J&K – J&K Elections Result: BJP अध्यक्ष रवींद्र रैना से लेकर रमण भल्ला तक, सियासी मैदान में बड़े-बड़े न बचा पाए जमीन – #NA

जम्मू-कश्मीर में दस साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में कई बड़े नेता अपनी जमीन नहीं बचा पाए। चुनावी नतीजों में सत्तापक्ष से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रवींद्र रैना, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी, कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष रमण भल्ला और कार्यवाहक अध्यक्ष एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद को हार मिली। इसके अलावा कई पूर्व सांसद, मंत्री, विधायक और जिला अध्यक्ष भी जीत की दौड़ से बाहर हो गए।

भाजपा में लंबे समय से प्रदेशाध्यक्ष की कमान संभाले रवींद्र रैना को अपने गृह क्षेत्र नौशेरा सीट से 8751 वोटों से हार मिली। कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष, पूर्व विधायक एवं लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे रमण भल्ला को आरएस पुरा-जम्मू दक्षिण से 1966 मतों से हार का सामना करना पड़ा। छानपोरा सीट से जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अल्ताफ बुखारी 5688 वोटों से हार गए। नेकां के पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक अजय कुमार सडोत्रा को जम्मू उत्तर सीट से 27363 वोटों से हार मिली। इसी तरह कांग्रेस के पूर्व मंत्री एवं पूर्व विधायक योगेश साहनी को जम्मू पूर्व से 17017 वोटों से हार मिली। बुद्धल सीट से पूर्व मंत्री भाजपा प्रत्याशी चौधरी जुल्फकार अली को 18908 वोटों से हार देखनी पड़ी। 


कांग्रेस से दो बार सांसद रह चुके बसोहली से प्रत्याशी चौधरी लाल सिंह को 16034 मतों से हार मिली। पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद को छंब सीट से 17166 वोटों से हार देखनी पड़ी। पूर्व मंत्री मूला राम को मढ़ सीट से 19516 वोटों से हार मिली। इंद्रवल से पूर्व मंत्री जीएम सरूरी को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कांटे के मुकाबले में 643 वोटों से हार देखनी पड़ी। पहली बार अस्तित्व में आई श्री माता वैष्णो देवी सीट से पूर्व मंत्री जुगल किशोर को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 1995 वोटों से हार मिली।


पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक यशपाल कुंडल को कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर रामगढ़, बनिहाल सीट से कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व विधायक विकार रसूल वानी, डोडा सीट से डीपीएपी प्रत्याशी पूर्व मंत्री अब्दुल मजीद वानी और पीडीपी के संरक्षक दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद का गढ़ रही श्रीगुफवारा-बिजबिहाड़ा सीट से उनकी पौत्री इल्तिजा मुफ्ती को हार मिली। जम्मू पश्चिम सीट से कांग्रेस के शहरी जिला अध्यक्ष मनमोहन सिंह 22127 वोटों से हारे।      


हार के क्या कारण माने जा रहे भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रवींद्र रैना?
प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते लंबे समय तक अपने गृह क्षेत्र से दूर रहे। लोगों ने क्षेत्र में कम विकास पर नाराजगी जताई। इस सीट पर कमजोर प्रदर्शन के सर्वे पर पार्टी हाईकमान उचित निर्णय नहीं ले पाया। 


कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष रमण भल्ला
आरएस पुरा-जम्मू दक्षिण सीट के बजाय अगर रमण भल्ला को नई बाहु सीट से कांग्रेस उतारती तो समीकरण बदल सकते थे। बाहु में भल्ला की अधिक पकड़ मानी जा रही थी। परिसीमन के बाद आरएसपुरा-जम्मू दक्षिण सीट अस्तित्व में आई है। 


पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद
छंब सीट से वरिष्ठ नेता तारा चंद को अपनी ही पार्टी के बागी सतीश शर्मा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मात दे गए। उनके पिता पूर्व सांसद दिवंगत मदन लाल शर्मा का क्षेत्र में भारी जनाधार रहा है। अगर कांग्रेस यहां से सतीश शर्मा को प्रत्याशी खड़ा करती तो जीत के समीकरण बदल जाते। तारा चंद को अन्य सीट से मौका दिया जा सकता था।


पूर्व मंत्री जुगल किशोर 
जुगल को एक स्थानीय खेमे ने पहली बार अस्तित्व में आई श्री माता वैष्णो देवी सीट पर एक स्थानीय खेमे ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़ा किया था। जुगल चाह रहे थे कि उन्हें कांग्रेस की तरफ से टिकट मिल जाती और वह डीपीएपी को छोड़कर उसमें चले जाते। लेकिन राहुल गांधी के किसी बाहरी को टिकट न देने के फैसले से समीकरण बदल गए और वह निर्दलीय ही मैदान में उतरे। अगर कांग्रेस से उन्हें टिकट मिल जाता तो कांटे की टक्कर हो सकती थी। 


पूर्व सांसद चौधरी लाल सिंह 
लाल सिंह पिछले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस से सांसद प्रत्याशी के तौर पर खास प्रदर्शन नहीं कर पाए थे। बताया जाता है कि उनके द्वारा क्षेत्र में पल्लेदारों के खिलाफ एक बयान से भी वह वर्ग नाराज था। इसके साथ उनके क्षेत्र में विकास को गति न मिलने से भी नाराजगी थी, जिस कारण मतदाताओं ने उन्हें समर्थन नहीं किया।

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