देश- राजस्थान के इस शहर के लोग हो रहे सबसे ज्यादा ठगी का शिकार, टॉप 2 में यूपी का शहर- #NA

सांकेतिक तस्वीर

देश में साइबर क्राइम की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, जिसमें फंसकर लोग अपनी सालों की कमाई गवां देते हैं. कुछ लोग साइबर ठगों के कहने में आकर अपने मेहतन का लाखों रुपये ट्रांसफर कर देते हैं. इसी को लेकर IIT कानपुर से जुड़ी संस्था द फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन (FCRF) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं और ऐसे जिलों की लिस्ट तैयार की है, जहां से अलग-अलग तरह की साइबर ठगी की जा रही है. 80 फीसदी घटनाओं को महज 4 राज्यों के 10 जिलों से अंजाम दिया जा रहा है. राजस्थान का भरतपुर टॉप पर है. वहीं, उत्तर प्रदेश का मथुरा दूसरे नंबर पर है, जहां से 12 फीसदी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है.

इसी तरह, नूह (मेवात) से 11 फीसदी, देवघर से 10 फीसदी, जामताड़ा से 9.6 फीसदी, गुरुग्राम से 8.1 फीसदी, अलवर से 5.1 फीसदी, बोकारो और कर्माटंड से 2.4 फीसदी, गिरिडीह से 2.3 प्रतिशत घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. OTP से जुड़े स्कैम, KYC फ्रॉड और KBC के नाम पर फ्रॉड का मुख्य अड्डा है. इसके अलावा OLX फ्रॉड और कस्टमर केयर के नाम पर भी यहां से धड़ल्ले से ठगी हो रही है. लोन ऐप के जरिए ठगी, शादी के नाम पर फ्रॉड, बिजली बिल और जॉब के नाम पर ठगी हो रही है. इसी तरह बिहार OTP फ्रॉड, डेबिट-क्रेडिट कार्ड स्कैम और फेक लिंक्स के जरिए साइबर ठगी का गढ़ है.

2022 से अगस्त 2024 तक

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा संगठित गैर-लाभकारी संस्था फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन के डेटा के मुताबिक, जनवरी 2022 से अगस्त 2024 के बीच नेशनल साइबर क्राइम से जुड़ीं रिपोर्टिंग पोर्टल पर 38.85 लाख कॉल दर्ज की गईं, जिनमें से 6.05 लाख (15.7 प्रतिशत) उत्तर प्रदेश से थीं. खास तौर पर इनमें से 84.53 प्रतिशत कॉल वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़ी थीं, जिनकी राशि 3,153 करोड़ रुपये थी, जबकि देशभर में यह आंकड़ा 19,860 करोड़ रुपये तक पहुंचा.

देशभर में कुल शिकायतें

देशभर में 38,85,395 कुल शिकायतें की गईं, जिनमें से यूपी साइबर क्राइम में 6,09,511 (राष्ट्रीय कुल का 15.7%), देशभर में वित्तीय धोखाधड़ी के मामले 79 प्रतिशत, यूपी में वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में कुल शिकायें 84.53 प्रतिशत, देशभर में धोखाधड़ी की कुल राशि 19,860 करोड़ रुपये, जिसमें यूपी का योगदान 3,153 करोड़ रुपये, यूपी पुलिस की ओर से अवरुद्ध धोखाधड़ी वाले मोबाइल कनेक्शन 116,652 के साथ दूसरे स्थान पर और यूपी में सत्यापित म्यूल बैंक अकाउंट्स 21,445 हैं.

लोगों ने करोड़ों रुपये गवाए

लखनऊ के SGPGIMS के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने इसी तरह की धोखाधड़ी में अगस्त में 2.81 करोड़ रुपये डिजिटल अरेस्ट में गंवाए, जबकि राज्य के अन्य स्थानों जैसे नोएडा और वाराणसी से भी ऐसे अपराधों की रिपोर्टें सामने आई हैं. इसके अलावा देश में कोरोना काल के बाद साइबर अपराध, डिजिटल अरेस्ट और निवेश या रोजगार के बहाने वित्तीय धोखाधड़ी के मामले ज्यादा बढ़े. पीएम मोदी ने खुद हाल ही में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इस बात का जिक्र किया था. उन्होंने एक्स पर इससे बचने के उपाय भी बताए थे.

ऐसे करते हैं डिजिटल अरेस्ट

एक्सपर्ट्स के मुताबिक डिजिटल अरेस्ट एक धोखाधड़ी की चाल है, जिसमें साइबर अपराधी खुद को डिजिटली अरेस्ट करने वाले अधिकारी बताते हैं. धोखेबाज कानून प्रवर्तन या नियामक अधिकारियों के रूप में पेश होकर धमकी या डर दिखाकर पीड़ितों को पैसे ट्रांसफर करने या फिर पर्सनल जानकारी देने पर मजबूर करते हैं. यह दावा करते हुए कि वह लीगल एक्टिविटी में शामिल हैं. यह तरीका डर और भ्रम का फायदा उठाता है और पीड़ित की घबराहट का फायदा उठाकर फाइनेंशियल फ्रॉड करता है.

पुलिस के लिए होता है मुश्किल

ज्यादातर धोखाधड़ी वाले कॉल VOIP के जरिए व्हाट्सएप जैसे मैसेजिंग ऐप्स के माध्यम से किए जाते हैं. यह कॉल्स का पता लगाने को मुश्किल बना देता है क्योंकि इन प्लेटफार्मों से डेटा प्राप्त करना, जिनके सर्वर अक्सर भारत के बाहर होते हैं, चुनौतीपूर्ण और समय लेने वाला होता है. बढ़ते साइबर क्राइम की संख्या की वजह पुलिस के लिए तुरंत एक्शन लेना मुश्किल हो जाता है और जब तक जानकारी इकट्ठा की जाती है, तब तक पैसा कई अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिया जाता है या क्रिप्टो करेंसी में बदल दिया जाता है.

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