*छत्तीसगढिया भाजियों का राजा बोहार भाजी..*

*जानकारी डॉ.प्रदीप देवांगन से*
*छत्तीसगढ़िया भाजियों* में सबसे महंगी *बोहार भाजी* होती है। यह वर्ष भर में कुछ दिनों तक ही मिल पाती है, परंतु इसके लाजवाब स्वाद के कारण लोग इस भाजी के लिए हर कीमत देने को तैयार रहते हैं। *बोहार भाजी पनीर से भी* महंगी सब्जी है, यह बाजार में उपलब्धता के आधार पर *250 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम* में बिकती है।
*बोहार भाजी* में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह पाचन तंत्र में सुधार, कफ तथा दर्द को दूर करने वाला तथा शरीर को शीतलता प्रदान करती है। इसके छाल का उपयोग खुजली उपचार के लिए किया जाता है तथा कृमि को खत्म करने में भी यह सहायक है। यह जंगली वृक्ष है।
आमतौर पर भाजियों में अमारी, चेंच भाजी, चना भाजी, प्याज भाजी, पालक, चौलाई, मेथी, लाल भाजी खाई जाती है। साथ में कई तरह की और भी लोकल भाजी यहां लोकप्रिय है
। इन्हीं में से एक है बोहार भाजी. बोहार भाजी छत्तीसगढ़ की सबसे महंगी और लोकप्रिय भाजी है।

*बोहार भाजी में छुपा है सेहत का खजाना*
दरअसल बोहार भाजी की कलियां और कोमल पत्ते होते हैं, जो कुछ दिनों में फूल बन जाते हैं। इन्हें फूल बनने से पहले ही तोड़ना होता है। तभी ये खाने के काम आ पाती है। उंचे पेड़ की पतली डालियों तक पहुंच कर सिर्फ कलियों को अलग से तोड़ना भी आसान नहीं है। इसमें खतरा तो रहता है। इसलिये बोहार की भाजी तोड़ना हर किसी के बस की बात भी नहीं होती।
‘ *बोहार भाजी’ की खासियत* : इस भाजी का स्वाद लाजवाब होता है। इस भाजी के खाने के कई लाभ हैं। माना तो यह भी जाता है कि साल में एक बार इस ‘बोहार भाजी’ को जरूर खाना चाहिए। छत्तीसगढ़ में तो यह भी कहा जाता है कि ‘ *बोहार भाजी’ नहीं खाया, तो क्या खाया ?* ग्राहक यह भी कहते नजर आए कि छत्तीसगढ़ में बिकने वाली यह *भाजी विदेशों में 1200 रुपए किलो* बिकती है।

*बोहार भाजी बनाने की विधि :* बोहार भाजी अलग-अलग तरीके से बनाया जाता है। इसकी पहले छंटनी की जाती है। फिर उसे पानी में धोकर अलग से निकाल लिया जाता है। इसे तुअर/चने की दाल के साथ भी बनाया जाता है। पहले दाल को उबाल लिया जाता है। इसके बाद हरी मिर्च, प्याज, लहसुन का तड़का लगाकर उसमें बोहार भाजी और फिर उसमें दाल को डालकर सुनहरा होने तक पकने दिया जाता है। इसमें इमली या दही भी मिलाकर बनाया जाता है।
इस भाजी की कली का हम उपयोग में लाते हैं।
*इसमें बहुत ज्यादा न्यूट्रीन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं.*

*इसमें आयरन सहित तमाम ऐसे तत्व हैं जो हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायक होते हैं* .
*इस भाजी के खाने से इम्यूनिटी पावर को भी बढ़ाया जा सकता है.*
यह भाजी हमें एनीमिया से बचाने का काम भी करती है। इसकी तासीर ठंडी होती है। यह गर्मियों में ज्यादा मिलती है और ठंडी तासीर की वजह से यह हमारी पाचन क्रिया में काफी लाभदायक होती है।
सभी प्रांतों में अलग-अलग नाम से जानी जाती है यह भाजी। वैसे बोहार कोई ऐसा पेड़ भी नहीं है कि सिर्फ छत्तीसगढ़ में मिलता हो। ये कई प्रदेशों में मिलता है और अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इसके फलों का अचार भी बनाया जाता है। बोहार का बॉटिनिकल नाम कोर्डिया डिकोटोमा है. अंग्रेजी में इसे *बर्ड लाईम ट्री, इंडियन बेरी, ग्लू बेरी* भी कहा जाता है. भारत के अन्य राज्यो में इसे *लसोड़ा, गुंदा, भोकर* जैसे नामों से जाना जाता है. लेकिन इसकी भाजी खाने का चलन सिर्फ छत्तीगढ़ में ही है।
इसके बड़े पके फलों को *लसोड़ा* के नाम से जाना जाता है। जिसका स्वादिष्ट अचार बनता है।

डॉ प्रदीप देवांगन 9039784252

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