Political – दलदल में फंसे हरियाणा के निर्दल, 21 में से 20 विधायक नहीं जीत पाए दोबारा चुनाव- #INA
हरियाणा में 20 साल की पूरी रिपोर्ट
हरियाणा में नामांकन के आखिरी दिन पार्टी सिंबल के साथ-साथ निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच पर्चा भरने की होड़ मची रही. चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक करीब 500 उम्मीदवारों ने निर्दलीय ही पर्चा दाखिल किया है. जिन बड़े नामों ने निर्दलीय पर्चा दाखिल किया है, उनमें उद्योगपति सावित्री जिंदल, पूर्व मंत्री रणजीत चौटाला और मनोहर लाल खट्टर के पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन का नाम प्रमुख है.
हरियाणा में निर्दलीय उम्मीदवारों के जीत का ट्रैक रिकॉर्ड अन्य राज्यों से बेहतर रहा है. औसतन हर चुनाव में 8-10 प्रतिशत सीटों पर निर्दलीय ही जीतते रहे हैं, लेकिन इन निर्दलीय विधायकों को लेकर एक फैक्ट काफी चौंकाने वाला है.
हरियाणा में एक बार जीतने के बाद निर्दलीय विधायकों की गाड़ी दलदल में फंस गई. पिछले 20 साल में एक विधायक को छोड़ दिया जाए तो निर्दलीय जीतने वाले बाकी विधायक दूसरी बार सदन का मुंह नहीं देख पाए.
3 पॉइंट्स में समझेंदलदल में फंसे निर्दलीय
1. 2014 के विधानसभा चुनाव में 5 सीटों पर निर्दलीय विधायकों को जीत मिली थी. इनमें कलायत से जय प्रकाश, पुंडरी से दिनेश कौशिक, समलखा से रविंद्र मछरौली, सैफिदोन से जसबीर और पुनहाना से रहीस खान का नाम शामिल हैं. 2019 के चुनाव में इनमें से एक भी सदन नहीं पहुंच पाए. 2019 में जय प्रकाश कांग्रेस से जबकि बाकी के उम्मीदवार निर्दलीय ही मैदान में उतरे.
2. 2009 के चुनाव में हरियाणा विधानसभा की 6 सीटों पर 6 निर्दलीय को जीत मिली थी. इनमें पुंडरी से सुल्तान, पानीपत ग्रामीण से ओम प्रकाश जैन, फतेहाबाद से प्रह्लाद खेरा, सिरसा से गोपाल कांडा, गुरुग्राम से सुखबीर कटारिया, हाथिन से जलेब खान और फरीदाबाद एनआईटी से शिवचरण लाल शर्मा का नाम शामिल हैं.
2014 के चुनाव में इनमें से एक भी विधायक जीत नहीं पाए. हालांकि, 2019 में सिरसा से गोपाल कांडा चुनाव जीतने में जरूर सफल रहे.
3. 2005 के चुनाव में हरियाणा में 10 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की. जिन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली, उनमें पुंडरी (दिनेश कौशिक), पाई (तेजिंदर पाल सिंह), बादली (नरेश कुमार), सैफिदोन (बच्चन सिंह), हाथिन (हर्ष कुमार), नूंह (हबीब उर रहमान), सोहना (सुखबीर सिंह), बावल (शकुंतला भार्गव), अटेली (नरेश यादव) और नरमौल (राधेश्याम) शामिल थी.
2009 के चुनाव में पुंडरी से सिर्फ दिनेश कौशिक जीत पाए. बाकी के सभी उम्मीदवार चुनाव हार गए.
निर्दलीय उम्मीदवारों का एक फैक्ट यह भी
चाहे वो चुनाव जीतने में हो या दूसरे नंबर पर रहने में, हरियाणा के हर चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों का दबदबा रहा है. 2005 में 10 निर्दलीय जीतकर सदन पहुंचे थे, जबकि 14 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे. इसी तरह 2009 में 6 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की.
वहीं इस चुनाव में 10 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे. 2014 में 5 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली, जबकि 7 सीटों पर वे दूसरे नंबर पर रहे. 2019 में 7 सीटों पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की और इतने ही सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे.
2009 और 2019 की सरकार में निर्दलीय विधायकों को सरकार के कैबिनेट में भी शामिल किया गया. निर्दलीय जीतकर विधायक बनने वाले गोपाल कांडा खुद की पार्टी भी बना चुके हैं.
2019 में 7 जीते, इस बार 5 मैदान में
2019 में हरियाणा की 7 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली, लेकिन इस बार सिर्फ 5 निर्दलीय विधायक मैदान में हैं. दादरी के सोमवीर सांगवान और पुंडरी के रणधीर गैलों मैदान में नहीं हैं.
निलोखेरी से विधायक धर्मपाल गोदर को कांग्रेस ने टिकट दिया है. रानिया से विधायक रणजीत चौटाला बीजेपी से उतरने की तैयारी में थे, लेकिन आखिर वक्त में उनका टिकट पार्टी ने काट दिया. अब वे निर्दलीय ही लड़ेंगे.
महम से विधायक बलराज कुंडू, बादशाहपुर से राकेश दौलताबाद, पृथला से नारायण पाल निर्दलीय ही लड़ेंगे. 2019 में जीत के बाद एक को छोड़कर सभी निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी सरकार को समर्थन दिया था.
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