सरस हास्पिटल के संचालक और चिकित्सको की कब होगी गिरफ्तारी

🔵प्रसूता के डिलिवरी के दौरान जीएनएम व चिकित्सक की लापरवाही से नवजात की हुई मौत का मामला 

🔴शिकायत के पांच दिन बाद कुंभकर्णी निद्रा से जागी स्वास्थ्य विभाग, किया हास्पिटल सील

कुशीनगर । जीएनएम द्वारा खुद को डाक्टर बनकर प्रसूता की डिलिवरी कराने के दौरान की गई लापरवाही से हुई नवजात की मौत के मामले में मृतक नवजात के पिता के तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने सरस हास्पिटल के संचालक व चिकित्सक सहित चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर अपने दायित्वो का इतिश्री कर लिया है। नतीजतन अभियुक्त न सिर्फ खुलेआम घूम रहे है बल्कि पीड़ित पक्ष को धमकी देकर मामले को रफा-दफा करने के लिए भी दबाव बना रहे है। ऐसे में सवाल यह है कि कब होगी आरोपियो की गिरफ्तारी ?

बतादे कि मरीजों की जिन्दगी से खिलवाड़ करने वाला पडरौना नगर के छावनी (कसया-पडरौना मार्ग पर) स्थित सरस हास्पिटल के चिकित्सक व जीएनएम की लापरवाही व अस्पताल संचालक के मनमानेपन के कारण बीते दिनों प्रसव के दौरान एक नवजात की मौत हो गयी थी। परिजनो का आरोप है कि नवजात की मौत के बाद हास्पिटल के जिम्मेदार शिशु को एनआईसीयू में रखकर आधे घंटे तक इलाज करने का नाटक करते रहे और पोल खुलने के भय से हास्पिटल प्रबंधन ने आनन-फानन मृत्यु नवजात को रेफर कर दिया। इसके बाद पीड़ित ने सीएमओ और पडरौना कोतवाली पुलिस को तहरीर देकर हास्पिटल के जीएनएम रुबी दीक्षित, चिकित्सक खुशबू दीक्षित, अस्पताल संचालक आदर्श धर दूबे व आशीष धर दूबे के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार लगायी थी। पीडित के प्रार्थना पत्र पर पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की टीम सरस हास्पिटल पहुचकर घटना की सत्यता की जांच की। जांच मे दोषी पाये जाने के बाद कोतवाली पुलिस ने 1 सितम्बर को रात्रि नौ बजे सरस हास्पिटल के जीएनएम रुबी दीक्षित, चिकित्सक खुशबू दीक्षित, अस्पताल संचालक आदर्श धर दूबे व आशीष धर दूबे के खिलाफ धारा 105 व 351(3) भारतीय न्याय संहिता के तहत मुकदमा दर्ज किया। किन्तु अफसोस मुकदमा दर्ज करने के पांच दिन बाद भी अभियुक्तों की अभी तक गिरफ्तारी नही हुई है जबकि आरोपी खुलेआम धूम रहे है और पीड़ित को मामले मे समझौते करने के लिए धमकी दे रहे है ऐसा पीड़ित का कहना है।

🔴 धारा 105 व 351(3)बीएनएस क्या है

 जो कोई हत्या की कोटि में न आने वाला गैर इरादतन हत्या करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों  में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा, यदि वह कार्य, जिससे मृत्यु हुई है, मृत्यु कारित करने के आशय से या ऐसी शारीरिक चोट कारित करने के आशय से किया गया है, जिससे मृत्यु कारित होने की सम्भावना है, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, दण्डनीय होगा। 

इसी तरह बीएनएस सेक्शन 351 की उपधारा (3) में किसी व्यक्ति को दी जाने वाली गंभीर धमकियों  के बारे में बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति आपके किसी प्रियजन को जान से मारने या गंभीर चोट पहुँचाने की धमकी देता है या  किसी महिला के साथ गलत व्यवहार करने की धमकी देता है तो उस व्यक्ति पर बीएनएस 351(3) के तहत कार्यवाही की जाती है। इसमे 7 वर्ष तक की कैद व जुर्माने की सजा से दंडित किये जाने का प्राविधान  है।

🔴पांच दिन बाद सीएमओ की टूटी कुंभकर्णी निद्रा हास्पिटल सील 

बेशक! स्वास्थ्य विभाग के निकम्मेपन के कारण जिले मे बेखौफ चल रहे अवैध व वैध हास्पिटल के चिकित्सको की लापरवाही से मौत का सिलसिला जारी है। बीते दिनो पडरौना नगर के कसया – पडरौना मार्ग पर छावनी मुहल्ले मे संचालित सरस  हास्पिटल के चिकित्सक व जीएनएम की लापरवाही से एक नवजात की मौत हो गई थी। दिलचस्प बात यह है कि सरस हास्पिटल मे प्रसव के दौरान चिकित्सक व जीएनएम की लापरवाही और हास्पिटल प्रबंधन के मनमानी के कारण नवजात की हुई मौत के बाद प्रसूता के पति अनिल चौरसिया ने सीएमओ व कोतवाली पुलिस को प्रार्थना पत्र देकर हास्पिटल के चिकित्सक व संचालक के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की थी। बताया जाता कि शिकायती पत्र के आधार पर पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की टीम हास्पिटल पहुच कर जांच-पड़ताल की।इसके बाद कोतवाली पुलिस ने जीएनएम, चिकित्सक व हास्पिटल संचालक सहित चार लोगो के मुकदमा दर्ज किया लेकिन स्वास्थ्य विभाग कुंभकर्णी निद्रा में पडी रही। पांच दिन बाद जब स्वास्थ्य विभाग की कुंभकर्णी निद्रा टूटी तो शुक्रवार को सरस हास्पिटल पहुची और एनआईसीयू, आईसीयू को सील कर अपनी कोरमपूर्ति कार्रवाई का इतिश्री किया जबकि हास्पिटल का मेडिकल, ओपीडी और अन्य कक्ष खुला छोड दिया। जानकारों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुरा हास्पिटल को सील कर अपने स्तर से भी दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराना चाहिए।

🔵रिपोर्ट – संजय चाणक्य 

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