सीजी- Raigarh: धरमजयगढ़ वन मंडल में विचरण कर रहे 152 जंगली हाथी, फसलों को किया बर्बाद; किसानों में दहशत – INA
धरमजयगढ़ वन मंडल में इन दिनों 152 जंगली हाथी अलग-अलग दलों में विचरण कर रहे हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के किसानों में दहशत का माहौल निर्मित हो चुका है। खेतों में किसानों का धान पूरी तरह से तैयार होने के कगार पर है और ऐसे में रोजाना हाथी खेतों में पहुंचकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, धरमजयगढ़ वन मंडल के जंगलों में इन दिनों 150 हाथी अलग-अलग दल में विचरण कर रहे हैं। इसमें छाल रेंज में सर्वाधिक 61 हाथी, बाकारूमा रेंज में 53 हाथी, धरमजयगढ़ में 21 हाथी के अलावा बोरो रेंज में 17 हाथी शामिल है। हाथियों के इस दल में 39 नर हाथी, 76 मादा हाथी के अलावा 37 हाथी शावक शामिल है।
बीती रात जंगलों में विचरण करने वाले हाथियों के दल ने 38 किसानों के धान की फसलों को नुकसान पहुंचाया है। जिसमें बोरो रेंज के बोरलाझरिया पोरिया में 15, छाल रेंज के बंगुरसूता में 11, धरमजयगढ़ रेंज के बरतापाली, क्रोंधा में 06, बाकारूमा रेंज में 03, गडईबहरी में 01 किसान के अलावा रायगढ़ वन मंडल के काफरमार में जंगली हाथियों के दल ने धान की फसल को नुकसान पहुंचाया है।
किसानों में दहशत का माहौल
14 नवंबर से पूरे प्रदेश में धान खरीदी की शुरूआत होनें वाली है। रायगढ़ जिले के किसानों की धान की फसल भी पूरी तरह पककर तैयार होने की स्थिति में पहुंच चुकी है और कहीं-कहीं धान की कटाई भी शुरू हो चुकी है। इन दिनांे जिले में 152 जंगली हाथियों की मौजूदगी से यहां के किसानों में अब दहशत का माहौल भी निर्मित हो चुका है। चूंकि हाथी रोजाना जंगलों से निकलकर किसानों के खेतों में पहंुचकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
धान की खुशबू से गांव तक पहुंचते हैं हाथी
गांव के किसान तोष साहू, तेजवान पटेल, हेमराम साहू के अलावा सुभाष गुप्ता बताते हैं कि धान की कटाई हो जाने के बाद जंगलों में विचरण करने वाले हाथियों का दल धान की खुशबू से आकर्षित होकर अक्सर भोजन की तलाश में गांव तक पहुंच जाते हैं और फिर हाथियों के द्वारा लोगों को घरों को नुकसान पहुंचाया जाता है। साथ ही साथ घर में रखे धान को खाकर हाथी वापस जंगलो में चले जाते हैं। वर्तमान स्थिति में हाथियों की बढ़ी हुई संख्या उनके लिये चिंता का विषय बनी हुई है।
हाथी प्रभावित गांव में मुनादी
वन विभाग के अलावा हाथी मित्र दल के सदस्यों द्वारा हाथी प्रभावित गांवों में पहुंचकर लगातार मुनादी करके गांव के ग्रामीणों को बताया जाता है कि उनके क्षेत्र में हाथियों का दल विचरण कर रहा है। किसी भी कार्य के सिलसिले में जंगल की तरफ न जायें। रात के समय वन मार्गो का उपयोग न करें और हाथियों से दूरी बना कर रखें।