देश – पूरे सिस्टम पर सवाल, MCD को फटकार… कोचिंग हादसे पर दिल्ली हाई कोर्ट ने गिनाई क्या क्या खामियां? | Old Rajendra Nagar coaching accident Delhi High Court questions on MCD Delhi police system- #INA

दिल्ली में कोचिंग हादसे को लेकर हाई सख्त हो गया, अदालत सुनवाई में एमसीडी की फटकार भी लगाई

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग हादसे की जांच हाई कोर्ट ने CBI को सौंप दी है. शुक्रवार को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने दिल्ली में पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि हमें सब कुछ मुफ्त की मानसिकता से बाहर निकलना होगा. अदालत ने एमसीडी से लेकर दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से एक-एक कर जवाब सवाल किया. कोर्ट ने कहा कि हाल की घटनाओं से पता चलता है कि कोर्ट के आदेशों का क्रियान्वयन नहीं किया जाता है और उन्हें उपेक्षित समझा जाता है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि MCD कमिश्नर को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नालियां चालू हो और अगर उनकी क्षमता बढ़ानी है, तो इसे व्यवस्थित तरीके से किया जाना चाहिए. क्षेत्र में अतिक्रमण के साथ-साथ बरसात के पानी की निकासी नालियों पर निर्माण सहित अवैध निर्माण को तुरंत हटाया जाना चाहिए.

‘मजबूत वित्तीय और प्रशासनिक ढांचे की जरूरत’

कोर्ट ने कहा कि इस कोर्ट का मानना है कि बड़ी तस्वीर को देखने की जरूरत है. दिल्ली शहर में एक बुनियादी समस्या यह है कि भौतिक, वित्तीय और प्रशासनिक बुनियादी ढांचे सभी पुराने हो चुके हैं और वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं. 3 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाली दिल्ली को ज्यादा मजबूत वित्तीय और प्रशासनिक ढांचे की जरूरत है. सब्सिडी योजनाओं की वजह से दिल्ली में पलायन बढ़ रहा है और इसकी आबादी भी बढ़ रही है. एमसीडी की वित्तीय सेहत ठीक नहीं है. वो अपने कर्मचारियों को महीनों तक वेतन नहीं दे पाता है.

कोर्ट ने आदेश में कहा कि दिल्ली की मुख्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए नागरिक एजेंसियों के पास कोई धनराशि नहीं है. दिल्ली में भौतिक बुनियादी ढांचे का निर्माण तकरीबन 75 साल पहले हुआ था. बुनियादी ढांचा न केवल अपर्याप्त है, बल्कि इसका रखरखाव भी ठीक से नहीं किया गया है.

एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहीं एजेंसियां: HC

दिल्ली में फैली अव्यवस्था पर सवाल उठाते हुए हाई कोर्ट ने आगे कहा कि यहां कई एजेंसियां हैं और वो केवल जिम्मेदारी दूसरे पर डाल रही हैं. MCD कमिश्नर के मुताबिक उसके कारपोरेशन में 5 करोड़ रुपए से ऊपर का कोई भी ठेका नहीं दिया जा सकता, क्योंकि कोई स्थायी समिति नहीं है.

यहां तक कि दिल्ली सरकार के लिए भी एक नई परियोजना को मंजूरी दिलाना आसान नहीं है, क्योंकि महीनों से कैबिनेट की कोई बैठक नहीं हुई है. अगली कैबिनेट बैठक कब होगी, यह भी निश्चित नहीं है. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि दिल्ली एक संकट से दूसरे संकट की ओर जा रही है. एक दिन सूखा पड़ता है, तो दूसरे दिन बाढ़ आ जाती है. अब समय आ गया है कि दिल्ली के प्रशासनिक, वित्तीय और भौतिक बुनियादी ढांचे पर पुनर्विचार किया जाए.

हाई कोर्ट बोला- शासकों की मानसिकता बदलनी होगी

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली के प्रशासकों की मानसिकता बदलनी होगी. अगर मानसिकता यह है कि सब कुछ मुफ्त है तो सब कुछ मुफ्त नहीं हो सकता. यह कोर्ट दिल्ली के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का निर्देश देता है. हम राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहते हैं. कमेटी में दिल्ली के मुख्य सचिव, DDA के वाइस चेयरमैन और दिल्ली पुलिस कमिश्नर शामिल होंगे.

कोर्ट ने कमेटी को 4 से 8 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि क्या आप आज दिल्ली में एक छोटे बच्चे को बाहर जाकर खेलने की इजाजत दे सकते हैं? हो सकता है कि कोई नाला हो जहां वह गिर जाए. बच्चे बारिश में खेल भी नहीं सकते.

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