खबर फिली – ‘सिंघम अगेन’ के वो 2 खिलाड़ी, जिनके बिना अजय देवगन की पिक्चर कुछ भी नहीं है! – #iNA @INA
‘सिंघम अगेन’ (Singham Again) में रोहित शेट्टी ने कई बड़ी-बड़ी गलतियां की हैं, जिसका नुकसान लंबे वक्त तक होगा. पर फिल्म में कुछ ऐसे एक्टर्स भी हैं, जिन्होंने अपने परफॉर्मेंस से सबको इम्प्रेस कर दिया. वहीं कुछ ऐसे सुपरस्टार्स हैं, जो नाम बड़े पर दर्शन छोटे निकले. अजय देवगन के एक्शन में कमी दिखी, मराठा टच गायब और कोई नयापन नहीं… फिल्म में बहुत सी ऐसी चीजें हैं, जिन पर लोगों ने सवाल उठाए. इन सब कमियों के बावजूद इन दो खिलाड़ियों ने मेकर्स की लाज बचा ली.
फिल्म में जिस एक चीज ने मुझे सबसे ज्यादा इम्प्रेस किया, वो है सिनेमैटोग्राफी. यह ही पिक्चर की जान भी रही. गिरीश कांत और रजा हुसैन मेहता ने इस डिपार्टमेंट को संभाला था और सच कहूं तो यही फिल्म में सबसे ज्यादा हिट हुआ. रोहित शेट्टी की फिल्म में सिनेमैटोग्राफी को लेकर पहले खूब सवाल उठाए गए हैं, लेकिन इस बार इंडिया से लेकर श्रीलंका तक, जो ग्रैंडनेस दिखाई गई, वो काबिले-ए-तारीफ है.
ये दो खिलाड़ी नहीं होते, तो क्या होता?
सिंघम फ्रेंचाइजी किसी पहचान की मोहताज नहीं है. इसे बनाने वाले भी रोहित शेट्टी ही हैं और अब खुद बिगाड़ भी रहे हैं. पर इस फिल्म में बहुत चीजें जनता के हिसाब से नहीं हुई. न तो फिल्म में कोई कहानी थी और न ही इसका स्क्रीनप्ले लिखने में कोई मेहनत की गई. स्ट्रेट कहानी को बड़े पर्दे पर उतार दिया गया. अगर इतनी गलतियों के बाद गिरीश कांत और रजा हुसैन मेहता की सिनेमैटोग्राफी में भी दम नहीं होता, तो फिल्म को देखना ही मुश्किल था. यही इस फिल्म की खूबसूरती है.
- फिल्म में ड्रोन शॉट: फिल्म में कश्मीर वाले एंट्री सीन से लेकर भारत और श्रीलंका तक… कई ऐसे ड्रोन शॉट्स देखने को मिले, जो बेहद सुंदर थे. इन छोटे-छोटे शॉट्स ने फिल्म को नई एनर्जी दी है. जिस जगह पर डायलॉग या एक्टर्स के अभिनय में दम नहीं था, वहां ड्रोन शॉट्स एक नंबर दिखे.
- लोकेशन: यूं तो फिल्म देखने के बाद काफी लोग यह बात कह रहे हैं कि क्यों कहानी को बेमतलब भारत से श्रीलंका घुमाया गया. लेकिन जब कहानी में दम न हो, तो सुंदर-सुंदर लोकेशन दिखानी जरूरी होती है. ऐसा ही ‘सिंघम अगेन’ में देखने को मिला है. खासकर ‘सिंघम अगेन’ में कश्मीर की कई खूबसूरत लोकेशंस देखने को मिली हैं.
- कैमरा वर्क: यूं तो फिल्म में कोई नए और बड़े एक्शन सीन्स नहीं हैं, जो पहले न देखे गए हों. लेकिन इन्हें कैमरा वर्क के जरिए बहुत बड़ा बनाया गया है. नॉर्मल और छोटे-छोटे एक्शन सीन भी इतने दमदार लग रहे थे, जिसे देखकर आप भी ‘वाह’ कहने को मजबूर हो जाए. इसके साथ ही लाइटिंग भी जबरदस्त थी.
यहां भी फेल हो जाते, तो डूब जाती नैया!
पहले ही कहानी को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. रही सही कसर कुछ एक्टर्स के परफॉर्मेंस ने पूरी कर दी, जिनसे अच्छा करने की उम्मीद थी, वो भी फेल हो गए. अगर ऐसे में सिनेमैटोग्राफी भी खराब होती, तो देखने के लिए क्या बचता? शायद कुछ भी नहीं, इसलिए गिरीश कांत और रजा हुसैन मेहता ही असली खिलाड़ी हैं.
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