यूपी- ऐसे हैं मेरे राम! कनाडा में रामलीला करा रहीं UP की सौम्या, टीम में 35 से अधिक बच्चे – INA

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है. भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक त्योहार है. यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और रावण का पुतला जलाना इस पर्व की एक पुरानी परंपरा है. इस साल दशहरा पर्व को मनाने के लिए टोरंटो में आयोजित भव्य रामलीला महोत्सव का प्रदर्शन श्रिंगेरी मंदिर और सेंटेनियल हॉल लंदन में बेहद ही भव्य रहा. रेडियो ढिशुम द्वारा कनाडा में आयोजित इस रामलीला ने न केवल भारतीय मूल के प्रवासियों बल्कि विदेशियों का भी मन मोह लिया.

छह साल पहले यूपी की राजधानी लखनऊ की रहने वाली सौम्या मिश्रा ने रामलीला महोत्सव को सात समुंदर पार कनाडा के टोरंटो शहर में कराने का निर्णय लिया. उनकी टीम ने ढिशुम ने जून महीने के अंत से अपनी रिहर्सल शुरू कर दी. इसमें भारतीय मूल के युवा कैनेडियन बच्चों को भी शामिल किया गया. उन्हें रामलीला महोत्सव में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया, युवा वर्ग प्रभु राम के चरित्र को अपने रोजमर्रा के जीवन में आत्मसार कर सके और समाज में राम राज्य की पुनः स्थापना के सके.

टीम ढिशुम में कौन-कौन शामिल?

सौम्या मिश्रा टीम ढिशुम में स्थानीय इंडो-कैनेडियन एक्टर, फोटोग्राफर और स्वयंसेवक शामिल हैं. सौम्या की टीम ने रामलीला महोत्सव को सफल बनाने के लिए काफी मेहनत की है. टीम ढिशुम में शामिल बच्चों ने भी कनाडाई कल्चर से निकलकर लगन से तैयारी की है. रामलीला महोत्सव के स्टेज शो का हिस्सा बनने वालों में 35 से अधिक बच्चे और 60 वयस्क हैं, जिसमें 74 वर्षीय यशपाल शर्मा और तीन वर्ष का वीर भी शामिल हैं.

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राम के वनवास का दृश्य देख भावुक हो गए लोग

सौम्या मिश्रा इस रामलीला महोत्सव की डायरेक्टर हैं. उन्होंने रामलीला महोत्सव का प्रजेंटेशन काफी बेहतरीन ढंग से किया है. रामलीला में आधुनिक तकनीक और विशेष प्रभावों (VFX) का उपयोग किया गया, जिसने राम-रावण युद्ध, मेघनाथ का मायाजाल और हनुमान की लंका यात्रा जैसे दृश्यों को जीवंत और भव्य बनाया. राम वनवास प्रस्थान, भरत-मिलाप, सीता हरण और लक्ष्मण मूर्छा के दृश्य ने लोगों को भावुक कर दिया और हनुमान और उनकी सेना की चपल क्रीड़ा सबके चेहरे पर एक मुस्कान ले आई.

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इस रामलीला ने 5 लाख लोगों तक बनाई पहुंच

इस रामलीला को देखने आए दर्शकों का कहना था कि इस तरह के आयोजनों से बच्चों का मनोरंजन तो होता ही है. साथ ही वे अपनी सांस्कृतिक विरासत और नैतिक मूल्यों को भी सीखते हैं. विदेशी भूमि पर व्यस्त दिनचर्या के साथ बच्चों को अपनी धरोहर और जड़ों से जोड़े रखना बेहद कठिन होता है. उनका मानना था कि टीम ढिशुम हमें अपनी विरासत के साथ जोड़ने की दिशा में अद्भुत काम कर रही है. पिछले छः वर्षों में रामलीला ने कनाडा में पांच लाख से अधिक लोगों तक अपनी पहुंच बनाई है और इसे सभी वर्गों द्वारा बेहद पसंद किया जा रहा है.


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