Delhi AQI: दिल्ली की हवा में हो रहा सुधार, लेकिन अभी भी 'बहुत खराब' श्रेणी राजधानी का एक्यूआई #INA
Delhi AQI: राजधानी दिल्ली की हवा में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, लेकिन अभी भी दिल्ली की हवा ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बनी हुई है. आज दिल्ली में धूप खिली हुई है लेकिन हल्की धुंध आज भी दिखाई दे रही है. बुधवार सुबह 9 बजे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 301 दर्ज किया गया. जो मंगलवार सुबह 9 बजे 343 दर्ज किया गया था. इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी में धुंध की मोटी परत छाई रही.
कहां कितना दर्ज किया गया वायु गुणवत्ता सूचकांक
सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, बुधवार सुबह 7 बजे दिल्ली के लोधी रोड पर एक्यूआई 254 दर्ज किया गया. जबकि आईजीआई एयरपोर्ट पर 298, ओखला फेज पर 298, डीटीयू पर 250 और पूसा रोड पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 281 दर्ज किया गया. हालांकि, इस दौरान दिल्ली में कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया. जिनमें अशोक विहार में 316, आनंद विहार में 311, आईटीओ पर 316, वज़ीरपुर में 331, विवेक विहार में 318 और शादीपुर में एक्यूआई 375 दर्ज किया गया.
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दिल्ली-NCR में लागू रहेगा GRAP-4
दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ग्रैप-4 लागू किया गया है. जिससे वायु प्रदूषण में गिरावट आई है लेकिन अभी तक वायु गुणवत्ता सूचकांक सांसों के लिए खतरनाक बना हुआ है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान ग्रैप-4 की सख्तियों में ढील देने से इनकार कर दिया.
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को निर्देश दिया कि वह यह विचार करे कि बड़ी संख्या में जो छात्र स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, मिड डे मील का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं या ऑनलाइन क्लास में भी भाग नहीं ले पा रहे हैं और जिनकी पहुंच एयर प्यूरीफायर तक नहीं है उनके लिए क्या किया जा सकता है.
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पाबंदियों पर कोर्ट ने कही ये बात
बता दें कि शीर्ष कोर्ट ने ये आदेश तब दिया जब एक मामले की सुनवाई के दौरान ये मामला सामना आया. जिसमें पता चला कि दिल्ली में कई बच्चे पाबंदियों के चलते स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, जिसकी वजह से उनका शैक्षिक और सामाजिक जीवन प्रभावित हो रहा है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए जरूरी उपायों के साथ ही, शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए दीर्घकालिक समाधान तलाशने की भी जरूरत है.
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