गुरु नानक जयंती: भव्य झांकियों के माध्यम से धार्मिक एकता का उत्सव
संवाददाता-राजेन्द्र कुमार
बेतियां : सिख धर्म की नींव रखने वाले पहले गुरु, गुरु नानक देव जी महाराज की जयंती के अवसर पर बेतिया शहर में एक भव्य झांकी निकाली गई। यह झांकी केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि समाज में एकता, भाईचारे और समर्पण का संदेश भी देती है। इस अवसर पर शहर के गुरुद्वारे से शुरू हुई झांकी ने शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए पुनः गुरुद्वारे में समापन किया।
झांकी में शामिल विभिन्न प्रतीकों ने धर्म की गहराइयों को दर्शाया। झांकी में शामिल घोड़े, हाथी, ऊंट, और पारंपरिक संगीत के बाजे-गाजे ने उपस्थित जन समुदाय का ध्यान आकर्षित किया। खासतौर पर, सिख युवाओं द्वारा चौक चौराहा पर पेश की गई तलवारबाजी की कला ने उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह प्रदर्शन न केवल सिख संस्कृति के समृद्ध इतिहास को दर्शाता है, बल्कि युवा पीढ़ी में अपने धर्म और संस्कृति के प्रति सम्मान और गर्व को भी बयां करता है।
इस उत्सव में भजन कीर्तन का भी आयोजन किया गया, जहां सिख महिलाएं सड़कों पर पानी का छिड़काव करते हुए झाड़ू देती नजर आईं। यह न केवल धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा था, बल्कि साफ-सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देने का एक अति महत्वपूर्ण संदेश भी। इस दौरान, भजन-कीर्तन की मधुर आवाजें वातावरण को भक्तिमय बनाने में सहायक रही।
झांकी में हजारों सिख पुरुषों, महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने हिस्सेदारी की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस प्रकार के आयोजनों में समुदाय की सहभागिता और उत्साह कैसे एकजुटता को बढ़ावा देती है। यह केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आत्मीयता, प्रेम और एकता का प्रतीक है।
सिख धर्म का मूल सिद्धांत मानवता की सेवा, एकता, और भाईचारे का प्रतिपादन करता है। गुरु नानक देव जी के संदेशों में हमेशा से ही समाज के सभी वर्गों के प्रति समान दृष्टिकोण रखने की बात कही गई है। इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से हम न केवल अपने धर्म को मनाते हैं, बल्कि मानवता की सेवा का भी संकल्प लेते हैं।
अंत में, इस भव्य झांकी के आयोजन ने बेतिया में सिख समुदाय की एकजुटता को दर्शाते हुए सभी के दिलों में गुरु नानक देव जी के प्रति श्रद्धा व सम्मान को और भी बढ़ाया। यह आयोजन आगामी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनेगा, जिससे वे अपने धर्म और संस्कृति को समझ सकें और उसका आदान-प्रदान कर सकें।
जीवन का यह अध्याय केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का एक जीवंत उदाहरण है, जिसे सभी को आत्मसात करना चाहिए। इस प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव हमें याद दिलाते हैं कि एकता में ही बल है और समाज को मिलकर ही आगे बढ़ाना है।