दुनियां – Explainer: अमेरिका, ब्रिटेन के चुनावों में भारत के मुकाबले कितना खर्च होता है? – #INA
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव अब अपने अंतिम चरण में है. डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस में से कौन जीतेगा, कोई भी बता पाने की स्थिति में नहीं है. जितने मुंह, उतनी बातें. अनुमान चूंकि पहले भी गलत हुए हैं, इसलिए उनपर भरोसा करना बेमानी होगा. हां, ये बात जरूर पुख्ता तौर पर कही जा सकती है कि दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र का चुनाव बेहद खर्चीला होने जा रहा है.
वैसे तो भारतीय चुनाव भी समय के साथ खर्चीले होते चले गए हैं. लेकिन अमेरिका और भारत के चुनावी खर्च में कुछ बुनियादी फर्क है. वो क्या है, उस पर आने से पहले थोड़े में यह समझ लें कि इस बरस अमेरिकी राष्ट्रपति और उसी के साथ हो रहे कांग्रेस (संसदीय चुनाव) के चुनाव में कम से कम 16 बिलियन डॉलर खर्च होने का अनुमान है.भारतीय रुपयों में कहा जाए तो ये चुनाव तकरीबन 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का पड़ रहा है.
सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के एक अध्ययन के मुताबिक भारत में अभी हाल ही में हुए आम चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने कुल मिलाकर तकरीबन 1 लाख करोड़ रुपया खर्च किया. भारत के चुनावी इतिहास में यह अब तक का सबसे महंगा चुनाव अनुमानित रहा. सवाल है कि अमेरिका, ब्रिटेन में भारत के मुकाबले चुनावी खर्च किस तरह अलग है, कौन सा देश ज्यादा खर्च पर पाबंदी नहीं लगाता, एक नजर.
भारतीय चुनाव में खर्च का दायरा क्या है?
लोकसभा चुनाव में छोटे राज्यों का एक कैंडिडेट 75 लाख रुपये की सीमा तक खर्च कर सकता है. वहीं, बड़े राज्यों में उसके खर्च का दायरा 95 लाख रुपये तक मुमकिन है. वहीं, अगर विधानसभा चुनावों की बात की जाए तो बड़े राज्यों के प्रत्याशियों के लिए यह सीमा 40 लाख रुपये जबकि छोटे राज्यों के लिए 28 लाख रुपये तय है. ध्यान रहे, चुनाव आयोग ने ये दायरा कैंडिडेट्स के लिए तय किया है, राजनीतिक दलों के खर्च पर कोई सीमा निर्धारित नहीं है.
ब्रिटेन चुनाव में खर्च का क्या आलम है?
ब्रिटेन में एक राजनीतिक दल हर सीट पर अधिकतम करीब 60 लाख रुपये खर्च कर सकता है. ये तो एक सीट की बात हुई. यही पॉलिटिकल पार्टी पूरे चुनाव में (कुल सीटों पर) अधिकतम 35 मिलियन पाउंड खर्च कर सकता है. भारतीय रुपयों में यह लगभग 380 करोड़ रुपये के आसपास बनता है. ब्रिटेन में यह भी स्पष्ट है कि एक कैंडिडेट अपने चुनाव प्रचार में कुल कितना खर्च कर सकता है.
एक कैंडिडेट अधिकतम 53 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है. इतना भी ब्रिटेन में एक कैंडिडेट तब खर्च कर सकता है जब उसको चुनाव प्रचार के लिए पांच महीने का समय मिले. यानी मोटे तौर पर ये है कि अगर समय से चुनाव हो तो संसद भंग होने से पहले के 5 महीने में वह इतना खर्च कर सकता है. वहीं, अगर चुनाव जल्दी घोषित हो गया, कम समय चुनाव प्रचार को मिला तो आप 22 लाख से ऊपर खर्च नहीं कर सकते.
अमेरिका में कितना खर्च हो सकता है?
अमेरिकी चुनावों में भाग लेने वाले कैंडिडेट्स को लोग, कॉरपोरेट संस्थान से मिलने वाले डोनेशन की एक रकम जरूर तय है. लेकिन अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में यह साफ किया है कि पार्टियों के खर्च की कोई सीमा नहीं है. ऐसे में, यह आकलन किया जा रहा है कि 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में तकरीबन साढ़े 5 बिलियन डॉलर खर्च होने जा रहा है.
वहीं, अगर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के साथ होने जा रहे संसदीय चुनाव (जिसे अमेरिका में कांग्रेस का चुनाव कहते हैं) के खर्च को भी जोड़ दिया जाए तो यह रकम 16 बिलियन डॉलर को भी पार कर सकती है. जैसा हमने ऊपर बताया भारतीय रुपयों में ये 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये के आसपास पहुंच जाता है. अमेरिकी चुनाव में इस कदर खर्च संस्थागत डोनर्स की वजह से हो रहा है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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