दुनियां – एक कॉरिडोर को लेकर रूस और ईरान की दोस्ती में आई दरार! जानिए क्या है पूरा मामला – #INA
रूस और ईरान पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद करीब आ रहे थे, एक और ईरान की ओर से रूस को बैलिस्टिक मिसाइल मुहैया कराने की खबरें आईं तो दूसरी ओर रूस की ओर से ईरान को एयर डिफेंस डिफेंस सिस्टम. यानी रक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों की दोस्ती बढ़ती जा रही थी. लेकिन अब एक कॉरिडोर ने रूस और ईरान की दोस्ती में दरार पैदा कर दी है.
दरअसल रूस और ईरान के बीच ताजा तनाव की वजह है जंगेजुर कॉरिडोर, जिसे ईरान की सीमा पर स्थित क्षेत्र में अजरबैजान विकसित करना चाहता है. कुछ दिनों पहले रूस ने इस कॉरिडोर को लेकर अजरबैजान का समर्थन किया था जिसके बाद से ईरान भड़का हुआ है. जंगेजुर कॉरिडोर बनने से ईरान की आर्मेनिया और फिर यूरोप तक पहुंच को बाधित हो सकती है, यही वजह है कि ईरान इसका विरोध कर रहा है.
पहले ईरान की परेशानी को समझिए
ईरान का जंगेजुर कॉरिडोर का विरोध भू-राजनीतिक और आर्थिक दोनों ही वजहों से कर रहा है. आर्मेनिया के साथ करीब 50 किलोमीटर की सीमा साझा करने वाले ईरान को चिंता है कि यह कॉरिडोर आर्मेनिया और जॉर्जिया के ज़रिए यूरोप तक उसकी पहुंच को काट देगा. इससे न केवल ईरान के पड़ोसियों की संख्या 15 से घटकर 14 रह जाएगी, बल्कि व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण रास्ता भी बंद हो जाएगा.
विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान इस कॉरिडोर को भू-राजनीतिक, आर्थिक और यहां तक कि पहचान के लिए खतरा मानता है, वह अपनी उत्तर-पश्चिमी सीमा में किसी भी तरह के बदलाव को स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि ईरान आर्मेनिया के साथ अपनी ऐतिहासिक 2,000 साल पुरानी सीमा को बहुत महत्व देता है.
रूस के लिए क्यों अहम है कॉरिडोर?
जंगेजुर क्षेत्र वर्तमान में दक्षिणी आर्मेनिया का हिस्सा है, यह पहले विश्व युद्ध के बाद से ही एक विवादित क्षेत्र रहा है. अजरबैजान और आर्मेनिया दोनों ही इस पर अपना दावा करते रहे हैं. लेकिन नवंबर 2020 में अजरबैजान, आर्मेनिया और रूस के नेताओं के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते में कहा गया है कि आर्मेनिया, अजरबैजान की मुख्य भूमि और उसके बाहरी इलाके नखचिवन के बीच एक कॉरिडोर के लिए जमीन का हिस्सा देगा. इस समझौते ने आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच 3 महीने तक चले युद्ध को खत्म कर दिया था. खास बात ये है कि यह कॉरिडोर रूस को अजरबैजान और उसके दूसरे प्रांत नखचिवन से होते हुए तुर्किए से जोड़ेगा.
सीधे शब्दों में समझा जाए तो जंगेजुर कॉरिडोर का उद्देश्य अजरबैजान को बिना किसी अर्मेनियाई चेकपॉइंट के अपने नखचिवन एन्क्लेव तक पहुंच बनाना है, जबकि यह कॉरिडोर ईरान-आर्मेनिया के बॉर्डर से होकर गुजरता है. दरअसल यह कॉरिडोर एक भू-राजनीतिक परियोजना है जो अज़रबैजान-तुर्किये के रास्ते से यूरोप को मध्य एशिया और चीन से जोड़ती है.
अगर यह कॉरिडोर बनता है तो कई देशों के बीच व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने में भी मदद करेगी. जबकि यूक्रेन संघर्ष से लेकर मध्य पूर्व तक कई मुद्दों पर NATO और रूस के विचार अलग-अलग रहे हैं, लेकिन दोनों इस कॉरिडोर को खोलने पर सकारात्मक विचार रखते हैं.
ईरान ने रूस के रुख का जताया विरोध
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कुछ दिनों पहले पुतिन की बाकू यात्रा के दौरान कहा था रूस जंगेजुर कॉरिडोर का समर्थन करता है. लावरोव के इस बयान पर ईरान ने काफी नाराजगी जताई थी. इसके बाद ईरान ने रूसी राजदूत को तलब कर मॉस्को के रूख पर आपत्ति जताई थी. ईरान ने कहा वह रूस के उकसावे से अपनी सीमाओं पर संघर्ष नहीं चाहता है. ईरान ने इसे रेड लाइन भी बताया था.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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