बेतियां में भ्रष्टाचार की गूंज: पूर्व नगर आयुक्त पर कार्रवाई की शुरुआत
लेखक: राजेन्द्र कुमार, संवाददाता, बेतियां
बेतियां / भ्रष्टाचार की काली परछाईं हमेशा से समाज के विकास में बाधा रही है। हालिया घटनाक्रम ने एक बार फिर इस समस्या की गंभीरता को उजागर किया है, जब पूर्व नगर आयुक्त शंभू कुमार के कार्यकाल के दौरान हुए कई फर्जी भुगतान और अनियमितताओं के मामले में कार्रवाई का चक्र तेज हो गया है।
नगर निगम क्षेत्र में विभिन्न नालों की उड़ाही-सफाई के नाम पर लाखों की हेराफेरी की शिकायतें सामने आई हैं। वार्ड 32 की नगर पार्षद जोहरा खातून के पुत्र, आजाद हुसैन, ने इस मामले में एक विशेष शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि चहेते वार्ड जमादारों, सिटी मैनेजर और सफाई प्रवेक्षक को नियम विरुद्ध भुगतान किया गया। यह खुलासा नगर निगम की आंतरिक निगरानी प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है, जिससे न केवल भ्रष्टाचार के स्तर का पता चलता है, बल्कि प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता भी उजागर होती है।
महापौर गरिमा देवी सिकारिया ने इस मामले की पुष्टि की है और बताया कि पूर्व नगर आयुक्त द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के मामलों में कानूनी कार्रवाई अब प्रारंभ हो चुकी है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यह प्रक्रिया केवल एक शुरुआत है। “यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि हम उन लोगों की पहचान करें जिन्होंने इस भ्रष्टाचार में मदद की है। हम साक्ष्यों के आधार पर सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे,” श्रीमती सिकारिया ने कहा।
निगरानी विभाग ने नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव को इस मामले में पत्र लिखकर वैधानिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि भविष्य में इस तरह की अनियमितताएँ न हों। यह जाहिर है कि जितना भी भ्रष्टाचार हुआ है, उसके पीछे एक विस्तृत नेटवर्क काम कर रहा था, जिसे खुलासा करने की आवश्यकता है।
महापौर ने यह भी उल्लेख किया कि यह मामला केवल नगर निगम के अंदर की ही कहानी नहीं है। यह उच्च न्यायालय और अन्य सक्षम प्राधिकारियों द्वारा भी देखी जाने वाली स्थिति है। उन्होंने कहा, “हम इस मुद्दे के सभी पहलुओं को देख रहे हैं। उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने सामूहिक रूप से इस ‘लूट उद्योग’ को चलाने में मदद की।”
भ्रष्टाचार के इस घटना क्रम ने शहर के विकास में बाधा डालने के लिए जिम्मेदार लोगों को बेनकाब करने के लिए एक स्पष्ट शुरुआत की है। गरिमा देवी सिकारिया ने भरोसा दिलाया है कि समय आने पर उन राजनीतिक संरक्षक आकाओं का भी हिसाब लिया जाएगा, जिन्होंने पूर्व नगर आयुक्त की इस अनियमितता में सहायता की।
यह कदम निश्चित रूप से नगर निगम की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करेगा और नागरिकों में विश्वास पैदा करेगा। इस तरह के भ्रष्टाचार से संबंधित मुद्दों पर कोई भी हिंसक प्रतिक्रिया या असंतोष नगर निगम की कार्यप्रणाली को दुष्प्रभावित कर सकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि प्रशासन उचित और कारगर कदम उठाए।
भविष्य में, शहर के नागरिकों को चाहिए कि वे ऐसे मामलों में सतर्क रहें और किसी भी प्रकार की अनियमितता की रिपोर्ट करें। यह न केवल प्रशासनिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह नागरिकों के लिए भी एक सशक्त कदम है।
हम देखेंगे कि कैसे यह स्थिति आगे बढ़ती है और यह उम्मीद की जाती है कि महापौर गरिमा देवी सिकारिया की नेतृत्व में नगर निगम एक पारदर्शी और उत्तरदायी व्यवस्था की तरफ बढ़ेगा। समय दर्शाएगा कि क्या हम इस भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह को तोड़ने में सफल हो पाएंगे या नहीं।