Political – 6 दशक-13 चुनाव-87 विधायक… हरियाणा में सवालों में महिलाओं की हिस्सेदारी, कटघरे में हर दल?- #INA
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024
हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे मुकाबला रोचक बनता जा रहा है. कांग्रेस और बीजेपी सहित तमाम पार्टियों ने अपने-अपने पत्ते खोल दिए हैं. चुनाव नामांकन की प्रक्रिया गुरुवार तक होनी है, जिसके बाद कितने उम्मीदवार मैदान में हैं. पुरुष प्रधान प्रदेश कह लाने वाले हरियाणा की सियासत में महिलाओं की भागेदारी उनकी आबादी के लिहाज से नहीं मिल सकी है. इस बार भी सभी राजनीतिक पार्टियां महिलाओं को टिकट देने में दिल बड़ा नहीं कर सकी हैं.
पंजाब से अलग होकर हरियाणा बनने के छह दशक के सियासी इतिहास में 13 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. 1967 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए और उसके बाद से हुए 13 चुनाव में कुल 575 महिलाओं ने अलग-अलग पार्टियों से किस्मत आजमाने का काम किया. इन 575 महिलाओं में से सिर्फ 87 महिला ही विधायक बन सकी हैं. राज्य में सबसे कम चार महिला विधायक बनी हैं तो सबसे ज्यादा 13 महिला चुनी गई हैं. ऐसे में देखना है कि इस बार महिला विधायकों के चुनने का रिकॉर्ड टूटता या फिर नहीं?
पहली बार के चुनाव में महिलाएं
हरियाणा के गठन के बाद से जब 1967 में प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए तो आठ महिलाएं चुनावी पिच पर उतरीं, जिनमें से चार महिला ही विधायक बन पाईं. इसके बाद से राज्य में महिला विधायकों के जीतने का ट्रैक रिकार्ड देखें तो दो बार ही दहाई के अंक में पहुंची हैं. इसके अलावा 11 चुनाव में एक डिजिट में महिला विधायकों की संख्या रही है. पिछले पांच विधानसभा चुनावों की बात करें तो 402 महिलाओं ने विधानसभा चुनाव लड़ा. जिनमें से 46 ने जीत दर्ज की और सदन पहुंचीं.
ये भी पढ़ें
महिला विधायकों का ट्रैक रिकार्ड
साल 1967 में 8 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, जिसमें से चार विधायक बनीं. इसके बाद 1968 में विधानसभा चुनाव में 12 महिलाओं ने किस्मत आजमाई, जिनमें से सात ने जीत दर्ज की. 1972 के विधानसभा चुनाव में 13 महिला प्रत्याशी उतरीं, जिनमें से 4 ही विधायक बन सकीं. 1977 में 20 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, जिनमें से 4 ही जीत सकीं. 1982 के विधानसभा चुनाव में 27 महिलाओं ने किस्मत आजमाई, जिनमें से 7 महिला विधायक बनीं. 1987 के चुनाव में 35 महिलाओं ने चुनाव लड़ा और 5 ने जीत दर्ज की.
1991 से 2019 तक भागीदारी
1991 के विधानसभा चुनाव में 41 महिलाए ने मैदान में उतरीं, जिनमें से छह महिला ही विधायक बन पाईं. 1996 में महिलाओं के चुनाव लड़ने में कमी आई और सिर्फ सात महिला ही चुनाव में उतरीं, जिसमें चार विधायक बनीं. 2000 के विधानसभा चुनाव में 49 महिला प्रत्याशी थीं, जिनमें से 4 ही जीत सकीं. ऐसे ही 2005 के विधानसभा चुनाव में 60 महिला प्रत्याशी थीं, जिसमें से 11 ही विधायक चुनी गईं. 2009 के विधानसभा चुनाव में 69 महिलाओं ने चुनाव में किस्मत आजमाई, जिनमें से 9 ही जीत सकीं. 2014 में सबसे ज्यादा महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरी थीं. इस चुनाव में 116 महिला कैंडिडेट थीं, जिनमें से 13 विधायक बनी थीं. 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में 108 महिलाओं ने किस्मत आजमाई, जिनमें से 9 विधायक बनने में सफल रहीं.
राजनीतिक दल जिम्मेदार?
हरियाणा विधानसभा चुनाव में महिलाओं के चुनाव लड़ने की संख्या में इजाफा हुआ, लेकिन विधायक बनने का आंकड़ा उस लिहाज से नहीं रहा. हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें है, जिनमें से 2019 में 9 महिला ही विधायक बनी हैं. इस लिहाज से महज 10 फीसदी ही महिलाओं का प्रतिनिधित्व है जबकि राज्य में उनकी आबादी 47 फीसदी के करीब है. हरियाणा के कुल 1.97 करोड़ मतदाताओं में से 1.05 करोड़ (53.3 प्रतिशत) पुरुष और 92.5 लाख (47.7 प्रतिशत) महिलाएं हैं. इस लिहाज से देखें तो महिलाओं की विधानसभा में भागीदारी बहुत ही कम है. महिलाओं की हिस्सेदारी कम होने के लिए राजनीतिक दल जिम्मेदार माने जाते हैं, क्योंकि टिकट देने में बड़ा दिल नहीं दिखाते हैं.
हरियाणा की पहली महिला विधायक
चंद्रावती हरियाणा विधानसभा की पहली महिला विधायक थीं और हरियाणा से पहली महिला संसद सदस्य भी थीं. वह 1990 में उपराज्यपाल रहीं. 1964 और 1972 में हरियाणा मंत्री रही. उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1954 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र से लड़ा और जीत हासिल की. उन्होंने 13 चुनाव लड़े, जिनमें दो लोकसभा और 11 विधानसभा चुनाव लडे़. इनमें सात चुनाव जीते.
किरण चौधरी, कभी नहीं हारीं चुनाव
बीजेपी की राज्यसभा सदस्य किरण चौधरी पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की पुत्रवधु हैं. पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी एक उपचुनाव समेत चार बार तोशाम से जीतकर विधानसभा पहुंच चुकी हैं और मंत्री भी रही हैं. अब वह राज्यसभा सांसद हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा. वह सियासत में कदम रखने के बाद कोई भी चुनाव नहीं हारी हैं. इस बार बीजेपी ने उनकी बेटी श्रुति चौधरी को तौशाम सीट से प्रत्याशी बनाया है, जो कांग्रेस से सांसद रह चुकी हैं.
कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा
कांग्रेस की दिग्गज नेता कुमारी सैलजा पार्टी का दलित चेहरा हैं. सिरसा से लोकसभा सांसद हैं. सैलजा ने अपना राजनीतिक सफर महिला कांग्रेस से शुरू किया और 1990 में इसकी अध्यक्ष बनीं. वह 1991 में हरियाणा के सिरसा से पहली बार सांसद बनीं. इसके बाद से सैलजा 4 बार लोकसभा की सदस्य रहने के अलावा 1 बार राज्यसभा सदस्य और 3 बार केंद्र में मंत्री भी रह चुकी हैं. इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस से टिकट मांग रही हैं. कुमारी सैलजा को सितंबर 2019 में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया गया. वह इस पद पर 20 अप्रैल 2022 तक रहीं. इसके चलते अब वह खुद को मुख्यमंत्री के दावेदार भी मान रही हैं.
जीत की हैट्रिक लगाने वाली गीता
गीता भुक्कल 2005 में पहली बार कलायत विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनी. उस समय 37 वर्षों में पहली बार कांग्रेस यह सीट जीती थी. 2009 में नए परिसिमन के बाद झज्जर विधानसभा क्षेत्र में आईं और यहां 2009, 2014, 2019 के चुनाव जीतकर झज्जर में जीत की हैट्रिक लगाने वाली पहली विधायक बनीं. वह राज्य में मंत्री भी रह चुकी हैं और चार बार विधायक चुनी गईं. इसी तरह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल की पत्नी जसमा देवी 1987 में आदमपुर से विधायक रहीं. इसके बाद भजन लाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई की पत्नी रेणुका बिश्नोई 2011 में आदमपुर उप चुनाव और 2014 में हांसी से विधायक बनीं.
बीजेपी नेता सुधा यादव
देश के उपप्रधानमंत्री और हरियाणा के सीएम रहे चौधरी देवीलाल के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के बेटे जेजेपी अध्यक्ष अजय सिंह चौटाला की पत्नी नैना चौटाला विधायक रही हैं. 2014 में डबवाली से विधायक बनीं और 2019 में बाढड़ा से जीत दर्ज की थी. बीजेपी की दिग्गज नेता सुधा यादव पार्टी की महिला चेहरा मानी जाती हैं. महेंद्रगढ़ सीट से राव इंद्रजीत सिंह को सुधा यादव चुनाव हरा चुकी हैं.
Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link