनी झूठ नहीं बोलना वाद विवाद का त्याग करना. अमावस्या का व्रत रखना विष्णु का भजन करना जीव दया पालनी हरा वृक्ष नहीं काटना काम क्रोध आदि. अचर को वश मिलाना रसोई अपने हाथ से बनानी थाट अमर रखना बैल बधिया नहीं करना अमल नहीं खाना तंबाकू का सेवन नहीं करना भांग नहीं पीना मद पान नहीं करना मांस नहीं खाना नीला वस्त्र और नील का त्याग करना.
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