खबर शहर , परिवार में मचा कोहराम: खेलते-खेलते बाथरूम में चला गया मासूम, पानी से भरी बाल्टी में डूबने से बच्चे की जान गई – INA
रामपुर के दढ़ियाल के मोहल्ला मिलक हसन में डेढ़ वर्षीय मासूम खेलते समय बाथरूम में चला गया और पानी से भरी बाल्टी में गिर गया। इस दौरान किसी की नजर उस पर नहीं पड़ी। काफी देर बाद उसकी मां ने उसे तलाश किया तो वह बाथरूम में पानी से भरी बाल्टी में बेसुध हालत में पड़ा था।
घबराए परिजनों ने मासूम को पहले नगर के एक निजी चिकित्सक को दिखाया। उसके बाद वे उत्तराखंड के बाजपुर ले जाने लगे, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। घटना शुक्रवार रात करीब 8 बजे की है। मिलक हसन निवासी मोहम्मद आबिद मेहनत मजदूरी करके अपना परिवार चलाते हैं।
शुक्रवार को वह किसी काम से घर से बाहर गए थे। घर में पत्नी नाजमा के साथ बेटी आयत (4) व डेढ़ वर्षीय बेटा मोहम्मद फरहान थे। उसकी पत्नी घर के काम में व्यस्त थी। इस दौरान डेढ़ वर्षीय मोहम्मद फरहान खेलते-खेलते अचानक बाथरूम में चला गया और दुर्घटनावश वहां रखी पानी से भरी बाल्टी में औंधे मुंह गिर गया।
वह काफी देर तक पानी में छटपटाता रहा, लेकिन किसी की नजर उस पर नहीं पड़ी। कुछ समय बाद जब पत्नी नाजमा को मोहम्मद फरहान दिखाई नहीं दिया तो वह उसे ढूंढने लगी। बाथरूम में जाकर देखा तो फरहान बाल्टी में बेसुध मिला। यह देखकर उसके होश उड़ गए।
आनन फानन परिजन उसे नगर के एक निजी चिकित्सक के पास ले गए। चिकित्सक ने देखते ही हाथ खड़े कर दिए, जिसके बाद परिजन मासूम को इलाज के लिए बाजपुर ले जाने लगे, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। शनिवार को नगर के टांडा-बाजपुर मार्ग स्थित कब्रिस्तान में मासूम के शव को दफन किया गया।
छोटे बच्चों को आंखों से ओझल न होने दें
जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ. दशरथ सिंह ने बताया कि बच्चों को ऐसी चीजों के आसपास नहीं जाने दिया जाना चाहिए, जिनसे उनको खतरा है। बच्चों पर ध्यान देना काफी जरूरी है। खासतौर पर पानी को ढंककर रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि बच्चों पर हर समय नजर रखें।
एक साल का बच्चे चलने लगता है, इस उम्र के बाद करीब 5 से 6 साल तक माता-पिता व परिजनों को बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। बच्चे का आंखों से एक मिनट भी दूर होने का मतलब है कि किसी हादसे को दावत देने जैसा है।
इसलिए छोटे बच्चों को सावधानी पूर्वक रखने की आवश्यकता है। कई बार ऐसे हादसे हो चुके हैं, जो सभी परिवार के लोगों के सबक भी हैं। बच्चों की जिम्मेदारी को समझने की जरूरत है, छोटी सी लापरवाही जिंदगी भर का दर्द दे सकती है। इसके लिए सावधानी बेहद जरूरी है।