Political – भूपेंद्र हुड्डा के रास्ते से शैलजा और सुरजेवाला का कांटा दूर, कांग्रेस के लिए राह आसान या बढ़ेगी टेंशन? – Hindi News | Haryana Assembly Election 2024 Congress Randeep Surjewala Kumari Selja and bhupinder Singh hooda- #INA

भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला

हरियाणा की सत्ता में वापसी की जद्दोजहद में जुटी कांग्रेस ने किसी भी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा भले ही घोषित न किया हो, लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा की राह की सबसे बड़ी बाधा कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला बने थे. शैलजा और सुरजेवाला ने 2024 के विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर कांग्रेस के शीर्ष से लेकर हुड्डा तक की टेंशन बढ़ा दी थी. ऐसे में कांग्रेस हाईकमान ने तय किया है कि पार्टी अपने किसी भी सांसद को विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं देगी. वो फिलहाल पार्टी के लिए प्रचार करने का काम करेंगे. इस फैसले ने सबसे बड़ी राहत भूपेंद्र सिंह हुड्डा को दी है, जिनके रास्ता का कांटा दूर हो गया है?

कांग्रेस की दिग्गज नेता और पांच बार की सांसद शैलजा हरियाणा की सियासत में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती हैं. ऐसे में लोकसभा सांसद रहते हुए विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने की तैयारी कर रही थीं. उन्होंने बकायदा ऐलान किया था कि राज्य में मेरे समर्थक और शुभचिंतक मुझसे प्रदेश की राजनीति में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाने और विधानसभा चुनाव लड़ने का आग्रह कर रहे हैं. ऐसे में विधानसभा चुनाव लड़ने पर विचार कर रही हैं. ऐसी ही बातें राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला भी कर रहे थे और अपनी परंपरागत सीट से ही चुनाव लड़ने का सियासी तानाबाना बुन रहे थे.

हरियाणा में कांग्रेस की सियासत

हरियाणा में कांग्रेस सियासत कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. कांग्रेस की अगर सत्ता में वापसी होती है तो फिर इन्हीं तीन में से किसी एक नेता के सिर मुख्यमंत्री का ताज सजेगा. हुड्डा और शैलजा अपनी-अपनी दावेदारी भी जता चुके हैं. इसके लिए ही तीनों नेता बाकायदा विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट चाह रहे थे. इस तरह बड़े नेताओं की दिली इच्छा सामने आने के बाद कांग्रेस नेतृत्व को एक सख्त संकेत बुधवार को देना पड़ा है.

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सासंद को चुनाव नहीं लड़ाएगी कांग्रेस

हरियाणा के कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने बुधवार को उम्मीदवारों के नाम पर मंथन के लिए हुई बैठक के बाद मीडिया में कहा कि पार्टी इस बार किसी भी मौजूदा सांसद को विधानसभा चुनाव नहीं लड़ाएगी. कांग्रेस के सांसद मौजूदा चुनाव में सिर्फ पार्टी के लिए प्रचार करेंगे. पार्टी के इस फैसला का सीधा असर कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला पर पड़ेगा, क्योंकि दोनों ही नेता सांसद हैं. कुमारी शैलजा तो सिरसा से लोकसभा सांसद 2024 के चुनाव में
चुनी गई हैं तो सुरजेवाला राज्यसभा सांसद हैं.

शैलजा-सुरजेवाला की उम्मीद पर पानी

कांग्रेस हाईकमान ने सुरजेवाला और कुमारी शैलजा के विधानसभा चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राह में अब कोई कांटा नहीं बचा है. हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुमारी शैलजा और सुरजेवाला के उतरने से सबसे ज्यादा चिंता का सबब भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए बना हुआ था. हुड्डा सीएम की रेस में अपने आपको सबसे आगे समझ रहे हैं. ऐसे में कुमारी शैलजा और सुरजेवाला के विधानसभा चुनाव जीतने और कांग्रेस हरियाणा की सत्ता में वापसी करती हैं तो फिर सीएम पद के लिए हुड्डा के सामने शैलजा-सुरजेवाला भी अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर सकते थे.

हरियाणा में कांग्रेस की वापसी?

हरियाणा में जिस तरह के सियासी माहौल और बीजेपी के दस साल की सरकार होने के चलते सत्ता विरोधी लहर की बात की जा रही है, उसके चलते ही राजनीतिक विश्वलेषक कांग्रेस की सत्ता में वापसी की उम्मीद जता रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए शैलजा और हुड्डा आमने-सामने होते. हुड्डा जाट समाज से आते हैं तो शैलजा दलित समुदाय से हैं. कांग्रेस का हरियाणा में सियासी आधार जाट और दलित वोटों पर ही टिका हुआ है. ऐसे में कांग्रेस दोनों ही जाति के बीच सियासी बैलेंस बनाकर रखना चाहती है.

हुड्डा का रास्ता साफ

कांग्रेस की सियासत जाट और दलित वोटों पर टिकी हुई है. 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने हुड्डा और शैलजा की जोड़ी के दम पर बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी. 2024 के लोकसभा चुनाव में दलित-जाट वोटों के दम पर ही कांग्रेस हरियाणा की 10 में से 5 सीटें जीतने में कामयाब रही है. हुड्डा और शैलजा के बीच रिश्ते छत्तीस के हैं. ऐसे में कुमारी शैलजा और सुरजेवाला के विधानसभा चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. भूपेंद्र हुड्डा की राह भले ही साफ दिख रही हो, लेकिन शैलजा और सुरजेवाल मशक्कत नहीं करते हैं तो कांग्रेस के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं है.

दलित वोट पर सबकी नजर

हरियाणा विधानसभा चुनाव में सभी दलों की नजर दलित वोट पर है. राज्य में जाट के बाद सबसे बड़ी आबादी दलित समाज की है. प्रदेश में करीब 21 फीसदी आबादी दलित समुदाय की है. अभी तक जो तस्वीर दिख रही है उसमें कांग्रेस दलित समीकरण साधने की कवायद में है. लोकसभा चुनाव में दलित मतदाताओं का रूझान उनकी ओर दिखा था. संविधान और आरक्षण बचाने के हल्ले में देश भर में कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों को दलितों का वोट मिला.

चौधरी उदयभान बने प्रदेश अध्यक्ष

बीजेपी ने जब से हरियाणा में गैर जाट राजनीति शुरू की है तभी से कांग्रेस जाट के साथ दलित वोटों का समीकरण बैठाने की कवायद में है. इसी समीकरण के चलते भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पार्टी का सर्वोच्च नेता बनाया गया है और उनके साथ दलित नेता के तौर पर चौधरी उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. इसके अलावा कुमारी शैलजा कांग्रेस की दलित चेहरा मानी जाती हैं. कांग्रेस इस उम्मीद में है कि जाट, दलित और मुस्लिम के साथ 50 फीसदी वोटों का समीकरण बन जाएगा. ऐसे में कुमारी शैलजा के अब विधानसभा चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर जिस तरह से पानी फिरा है, उसके चलते विधानसभा चुनाव में इसका असर पड़ सकता है.

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