Crime – 50 से ज्यादा हत्याएं करने वाले सनकी हत्यारे ने ऐसे कबूला अपना जुर्म- #INA
1960 के दशक में मुंबई में हर कोई खौफ के साये में जीने को मजबूर था, सिर्फ सनकी हत्यारे रमन राघव के नाम की वजह से. रमन राघव न तो मुंबई का कोई बड़ा डॉन था, न ही कोई बड़ा तस्कर सरगना, न ही कोई गैंगस्टर. रमन राघव झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाला एक साधारण सा गरीब आदमी था. जो बचपन से छोटी-मोटी चोरियां किया करता था.
समय के साथ राघव रमन जैसे-जैसे बड़ा होता गया, उनकी आपराधिक गतिविधियां भी गंभीर किस्म की होने लगी थी. उनके जानने वालों को भी नहीं पता था कि रमन राघव एक साधारण चोर से कैसे एक क्रूर हत्यारा बन गया. जब तक खुद रमन राघव ने अपने अपराधों के बारे में नहीं बताया थी. तब तक पुलिस भी उसे सिर्फ एक मामूली सा अपराधी मानती थी.
महिलाओं को मारकर करता था रेप
1960 के दशक की शुरुआत में मुंबई के बाहरी इलाकों में एक के बाद एक महिलाओं की हत्या होने लगी थी. जिन महिलाओं की हत्या हुई, वे सभी गरीब थीं, जो रात में फुटपाथ पर या सड़क किनारे सोती थीं. पुलिस ने सभी मृत महिलाओं की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पाया था कि सभी महिलाओं की हत्या के बाद उनका बलात्कार किया गया था.
रमन राघव का महिलाओं की हत्या करने का तरीका भी अजीब था. रमन राघव रात में गहरी नींद में सो रही महिलाओं पर धारदार हथियार से हमला करता था, जिसके एक वार से ही महिला बिना कोई आवाज किए मर जाती थी. महिला की मौत के बाद रमन राघव उसके शरीर के साथ अपनी मनमर्जी करता था.
महिलाओं की हत्या का ऐसे खुला राज
कई दिनों से महिलाओं की हत्या हो रही थी और सभी मामलों में पुलिस इलाके के शातिर और नामी अपराधियों की धरपकड़ कर हत्या की वजह जानने की कोशिश कर रही थी. जबकि रमन राघव पुलिस की पकड़ से बहुत दूर था. एक तरफ पुलिस के सामने केस सुलझाने और अपराधी को पकड़ने की चुनौती थी, तो वहीं दूसरी तरफ पुलिस की पकड़ से दूर रहने की वजह से रमन राघव की अपराध करने की हिम्मत बढ़ती जा रही थी.
साल 1965 में एक रात फुटपाथ पर सो रहे 19 लोगों पर हमला हुआ, इस हमले के बाद 9 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 10 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस हमले के बाद पहली बार घायल लोगों ने पुलिस को रमन राघव के बारे में बताया था. पुलिस ने घायल लोगों से मिली जानकारी के आधार पर रमन राघव की कुंडली खंगाली तो पता चला कि रमन राघव पहले ही डकैती के एक मामले में 5 साल की सजा काट चुका है.रमन राघव का पुराना रिकॉर्ड देखकर पुलिस हैरान रह गई थी. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक रमन राघव ने अपनी बहन को भी नहीं बख्शा था, पुलिस के रिकार्ड के अनुसार उसने अपनी बहन को गंभीर रूप से घायल करने के बाद उसके साथ भी दुष्कर्म किया था.
रमन राघव ने 50 से ज्यादा महिलाओं को मार डाला
पुलिस ने रमन राघव को कई महिलाओं की हत्या के आरोप में गिरफ्तार तो किया, लेकिन उसे सजा नहीं दिला पाई, जिसकी मुख्य वजह यह थी कि घटना का कोई चश्मदीद गवाह का न होना. उन दिनों पुलिस के पास फोरेंसिक जांच जैसी सुविधाएं नहीं थीं, पुलिस पूरी तरह से सबूतों और चश्मदीद गवाहों पर निर्भर हुआ करती थी. महिलाओं की हत्या के जिस आरोप में रमन राघव को गिरफ्तार किया गया.
लेकिन पुलिस कोर्ट में उसके खिलाफ आरोपों को साबित नहीं कर सकी थी. जहां तक चश्मदीद की बात है, जिन महिलाओं की हत्या और उनके साथ बलात्कार किया गया, वे सभी कोर्ट में गवाही देने के लिए जीवित नहीं बची थीं. नतीजा यह हुआ कि रमन राघव को कोर्ट ने बरी कर दिया.
हत्यारे रमन राघव का छाता प्रेम
साल 1968 में 5 जुलाई को छोटी-मोटी चोरियां करने वाला रमन राघव चोरी करने के इरादे से सड़क किनारे घूम रहा था, लेकिन इस बार उसके इरादे कुछ ज्यादा ही खतरनाक हो चुके थे. रमन राघव का मन अचानक हार्डवेयर की दुकान में रखी लोहे की रॉड पर गया, और उसने मौका मिलते ही लोहे की रॉड को चुरा लिया. रॉड को वह सीधे लोहार के पास ले गया, जहां उसने लोहार से रॉड को हुकनुमा आकार देने को कहा. इसके बाद वह रात के करीब 3 बजे उस रॉड को लेकर मलाड के इलाके में घूम रहा था.
इसी दौरान उसे कच्चे मकान में उर्दू शिक्षक अब्दुल करीम सोया हुआ मिला. रमन राघव ने सोते हुए अब्दुल करीम पर हमला कर दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई. फिर रमन राघव ने अब्दुल करीम के पास रखे 262 रुपए नगद, कलाई घड़ी, टॉर्च, छाता लेकर फरार हो गया. इसके बाद 19 जुलाई 1968 की रात को रमन ने गोरेगांव इलाके में 54 वर्षीय एक व्यक्ति की हत्या कर दी. और उसका छाता और चूल्हा लेकर फरार हो गया.
इस घटना के बाद 11 अगस्त 1968 को मलाड के ही इलाके में वेस्टर्न हाईवे के फुटपाथ के पास सो रहे एक दंपति और उनकी तीन महीने की बेटी की लोहे की रॉड से वार कर हत्या कर दी थी. तीनों की हत्या करने के बाद रमन राघव मृत महिला के साथ दुष्कर्म कर रहा था, इसी दौरान उसे पास में ही रहने वाली एक वृद्ध महिला ने उसे देख लिया था जिससे वह डर गया और मौके से भाग निकला. इलाके में लगातार हो रही हत्या की घटनाओं से पुलिस असमंजस में थी.
आरोपियों का पता लगाने और उन्हें पकड़ने के लिए तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिश्नर ई.एस. मोदक ने मुंबई शहर के सभी आला पुलिस अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई. इस मीटिंग में पुलिस ने एक बार फिर रमन राघव की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी. पुलिस को मुंबई के पश्चिमी इलाकों में हुई हत्याओं और पूर्वी मुंबई में हुई हत्याओं में काफी समानता नजर आई. रमन राघव पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस ने एक बार फिर उसके फिंगरप्रिंट, फोटो और दूसरे रिकॉर्ड निकाले और मुंबई के सभी पुलिस थानों में भेज दिए.
पुलिस की मुहिम रंग लाने लगी
पुलिस थानों के बीट पुलिस कर्मियों ने आम लोगों में रमन राघव की तस्वीरें बांटी. इस दौरान मंजू देवी नाम की एक महिला ने रमन राघव को अन्ना के नाम से पहचान लिया. महिला ने पुलिस को बताया कि वह 24 अगस्त 1968 को करीब 11 बजे उससे मिली थी. महिला ने जब उससे वहां आने का कारण पूछा तो उसने बताया कि उसने शर्मा जी से अपना पुराना किराया चुकाने की बात कही. उसकी पहचान करते हुए महिला मंजू ने पुलिस को बताया कि जब उसने रमन राघव को देखा था उस समय वह खाकी हाफ पैंट, नीली शर्ट और पैरों में जूते पहने हुए थे.
पुलिस इंस्पेक्टर ने रमन राघव को पकड़ा
चिंचोली इलाके में हुई हत्या के मामले में मौके पर पहुंची पुलिस को घटनास्थल से एक स्टील का लंच बॉक्स मिला था. फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट ने उस टिफिन से फिंगरप्रिंट मिले थे वो रमन राघव के फिंगरप्रिंट से मिल गए इसी आधार पर पुलिस को यकीन हो गया था कि हाल ही में हुई हत्या और बलात्कार की सभी वारदातें रमन राघव ने ही की हैं. अब मुंबई पुलिस की सभी टीमें नई वारदात से पहले सिर्फ रमन राघव की तलाश कर रही थीं. 26 अगस्त 1968 को मलाड इलाके में दो लोगों की हत्या करने के बाद रमन राघव भिंडी बाजार की तरफ जा रहा था.
इस दौरान क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर एलेक्स फियालोह ने रमन राघव के कपड़ों को देखकर उसे पहचानने में देर नहीं की. वह रमन राघव के पास गए, उसे रोका, पूछताछ की और उसकी तलाशी ली. इस दौरान उसके पास से सिर्फ एक चश्मा, एक सिलाई की सुई और एक गीला छाता मिला मिला था. इंस्पेक्टर एलेक्स फियालोह को शक हुआ कि भिंडी बाजार इलाके में तो बारिश ही नहीं हो रही है, फिर भी रमन राघव का छाता गीला कैसे हो गया.
जब इंस्पेक्टर एलेक्स फियालोह ने रमन राघव से उसका नाम पूछा तो उसने बताया कि उसका नाम दलवई सिंधी है. तभी अचानक इंस्पेक्टर एलेक्स फियालोह को याद आया कि रमन राघव के कई नामों में से एक नाम दलवई सिंधी भी है. रमन राघव की गिरफ्तारी की खबर मिलते ही सैकड़ों लोग थाने के सामने जमा हो गए थे.
रमन राघव की मांग को पुलिस को मानना पड़ा
पुलिस ने सीरियल किलर रमन राघव को गिरफ्तार तो कर लिया था, लेकिन उससे गुनाह कबूल नहीं करवा पा रही थी. पुलिस पूछताछ में रमन राघव ने पुलिस के सभी आरोपों को खारिज कर दिया. जिसके चलते पुलिस के सामने एक बार फिर कोर्ट में उसे दोषी साबित करने की चुनौती थी. एसीपी काने ने रमन राघव से पूछताछ की जिम्मेदारी इंस्पेक्टर वक्तकर और उनकी टीम को सौंपी थी.
इंस्पेक्टर वक्तकर ने रमन राघव से मारपीट कर पूछताछ करने की बजाय प्यार और बातचीत के जरिए गुनाह कबूल करवाना शुरू कर दिया. इंस्पेक्टर वक्तकर की कोशिशें कामयाब रहीं और एक दिन रमन राघव ने अपनी टीम से कहा कि मैं अपना गुनाह कबूल कर लूंगा, लेकिन इसके लिए तुम्हें मेरी एक शर्त माननी होगी. पुलिस ने उससे उसकी मांग के बारे में पूछा तो उसने पुलिस को बताया कि उसे खाने में दूध, केले के साथ मांसाहारी खाना दिया जाए.
पुलिस ने तुरंत उसकी शर्तों को मानते हुए उसकी मांगें पूरी की. रमन राघव ने पेट भर खाना खाने के बाद अपनी डायरी,रॉड के साथ दूसरा सामान भी सौंप दिया था. अपनी डायरी में उसने हिंदी और अंग्रेजी में लिखा था- खल्लास, खतम, 6 नवंबर 1968 को रमन राघव ने जिला न्यायालय में मजिस्ट्रेट आरएम देवरे के सामने अपना अपराध स्वीकार करते हुए 24 लोगों की हत्याओं की बात स्वीकार कर ली.
कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा, हाईकोर्ट ने बदली उम्रकैद
जिला सत्र न्यायालय ने रमन राघव द्वारा अपना अपराध स्वीकार करने के बाद उसे मौत की सजा सुनाई. इसके साथ ही उसे हाईकोर्ट में अपना केस लड़ने के लिए एक वकील भी दिया. रमन के वकील ने हाईकोर्ट में दलील दी कि रमन राघव मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति है, जो क्रॉनिक पैरानोइक सिजोफ्रेनिया नामक बीमारी से ग्रसित है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस के डॉक्टर ने करीब एक महीने तक उस पर नजर रखते हुए उसकी हर गतिविधियों को बारीकी से नोट किया.
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आखिरकार रमन राघव की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार को उसे सुरक्षित जेल में रखने का आदेश दिया. इसके बाद रमन राघव को पुणे की यरवदा जेल की सबसे सुरक्षित बैरक में रखा गया. राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जहां से सरकार को कोई राहत नहीं मिली और रमन राघव की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी गई. साल 1995 में रमन राघव की दोनों किडनियां खराब होने से इलाज के दौरान पुणे के ही एक अस्पताल में मौत हो गई.
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