खबर फिली – 3 Idiots Trivia: वो किरदार जिसके लिए राजू हिरानी ने 1 साल तक रोकी फिल्म की शूटिंग, ऐसे मिला सही चेहरा – #iNA @INA
थ्री इडियट्स… एक ऐसी फिल्म है जिसे आज के दौर की कल्ट क्लासिक फिल्म माना जाता है. ये एक ऐसी फिल्म है जिसमें सबकुछ था. प्यार, दोस्ती, कॉमेडी और भर-भर के इमोशनल सीन्स. अगर आपसे पूछा जाए कि इस फिल्म का सबसे इमोशनल सीन कौन सा है तो आप कन्फ्यूज हो जाएंगे कि एक कैसे कहें, क्योंकि कई ऐसे सीन है जो दिल को छू जाते हैं. फिर चाहे वो एक दोस्त को ढूंढने के लिए दो दोस्तों का ऐसे भाग के आना या फिर मोना सिंह का बेबी डिलीवरी वाला सीन. इस फिल्म का हर सीन खास है. ऐसे ही एक और सीन है जो रोंगटे खड़े कर देता है और वो है फिल्म के किरादर जॉय लोबो के आत्महत्या का सीन.
फिल्म में जॉय लोबो का किरदार निभाया है अली फजल ने. अली कितने काबिल एक्टर हैं इस बात पर तो अलग से बात की जा सकती है, लेकिन इस एक छोटे से किरदार में भी उन्होंने जान फूंक दी. जॉय की एंट्री, उसके हाथ में गिटार और उसका डेथ सीन… जॉय का किरदार बहुत कम देर के लिए स्क्रीन पर आता है लेकिन जितनी देर के लिए भी आता है पूरी स्क्रीन पर कब्जा कर लेता है. जॉय का डेथ सीन फिल्म में ऑल इस वेल सॉन्ग की एंड में आता है जो अपने आप में ये दिखाता है कि राजकुमार हिरानी कितने कमाल के डायरेक्टर है… लेकिन फिल्म में एक और किरदार है जिसके बारे में जानकर आपको इस बात का यकीन हो जाएगा कि राजू की फिल्मोग्राफी पर्फेक्ट क्यों लगती है.
अली फजल के पिता का किरदार
फिल्म थ्री इडियट्स में जॉय लोबो यानी अली फजल के पिता का किरदार निभाया है माधव वाज़े ने. माधव का किरदार भले कुछ ही पलों के लिए स्क्रीन पर आता हो लेकिन उनके चेहरे की सोम्यता याद रह जाती है. क्या आप जानते हैं कि इस किरदार को खोजने के लिए राजू हिरानी ने फिल्म की शूट को एक साल तक टाल दिया था. फिल्म की कास्टिंग हो चुकी थी और फिल्म शूट के लिए बिल्कुल तैयार थी, लेकिन राजू को जॉय के पिता के लिए कोई एक्टर नहीं मिल रहा था. राजू चाहते थे कि इस किरदार को कोई ऐसा शख्स निभाए जिससे पब्लिक एक बार में ही जुड़ जाए और उस चेहरे की मासूमियत को कभी भूल ना पाए, लेकिन समस्या ये थी कि राजू को वो चेहरा मिल ही नहीं रहा था.
छोटे से रोल को परफेक्ट करने की कोशिश
राजू हिरानी की कास्टिंग टीम ने इस छोटे से रोल को परफेक्ट करने के लिए कई लोगों के ऑडिशंस लिए लेकिन कोई भी ऐसा नहीं मिला जैसा शख्स राजू को चाहिए था. एक इंटरव्यू में राजकुमार हिरानी ने बताया कि उन्होंने इस रोल के लिए कई चेहरों को देखा लेकिन उन्हें वो चेहरा नहीं मिल रहा था. राजू ने बताया कि वो और उनकी टीम काफी फ्रस्टेट होने लगी थी लेकिन फिर भी राजू लगभग एक साल तक फिल्म का शूट टालते रहे जबतक उन्हें वो इंसान नहीं मिल गया जिसकी उन्हें तलाश थी. राजू ने बताया कि एक दिन वो अपने ऑफिस में बैठे थे जब उनकी नजर टेबल पर पड़ी एक मैग्जीन पर पड़ी.
मैग्जीन पर छपा था एक चेहरा
राजू ने बताया कि मैग्जीन पर एक 1970s के मराठी प्ले का एक पोस्टर छपा था. उस पोस्टर में एक बच्चा था. राजू ने अपनी टीम से कहा कि आज शायद इस बच्चे की उम्र उस किरादर की उम्र के आसपास ही होगी. उस बच्चे के चेहरे पर वो ही मासूमियत थी जिसकी तलाश इतने दिनों से राजू को थी. राजू ने अपनी टीम से उस बच्चे को ढूंढने के लिए कहा और ऐसे राजू और उनकी टीम की मुलाकात हुई मराठी थिएटर के एक्टर माधव वाज़े से.
कौन हैं माधव वाज़े?
माधव के बारे में भले ही हिंदी सिनेमा में ज्यादा बात ना होती हो, लेकिन वो मराठी थिएटर का एक जाना-माना चेहरा हैं. माधव मराठी थीएटर में एक्टिंग और डायरेक्शन की फील्ड में काम करते हैं. वो कई बड़े प्ले का हिस्सा रहे हैं. इस फिल्म में आमिर को माधव का काम इतना पसंद आया था कि आमिर ने माधव के साथ थिएटर करने की बात भी कही थी. ये कितनी कमाल की बात है कि एक चेहरे की तलाश में एक निर्देशक ने फिल्म को एक साल तक रोक के रखा, और वो चेहरा भी ऐसा था जिसे वाकई स्क्रीन पर देखकर लगता है कि इसके साथ गलत नहीं होना चाहिए. माधव ने छोटे से किरदार में जान फूंक दी थी. उनका ये किरदार हमेशा याद रहने वाले किरदारों में से एक है.
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