यूपी – एयर कंडीशनर की ठंडी हवा दे रही 'मसल्स क्रैंप', कई के शरीर हो रहे जाम – #INA
बाहर का तापमान बढ़ता जा रहा है, एयर कंडीशनर का पारा कम हो रहा है। दिन में लोग अधिकतर 16 और 18 का तापमान सैट रखते हैं। चूंकि अब रातें भी गर्म हैं। इसलिए रात को भी एसी का तापमान कम रखा जा रहा है। कम तापमान में सोना ही मसल्स क्रैंप यानि मांसपेशियों की जकड़न, ऐंठन और जोड़ों के जाम का कारण बन रहा है।
इसे विस्तार से समझते हैं। शरीर का तापमान 31 डिग्री के आसपास रहता है। जबकि इस समय बाहर का तापमान 42.0 डिग्री सेल्सियस के करीब चल रहा है। साथ में गर्म हवाएं और उमस की मार भी है। आमतौर पर दिन में घरों या दफ्तरों में लगे एयर कंडीशनर्स का तापमान 16 से 20 के बीच रखा जा रहा है। तभी वह दोपहर में गर्म हुईं छतों और दीवारों से मुकाबला कर पाता है। बीते कई दिनों से रात का तापमान भी बढ़ गया है। यह 28 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच चल रहा है। इससे राहत पाने के लिए रात में भी एयर कंडीशनर का तापमान 20 से लेकर 22 तक रखा जा रहा है। इसी तापमान में लोग सो जाते हैं।
जबकि तापमान लगातार कम होता रहता है। ऐसे में देर रात को मांसपेशियां कठोर हो जाती हैं। सुबह उठने पर शरीर जाम सा लगता है। पैरों और कंधों में यह अधिक महसूस किया जाता है। कई बार जोड़ों में भी तेज दर्द की शिकायत आती है। यही मसल्स क्रैंप कहा जाता है। आम भाषा में इसे मांसपेशियों का दर्द कह सकते हैं। इन दिनों यह दिक्कत भी तेजी के साथ बढ़ रही है। फिजीशियन्स से होते हुए मरीज आर्थोपेडिक तक पहुंच रहे हैं।
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विटामिन ई की कमी भी कारण
आर्थोपेडिक डाक्टरों की मानें तो मसल्स क्रैंप की दिक्कतें ज्यादातर उन मरीजों को हैं जिनमें विटामिन-ई की कमी है। ऐसे लोगों की मांसपेशियों कई बार फट भी जाती हैं। शरीर में भारी दर्द (बाडीएक) भी हो जाता है। कम तापमान में सोना भी एक बड़ा कारण है। कई बार अधिक तापमान में बाहर निकलने पर भी मांसपेशियों का गणित गड़बड़ा जाता है।
24 से 28 तक रखें एसी का पारा
फिजीशियन्स के मुताबिक रात में एयर कंडीशनर का टैंपरेचर 24 से अधिक होना चाहिए। इसे अधिकतम 28 तक रखा जा सकता है। लेकिन किसी भी दशा में एसी की सीधी हवा शरीर पर नहीं आनी चाहिए। इसका फ्लो पंखे की ओर रखना चाहिए। पंखे से टकराकर हवा पूरे कमरे को ठंडा करेगी। सीधी हवा शरीर में लगने पर मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं।
फ्लक्चुएशन से भी हो रहा है दर्द
इस सीजन शरीर को कई बार बदले हुए तापमान का सामना करना पड़ रहा है। जैसे बाहर 42 डिग्री से ऊपर का तापमान, बंद स्थानों पर आने के बाद एसी का 20 डिग्री के आसपास का तापमान। रात को सोते समय यह और कम हो जाता है। इस स्थिति को टैंपरेचर फ्लक्चुएशन कहा जाता है। जब शरीर इस स्थिति से गुजरता है तो मांसपेशियां दर्द करने लगती हैं।
खतरनाक हैं एसी की फ्रीआन गैसें
एयर कंडीशनर या रेफ्रीजरेटर में कूलेंट के लिए इस्तेमाल होने वाली फ्रीआन गैसें खतरनाक हैं। सांस के साथ अंदर जाने पर श्वसन तंत्र के लिए घातक हो सकती हैं। इन दिनों आर-290 और आर-32 गैस का प्रयोग ज्यादा हो रहा है। इससे नाक और गले में दिक्कत हो सकती है। एसी की सूखी हवा गले में सूखापन, जलन दे सकती है। इसे रायनाइटिस कहा जाता है।
प्रोफेसर आफ मेडिसिन एसएनएमसी, डा. प्रभात अग्रवाल ने कहा कि ओपीडी में हर रोज ऐसे आठ से 10 मामले आ रहे हैं। अधिकतर की केस हिस्ट्री में रात को एसी का तापमान कम करके सोना है। कम तापमान में सोने से मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं। इसलिए तापमान के उतार-चढ़ाव का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
एसएनएमसी, स्पोर्ट्स इंजरी विशेषज्ञ, डा. रजत कपूर ने कहा कि इसे क्रैंप की पहली स्टेज कहा जा सकता है। हां, कम तापमान में सोने से बाडीएक जरूर हो रहा है। सुबह उठने में दिक्कत, शरीर में ऐंठन हो रही है। किसी भी पुरानी बीमारी के मरीज को ऐसी दिक्कतें ज्यादा हो सकती हैं। पुराने मरीज अधिक ठंडे में न सोएं।
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