Crime – हत्या का सबूत मिटाने के लिए 9 लोगों को मौत की नींद सुलाने वाला हत्यारा | A crazy killer who committed 9 murders when his lust was not satisfied- #INA

21 मई 2020 तेलांगना का दूसरा सबसे बड़ा शहर वारंगल शहर के बाहरी इलाके के गौरेकुंटा गांव अचानक से पूरे प्रदेश में चर्चाओं के केंद्र में आ गया था, जिसका मुख्य कारण था एक ही परिवार के 7 लोगों की लाश का कुए से मिलना. गौरेकुंटा गांव के कुए से एक बाद एक निकल रहे शवों को देख कर आसपास सन्नाटा सा छा गया था. कुए में शवों के दिखने पर पुलिस मौके पर पहुंची और जैसे-जैसे शवों को कुए से बाहर निकले.

एक साथ 9 शवों के मिलने पर मौके पर पुलिस बल बढ़ता जा रहा था. 9 शवों को देखकर पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी पूरे मामले के खुलासे की. शुरू में पुलिस सभी लोगों की सामूहिक हत्या मानकर चल रही थी. लेकिन इतने लोगों के एक साथ आत्म हत्या करना पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल खड़ा कर रहा था कि इतने लोग एक साथ कुए में कूद कर ही आत्म हत्या क्यों करेंगे.

पुलिस को अब इंतजार था सभी मृतकों की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट का. पुलिस सिर्फ पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के आने के इंतजार में हाथ पर हाथ रखे नहीं बैठ सकती थी. मामला बहुत बड़ा और गंभीर बन चुका था. पुलिस पर मामले को जल्दी सुलझाने का दबाव बन रहा था. पुलिस ने मृतक परिवार के बारे में उनके पड़ोसियों और जानने वालों से लगातार पूछताछ करना जारी रखा.

पुलिस ने मृतक परिवार के जानने वालों पर नजर रखना शुरू किया. इस दौरान पुलिस को मृतक के परिवार के एक परिचित युवक संजय सिंह यादव का व्यवहार संदिग्ध लगा. लेकिन पुलिस पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के बिना किसी को सिर्फ शक के आधार पर पकड़ कर पूछताछ नहीं करना चाहती थी.

जल्दी ही पुलिस को सभी मृतकों की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट मिल गई. पोस्ट मार्टम रिपोर्ट देखकर तो पुलिस के होश उड़ गए थे क्योंकि सभी की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट पुलिस की सामूहिक आत्महत्या वाली थ्योरी से बिलकुल अलग थी. पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि सभी 9 लोगों की मौत कुएं में कूद कर नहीं बल्कि जहर खाने से हुई थी. इस पोस्ट मार्टम रिपोर्ट ने पुलिस को अपनी जांच कि दिशा बदलने में बहुत बड़ा योगदान दिया.

अब वारंगल पुलिस को यकीन हो गया था कि सभी 9 लोग एक साथ जहर पीकर या खाकर तो आत्म हत्या नहीं कर सकते हैं. कुए से मिले 9 शवों में 6 एक ही परिवार के थे जबकि तीन उस परिवार के जानने वाले परिचित लोगों के थे जो उस दिन मृतक परिवार के यहां उनके बच्चे की जन्मदिन की पार्टी में शामिल हुए थे.

पुलिस ने ऐसे किया हत्या का खुलासा

वारंगल में 9 लोगों की हत्या के मामले में पुलिस ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर पूरे मामला का खुलासा किया. पुलिस ने हत्या के मुख्य आरोपी संजय कुमार यादव को गिरफ्तार करने के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सभी लोगों को जहर देकर संजय कुमार ने ही मारा था और उन सभी के मरने के बाद शवों के एक बोरे में भर कर कुए में फेंक दिया था.

पुलिस ने अपराधी संजय कुमार यादव के बारे में बताया कि वो बिहार का रहने वाले 26 साल का लड़का है, जो वारंगल में मजदूरी करने के लिए आया था. उस समय के पुलिस कमिश्नर वी.रविंदर के बताया था कि अपराधी संजय कुमार यादव ने सभी हत्याएं सिर्फ एक हत्या के राज को छिपाने के लिए की थी.

संजय यादव ने ऐसे की थी पहली हत्या

तेलांगना का वारंगल का गौरेकुंटा गांव की एक मजदूर बस्ती, इसी बस्ती में एक बंगाली मजदूर मकसूद परिवार का रहता था. जो वारंगल की एक बैग बनाने वाली फैक्टरी में काम करता था. उसी फैक्टरी में बिहार का एक 26 साल का युवक संजय कुमार यादव भी मजदूर करता था. अपराधी संजय कुमार यादव वारंगल की मजदूर कालोनी में ही मकसूद के परिवार के घर के पास ही रहता था. इसी दौरान उसकी दोस्ती मकसूद के परिवार से हो गई.

संजय सिंह यादव की नजर मकसूद की पत्नी निशा की 37 साल की भतीजी रफीका के साथ मिल गई और दोनों में प्यार हो गया. दोनों मकसूद के घर के पास ही साथ रहने लगे थे. रफीका का अपने पति से तलाक हो चुका था. जिसके बाद वो अपने तीन बच्चों को साथ लेकर वारंगल में रहने वाली अपनी बुआ के पास आ गई थी. इसी दौरान उसकी नजदीकियां संजय यादव के साथ बढ़ने लगी और जल्दी ही दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए. रफीका भी बैग बनाने वाली फैक्टरी में संजय यादव के साथ काम करती थी.

दोनों के बीच बने अवैध संबंधों के चलते संजय यादव की खराब नजर रफीका की बेटी पर भी पड़ गई. जिसका विरोध रफीका ने करना शुरू कर दिया था.

संजय यादव ने ट्रेन में कर दी रफीका की हत्या

संजय यादव अपने हरकतों से बाज नहीं आ रहा था. एक दिन उसने रफीका की नाबालिग बेटी के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की जिसकी जानकारी उसकी बेटी ने अपनी मां रफीका को दी. रफीका ने संजय यादव को बहुत बुरी तरह से डांटा. रफीका की इस डांट के बाद संजय यादव ने रफीका की हत्या करने योजना बनाई. एक दिन संजय यादव ने मकसूद को बताया की वो रफीका से शादी करना चाहता है इसलिए वह रफीका के परिवार से मिलना चाहता है.

मकसूद और निशा से सहमति मिलने के बाद संजय यादव रफीका को लेकर वारंगल से पश्चिम बंगाल के लिए 6 मार्च 2020 को गरीब रथ ट्रेन से रवाना हुआ. ट्रेन में यात्रा के दौरान उसने खुद और रफीका को पिलाने के लिए रास्ते में छाछ खरीदी. छाछ में नींद की गोलियां मिलाकर रफीका को दे दी और खुद ने साफ वाली छाछ पहले पी ली. जिससे रफीका को शक न हो. छाछ पीने के बाद रफीका बेहोश हो गई. जिसके बाद संजय ने रफीका की बेहोशी की हालत में ही गला घोंट कर हत्या कर दी. उसके मरने के बाद उसके शव को संजय ने चलती हुई ट्रेन से गोदावरी इलाके में फेंक दिया.

वारंगल लौट कर आया संजय यादव

संजय सिंह यादव ने ट्रेन में रफीका की हत्या करने के बाद राजामुंदरी के रेलवे स्टेशन पर उतरा और वहां से ट्रेन पकड़ कर वापस वारंगल आ गया. संजय यादव के वापस अकेले आने पर मकसूद और उसकी पत्नी निशा ने रफीका के बारे में पूछताछ की तो संजय यादव ने उनको उसके गांव जाने की बात कह कर गुमराह करने लगा. लेकिन मकसूद को उसकी बातों पर भरोसा नहीं हो रहा था, इसलिए उसने पुलिस में उसके खिलाफ शिकायत करने की धमकी दे दी.

इस धमकी के बाद संजय यादव ने मकसूद और उसकी पत्नी निशा की हत्या करने की योजना बनाने लगा. 20 मई 2020 को मकसूद और निशा के बेटे शाबाज का बर्थडे था मकसूद और निशा अपने खास लोगों को रात के खाने पर बुलाया था. संजय यादव भी मकसूद के बेटे के बर्थडे के मौके पर मकसूद के घर पर ही मौजूद था. संजय यादव ने अपनी योजना के अनुसार मौका देखकर के घर में बने खाने में नींद की गोलियों को मिला दिया. संजय यादव को मकसूद के बेटे के बर्थडे में पड़ोस में ही रहने वाले बिहार के दो युवकों ने देख लिया था.

इसलिए उसने उन दोनों युवकों के खाने में भी नींद की गोलियां मिला दी. खाना खाने के बाद सभी लोग सो गए तो संजय यादव ने एक-एक करके सभी का गला घोंटना शुरू कर दिया. उसने मकसूद उसकी पत्नी निशा और बच्चों की सबसे पहले गला दबाकर हत्या की. फिर मकसूद के मेहमान शकील जो कि त्रिपुरा से आया था उसकी भी गला दबाकर हत्या कर दी. इसके बाद उसने बिहार के रहने वाले उन दोनों युवकों की भी हत्या गला दबाकर कर दी.

हत्या के बाद सभी शवों को लगाया ठिकाने

सभी लोगों की हत्या करने के बाद उसने 21 मई 2020 की रात में 12 बजे के बाद एक-एक करके सभी लोगों की शवों को पास में ही बने एक कुए में फेंकना शुरू कर किया. सभी लाशों को कुंए में फेंकने के बाद वह अपने घर आकर सो गया. 21 मई 2020 के दिन पूरे देश के साथ वारंगल में भी कोरोना का लॉक डॉउन चल रहा था. कुए में लाश होने की खबर पर पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची और कुए से मकसूद, उसकी पत्नी निशा, बेटी बसरा, उसके मासूम बेटे के शवों को कुए से बाहर निकाला.

पुलिस ने परिवार के अन्य के गायब की तलाश शुरू की और 22 मई 2020 को एक बार से फिर से कुए में तलाशी शुरू की गई. कुए से एक बार फिर से लाशें निकलना शुरू हो गई. इस बार मकसूद के 22 साल के बेटे शाबाज का निकला, उसके बाद मकसूद के दूसरे बेटे 20 साल के सोहेल का शव निकला, इसके बाद बिहार के दो युवकों श्याम और श्रीराम के शव निकले, और सबसे आखिर में त्रिपुरा निवासी मकसूद के रिश्तेदार शकील का शव निकला.

सभी शवों के कुए से निकलने पर स्थानीय लोग समझ रहे थे की शायद सभी ने कोरोना की वजह से कुएं में आत्म हत्या की है. लेकिन पुलिस ने जांच के दायरे में आसपास लगे सीसीटीवी के फुटेज आ गए थे. पुलिस ने फुटेज के आधार पर संजय यादव पर अपनी निगरानी करना शुरू कर दिया. पोस्ट मार्टम रिपोर्ट मिलते ही पुलिस ने संजय यादव से अपने ही स्टाइल में पूछताछ शुरू की जिसमें वो ज्यादा देर तक पुलिस को गुमराह नहीं कर सका और सभी लोगों की हत्या करने का अपना अपराध कबूल कर लिया .

वारंगल जिला अदालत ने सुनाई मौत की सजा

संजय सिंह यादव के खिलाफ कुल 10 लोगों की हत्या का मामला वारंगल की जिला अदालत में चला. अदालत ने सिर्फ 5 महीनों की सुनवाई और सबूतों के आधार पर संजय सिंह यादव को सभी की हत्या का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुना दी. फिलहाल संजय सिंह यादव वारंगल की जेल में ही अपनी सजा काट रहा है. जेल प्रशासन भी जेल में संजय यादव पर कड़ी निगरानी रख रहा हैं.

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