दुनियां – नाकामियां छिपाने की चाल…भारत से तनाव बढ़ाने को क्यों आतुर जस्टिन ट्रूडो? – #INA

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत के साथ रिश्ते तल्ख करने पर उतारू हैं. खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा ने एक बार फिर भारत विरोधी बयान दिया है. जिसके बाद भारत ने सख्त एक्शन लेते हुए कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है. जैसा कि विदेश मंत्रालय के बयान में साफ शब्दों में कहा गया है, ट्रूडो अपने देश में राजनीतिक करियर को बचाने के लिए भारत-कनाडा संबंधों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
बढ़ती महंगाई, अफोर्डेबल हाउसिंग, अनियंत्रित अप्रवास और खत्म होती नौकरियों ने ट्रूडो की छवि को नुकसान पहुंचाया है. NDP (New Democratic Party) का सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद वे एक लंगड़ी सरकार चला रहे हैं और लगता है कि अब अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए भारत की बुराई का सहारा लेने में लग गए हैं.
ट्रूडो को अपनी लिबरल पार्टी के अंदर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, उनकी पार्टी के ही कुछ लोग उन्हें नापसंद करने लगे हैं. हालांकि वे खुद को पार्टी का एकमात्र नेता बताते हैं, जो पीएम पद का दावेदार है.
कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (CBC) ने कुछ दिन पहले रिपोर्ट दी थी कि पार्टी में उनके खिलाफ विद्रोह पनप रहा है, पार्टी में उनके विद्रोही ये जान गए हैं कि ट्रूडो के नेतृत्व में अगर लिबरल पार्टी चुनाव लड़ती है, तो वे हार जाएगी.
ट्रूडो की लोकप्रियता में हो रही गिरावट
एंगस रीड इंस्टीट्यूट के मुताबिक, ट्रूडो को पसंद करने वालों में भारी गिरावट आई है. पिछले सितंबर में 39 फीसद लोगों ने उन्हें नापसंद किया था, एक साल में यह संख्या बढ़कर 65 फीसद हो गई है. देश में उनकी स्वीकृति 51 फीसद से घटकर 30 फीसद ही रह गई है. जिसके बाद उनका आसान लक्ष्य है की कुछ भी करके चुनावों से पहले खालिस्तानी मतदाताओं को लुभा लिया जाए. जिसके लिए उन्होंने अपना भारत विरोधी एजेंडा फिर से चालू कर दिया है.
ट्रूडो के इस्तीफे की मांग
ट्रूडो की बदनामी को समझने वाले लिबरल सांसदों की तादाद बढ़ती ही जा रही है और वे ट्रूडो को पार्टी के नेता के रूप में इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने के एकमत हो रहे हैं. दो प्रमुख उपचुनावों में बड़ी हार के बाद, ट्रूडो के लीडरशिप के प्रति असंतोष बढ़ गया है, जिससे नाखुश सांसदों के बीच पार्टी लीडर बदलने की बात चर्चाएं शुरू हो गई हैं. CBC ने गुप्त बैठकों की एक सीरीज के बारे में रिपोर्ट की है, जहां लिबरल सांसदों से नेतृत्व परिवर्तन वाले दस्तावेज पर साइन करने के लिए कहा जा रहा है.
भारत पर आरोप लगा करियर बचा रहे ट्रूडो
CBC के पोल ट्रैकर के मुताबिक, लिबरल्स मुख्य विपक्षी पार्टी कंजर्वेटिव्स से लगभग 20 फीसद पाइंट्स से पीछे हैं. एक बार फिर भारतीय राजनयिकों पर आरोप लगाकर ट्रूडो का अपने करियर में आने वाले संकट से ध्यान हटाना चाह रहे हैं, साथ ही ये सब कर के उनको खालिस्तानियों के वोट हासिल करने की भी उम्मीद है. हालांकि, उनकी लापरवाह हरकतें दोनों देशों के बीच दरारें पैदा कर रही हैं और ये किसी भी वक्त बड़े तनाव का रूप ले सकती हैं.
अल्पमत में है ट्रूडो सरकार
ट्रूडो की लिबरल पार्टी इस वक्त अल्पमत में है. न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थन से सरकार बनी. लेकिन सितंबर 2024 में NDP ने ट्रूडो सरकार से समर्थन वापस लिया, जिसके बाद कनाडा की ट्रूडो सरकार अल्पमत में है.
न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष जगमीत सिंह सिख हैं. उन्हें खालिस्तान समर्थक माना जाता है. 2021 चुनाव में NDP को 24 सीट मिली थीं. जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी को बहुमत(170) से कम 156 सीट है. कहा जा रहा है कि न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी को लुभाने के लिए ट्रूडो ने ऐसा कदम उठाया है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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