दुनियां – हमारा पड़ोसी आतंकवाद का केंद्र… विदेश मंत्री जयशंकर ने UNGA में पाकिस्तान को घेरा – #INA
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र को संबोधित किया. विदेश मंत्री ने कहा कि हमने कल इसी मंच से कुछ विचित्र बातें सुनीं. मैं भारत की स्थिति को बहुत स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि पाकिस्तान की सीमा पर आतंकवाद की नीति कभी सफल नहीं होगी और उसे दंड से बचने की कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए.
पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि कई देश अपने नियंत्रण से बाहर की परिस्थितियों को कारण पीछे रह जाते हैं, लेकिन कुछ लोग जानबूझकर चुनाव करते हैं जिसके विनाशकारी परिणाम होते हैं. इसका प्रमुख उदाहरण हमारा पड़ोसी पाकिस्तान है. दुर्भाग्य से, उनके कुकर्मों का प्रभाव दूसरों पर भी पड़ता है. इसकी जीडीपी को केवल कट्टरपंथ और आतंकवाद के रूप में इसके निर्यात के संदर्भ में मापा जा सकता है. आज ऐसा दिख रहा है कि वो जो बुराइयां दूसरों पर थोपना चाहता है, वे उसके ही समाज को निगल रही हैं.
‘आतंकवाद के विनाशकारी परिणाम होंगे’
एस जयशंकर ने पाकिस्तान को नसीहत देते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के निश्चित रूप से विनाशकारी परिणाम होंगे. हमारे बीच हल किया जाने वाला मुद्दा केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना है और निश्चित रूप से पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के साथ लंबे समय से चले आ रहे लगाव को त्यागना है.
उन्होंने आगे कहा कि सच तो यह है कि दुनिया बिखरी हुई, ध्रुवीकृत और निराश है. बातचीत मुश्किल हो गई है, समझौते तो और भी मुश्किल हो गए हैं. यह निश्चित रूप से वह नहीं है जो संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक हमसे चाहते होंगे. आज, हम शांति और समृद्धि दोनों को समान रूप से खतरे में पाते हैं और ऐसा इसलिए है क्योंकि विश्वास खत्म हो गया है.
विदेश मंत्री बोले- हम कठिन समय में यहां इकट्ठा हुए
विदेश मंत्री ने कहा कि हम 79वें यूएनजीए थीम ‘किसी को भी पीछे न छोड़ना’ का पुरजोर समर्थन करते हैं. हम यहां एक कठिन समय में इकट्ठा हुए हैं. दुनिया अभी भी कोविड महामारी के कहर से उबर नहीं पाई है. यूक्रेन में युद्ध अपने तीसरे साल में प्रवेश कर चुका है और गाजा में संघर्ष व्यापक प्रभाव हासिल करता हुआ नजर आ रहा है.
सभी को एक साथ आकर काम करने की अपील
उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यवस्था स्वाभाविक रूप से बहुलवादी और विविधतापूर्ण है. संयुक्त राष्ट्र की शुरुआत 51 सदस्यों के साथ हुई थी, अब हम 193 सदस्य हैं. दुनिया काफी हद तक बदल गई है और चिंताएं और अवसर भी बदल गए हैं. हम एक साथ आकर, अपने-अपने अनुभव साझा करके, संसाधनों को एकत्रित करके और अपने संकल्प को मजबूत करके, हम दुनिया को बेहतरी के लिए बदल सकते हैं.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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