Political – वो 5 कांग्रेसी, जिनकी वजह से महाराष्ट्र में डूब गई ओल्ड ग्रैंड पार्टी की लुटिया- #INA

वो 5 कांग्रेसी, जिनकी वजह से महाराष्ट्र में डूब गई ओल्ड ग्रैंड पार्टी

महाराष्ट्र के चुनावी इतिहास में पहली बार ओल्ड ग्रैंड कांग्रेस को सिर्फ 16 सीटों पर जीत मिली है. करारी हार के बाद पार्टी ने ईवीएम पर ठीकरा फोड़ा है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि ईवीएम के डेटा की वजह से हम चुनाव हार गए हैं. जयराम के बयान से इतर महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के वजहें जो भी रही है, लेकिन हार के लिए मुख्य रूप से पार्टी के 5 नेता को जिम्मेदार माना जा रहा है.

कहा जा रहा है कि लोकसभा में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद कांग्रेस में इन्हीं 5 नेताओं के कंधों पर जीत की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन ये नेता इसे सफल बनाने में नाकाम रहे.

पहला नाम केसी वेणुगोपाल का

केसी वेणुगोपाल कांग्रेस के संगठन महासचिव हैं. कांग्रेस के भीतर अध्यक्ष के बाद इस पद को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. हरियाणा में हार के बाद केसी खुद महाराष्ट्र के डेप्युटेशन पर थे. उन्होंने यहां बड़े नेताओं की फौज उतार रखी थी, लेकिन सब ढाक के तीन पात साबित हुए.

केसी पर ही गठबंधन के दलों से कॉर्डिनेट करने की जिम्मेदारी थी, लेकिन सीट बंटवारे से लेकर मतदान तक कांग्रेस में कॉर्डिनेशन की भारी कमी देखी गई. सीट बंटवारे के दौरान नाना पटोले और संजय राउत की लड़ाई चर्चा में थी.

वहीं वोटिंग के दिन सोलापुर दक्षिण सीट पर पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने शिवसेना (यूबीटी) के बदले निर्दलीय उम्मीदवार खुला ऐलान कर दिया. केसी इसे न तो डैमेज कंट्रोल कर पाए और न ही शिंदे पर कोई कार्रवाई.

सुशील कुमार शिंदे की बेटी प्रणीति शिंदे अभी सोलापुर सीट से कांग्रेस की सांसद हैं.

रमेश चेन्निथल्ला की स्ट्रैटजी रही फेल

कांग्रेस ने चुनाव से पहले केरल के कद्दावर नेता रमेश चेन्निथल्ला को प्रभारी नियुक्त किया था. प्रभारी का काम स्ट्रैटजी तैयार करना, कॉर्डिनेशन करना और काडर को मजबूत करना है. चेन्निथल्ला इन तीनों ही काम ठीक ढंग से नहीं कर पाए.

विदर्भ कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है. वहां भी पार्टी बुरी तरह हार गई. मुंबई और नॉर्दन महाराष्ट्र में भी कांग्रेस फिसड्डी साबित हुई. चेन्निथल्ला मुंबई में जरूर डटे रहे, लेकिन कॉर्डिनेशन करने और सही इनपुट जुटाने में फेल दिखे.

सीएम का ख्वाब देख रहे पटोले भी पस्त

महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के प्रमुख दावेदार थे. पटोले ने कई बार खुलकर इसकी दावेदारी भी की थी. सीट बंटवारे और टिकट चयन में पटोले की खूब चली भी, लेकिन परिणाम देने में पटोले फेल साबित हुए.

पटोले जिस भंडार-गोदिया से आते हैं, वहां की 6 विधानसभा सीटों में से सिर्फ एक पर कांग्रेस जीत पाई. पटोले खुद का चुनाव 208 वोटों से जीते हैं. इतना ही नहीं पटोले के गढ़ नागपुर में भी कांग्रेस फंस गई. 6 में से सिर्फ 2 सीटों पर कांग्रेस यहां जीती है.

नाना पटोले ने पूरे चुनाव में करीब 55 रैलियों को संबोधित किया, लेकिन उनमें से एक-दो सीट पर ही कांग्रेस पार्टी जीत पाई.

टिकट बांटने वाले मिस्त्री साइलेंट

महाराष्ट्र में टिकट बांटने और स्क्रीनिंग का काम मधुसूदन मिस्त्री के जिम्मे था. कांग्रेस ने पूरे महाराष्ट्र में 102 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन पार्टी के 86 उम्मीदवार जीत नहीं दर्ज कर पाए. अगर इसे प्रतिशत में देखा जाए तो कांग्रेस के सिर्फ 16 प्रतिशत उम्मीदवार ही जीत पाए. कांग्रेस के बाला साहेब थोराट, पृथ्वीराज चव्हाण जैसे बड़े नेता चुनाव हार गए.

कोल्हापुर नॉर्थ सीट पर तो चुनाव के बीच कांग्रेस के उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया था. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर मधुसूदन मिस्त्री ने किस आधार पर उम्मीदवारों का सिलेक्शन किया था? क्या उन्हें जमीनी हालात के बारे में जानकारी नहीं थी?

मधुसूदन मिस्त्री पहले भी कई राज्यों में स्क्रीनिंग कमेटी के प्रमुख रह चुके हैं. हालांकि, उन राज्यों में भी पार्टी की करारी हार हुई थी

कनुगोलू नहीं समझ पाए रणनीति

सुनील कनुगोलू कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार हैं. कनुगोलू की जिम्मेदारी बीजेपी की रणनीति समझ कर कांग्रेस के लिए रणनीति तैयार करना है. कनुगोलू की टीम महाराष्ट्र में बीजेपी की माइक्रो मैनेजमेंट की रणनीति नहीं समझ पाए.

बीजेपी ने इस बार महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश की तरह माइक्रो मैनेजमेंट की रणनीति तैयार की थी. पार्टी की यह रणनीति काम कर गई और फंसी हुई सीटों पर भी बीजेपी ने जीत हासिल कर ली.

सवाल कांग्रेस हाईकमान पर भी

हरियाणा में हार के बाद समीक्षा की बात कहने वाली कांग्रेस एक महीने के भीतर ही महाराष्ट्र में ढेर हो गई है. हार के लिए कांग्रेस हाईकमान पर भी सवाल उठ रहे हैं. राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे शुरूआत में कैंपेन से दूर रहे. आखिर में बड़े नेताओं ने ताकत जरूर झोंकी, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ.

कांग्रेस के बड़े नेता महाराष्ट्र के चुनाव में न तो आक्रामक कैंपेन करते नजर आए और न ही रणनीति बनाने के लिए महाराष्ट्र में डटे. इसके उलट बीजेपी की तरफ से अमित शाह ने महाराष्ट्र में खुद ही सियासी बिसात बिछाई.

ऐसे में हार के बाद अब कांग्रेस हाईकमान पर भी सवाल उठ रहे हैं.

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