Political – ये राह नहीं आसां… हरियाणा चुनाव में 16 सीटों पर BJP-कांग्रेस का खेल बिगाड़ेंगे बागी!- #INA

हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार बागी नेता बीजेपी और कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं

हरियाणा विधानसभा में नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख 16 सितंबर थी. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने बागी नेताओं को मनाने और नामांकन वापस लेने के लिए पूरी ताकत लगा दी. बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडोली के अलावा अन्य वरिष्ठ नेता असंतुष्ट बागी उम्मीदवारों को मनाने के प्रयासों में सबसे आगे थे. दोनों ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन से नामांकन वापस कराने में सफलता हासिल की. जैन अपनी पत्नी और हरियाणा की पूर्व मंत्री कविता जैन के साथ सोनीपत से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे.

इसी तरह नारनौल से बीजेपी की बागी उम्मीदवार भारती सैनी ने अपना नामांकन वापस ले लिया. सैनी ने नारनौल में भारती से मुलाकात की थी. इसके साथ ही शिव कुमार मेहता (नारनौल) और रामपाल यादव (कोसली) ने भी अपना नामांकन वापस ले लिया. बीजेपी को उस समय बड़ी सफलता मिली जब पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव ने अपना नामांकन वापस ले लिया, जो अटेली से टिकट की दावेदार थीं. पार्टी ने अटेली से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव को मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान करनाल की पूर्व मेयर रेणु बाला गुप्ता को मनाने में सफल रहे, क्योंकि उनके पति को बीजेपी का कार्यकारी जिला अध्यक्ष बना दिया गया है.

2019 के नतीजों ने भी चौंकाया था

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजों ने 2019 में भी चौंकाया था, अब 2024 में भी इसकी मजबूत संभावना है. 2019 केलोकसभा चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी, तब भी कांग्रेस को कुछ ही महीने बाद विधानसभा चुनावों में 31 सीटें मिली थी. प्रदेश में बीजेपी 10 साल की एंटी इनकंबेंसी का सामना कर रही है, तो टिकट बंटवारे के बाद भी बीजेपी में बगावत के सुर निकलकर सामने आए. एक तरफ जहां 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन से उत्साहित कांग्रेस है तो वहीं दूसरी तरफ लोकसभा की हार का बदला लेने के लिए बीजेपी बेताब. सिर्फ इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी के साथ-साथ जेजेपी और आईएनएलडी भी अपनी क्षेत्रीय विरासत और सियासत को मजबूत करने में लगी हुई हैं.

दरअसल, 5 अक्टूबर को हरियाणा में विधानसभा के चुनाव होने हैं. बीजेपी की कमान नायब सिंह सैनी के हाथों में हैं, जोकि गैर जाट समाज से आते हैं तो वहीं कांग्रेस की बागडोर हरियाणा के पूर्व सीएम और कांग्रेस के कद्दावर जाट नेता भूपेंद्र सिंह के हाथों में हैं.

बागियों को मनाने में लगीं पार्टियां

दोनों ही अपने-अपने जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन आया राम-गया राम की राजनीति के लिए मशहूर हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी के बागी उम्मीदवारों ने अब अपने ही दलों की परेशानियां बढ़ा दी है. यही वजह है कि चाहे बीजेपी हो या फिर कांग्रेस दोनों ही दल रूठों को मनाने की कवायद में जुटे हैं. इसी क्रम में हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी सोनीपत पहुंचे जहां, उन्होंने बीजेपी की पूर्व मंत्री कविता जैन और राजीव जैन से बंद कमरे में मुलाकात की. वहीं अंबाला में नाराज नेताओं को मनाने कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा पहुंचे. इसका असर यह हुआ कि सोनीपत में बीजेपी की बागी राजीव कविता जैन मान गए हैं तो वहीं अंबाला में नाराज नेताओं को दीपेंद्र हुड्डा ने मना लिया है.

भले सोनीपत और अंबाला में कांग्रेस और बीजेपी ने थोड़ी राहत की सांस ली हो, लेकिन दूसरे कई जगहों से बागी उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरकर ताल ठोक रहे हैं, जिसने बीजेपी और कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है. बीजेपी के 45 नेताओं ने पार्टी से बगावत कर चुनावी मैदान में ताल ठोक दी है. वहीं कांग्रेस के 44 नेताओं ने पार्टी से बगावत करते हुए 31 विधानसभा सीटों पर नामांकन किया है. हालांकि, इसमें से कुछ को तो दोनों पार्टियां मनाने में कामयाब हुई है, लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे चेहरे हैं जो दोनों ही दलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

बीजेपी के बागी:

1: रणजीत चौटाला रनिया से पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं और वह इस बार निर्दलीय प्रत्याशी हैं. इनको जेजेपी ने समर्थन का ऐलान कर दिया है. रणजीत ने रनिया की लड़ाई को रोमांचक भी बना दिया है.

2: आदित्य देवीलाल चौटाला आईएनएलडी के डबवाली से प्रत्याशी हैं. टिकट नहीं मिलने पर एक हफ्ते पहले बीजेपी छोड़कर आईएनएलडी में शामिल हो गए और अब दिग्विजय सिंह से मुकाबला करेंगे. यानी चाचा और भतीजा दोनों आमने-सामने होंगे.

3: सावित्री जिंदल हिसार से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर चुकी हैं. कुरुक्षेत्र से बीजेपी के लोकसभा सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल हैं. वह हिसार से बीजेपी से टिकट का दावा कर रही थी, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. वह देश की सबसे अमीर महिला के तौर पर जानी जाती है.

4: बीजेपी को छोड़ तरुण जैन निर्दलीय प्रत्याशी बने हैं. वह कुछ समय पहले तक भाजपा जिला उपाध्यक्ष के पद पर थे, लेकिन उन्होंने इस्तीफा देकर बीजेपी उम्मीदवार डॉ कमल गुप्ता के सामने लड़ने का ऐलान कर दिया है.

5: जिले राम असंध से निर्दलीय उम्मीदवार हैं. उन्होंने 2009 में हरियाणा जनहित कांग्रेस से चुनाव लड़ा और जीते थे, लेकिन 2014 और 2019 में निर्दलीय चुनाव लड़े थे. हालांकि दोनों बार उनको हार मिली. इस बार बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो बागी हो गए और बगावत का झंडा थाम लिया.

6: केहर सिंह रावत हथीन सीट से निर्दलीय उम्मीदवार हैं, वह इस सीट से विधायक भी रहे हैं हैं, लेकिन इस बार बीजेपी ने मनोज रावत को यहां से मैदान में उतार दिया तो इन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी ताल ठोक दी.

7: संदीप गर्ग लाडवा से निर्दलीय प्रत्याशी हैं. यह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हुए थे, लेकिन पार्टी ने सीएम सैनी को यहां से मैदान में उतार दिया है. संदीप गर्ग की समाजसेवी के रूप में एक अच्छी छवि है, जो पार्टी को यहां पर नुकसान पहुंचा सकती है.

8: नवीन गोयल (गुरुग्राम) कभी बीजेपी के साथ थे, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन किया.

9: देवेंद्र कादियान गन्नौर सीट से बीजेपी का टिकट चाहते थे, जो उन्हें नहीं मिला तो वह निर्दलीय मैदान में उतर गए.

10: फरीदाबाद जिले की पृथला सीट से बीजेपी ने टेकचंद शर्मा को उम्मीदवार बनाया तो दीपक डागर नाराज हो गए. उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देकर इंडिपेंडेंट उम्मीदवार के तौर पर पर्चा दाखिल कर दिया.

11: सफीदों से बीजेपी ने जसबीर देसवाल की जगह बचन सिंह आर्य को टिकट दे दिया. बचन सिंह लोकसभा चुनाव के समय में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे. इसी बात से नाराज देसवाल ने बीजेपी छोड़कर निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया.

12: बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो कल्याण चौहान सोहना से निर्दलीय ही उतर गए. यहां पर बड़ी संख्या में राजपूत वोटर हैं, जिसका चौहान को समर्थन हैं.

13: बीजेपी से टिकट न मिलने पर इनेलो में शामिल हुए नागेंद्र भड़ाना INLD-BSP गठबंधन से टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जो फरीदाबाद से बीजेपी उम्मीदवार सतीश फागना की राह में खलल डालेंगे.

कांग्रेस के बागी नेता

1: शारदा राठौर पूर्व मुख्य संसदीय सचिव और बल्लभगढ़ से दो बार की विधायक रह चुकी हैं. इस बार पार्टी ने उन पर भरोसा नहीं जताया और पराग शर्मा को टिकट दे दिया, अब वो निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गई हैं.

2: रोहिता रेवड़ी विधायक रह चुकी हैं और इस बार टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय मैदान में हैं.

3: तिगांव से पूर्व विधायक ललित नागर को पार्टी से टिकट नहीं तो उन्होंने बगावत कर दी.

इस तरह से देखें तो हरियाणा विधानसभा में बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस के सामने बागी बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं. कांग्रेस के लिए राहत की बात ये है कि इस बार उसने अपने सभी मौजूदा विधायकों को मैदान में उतारा है. मुख्यमंत्री पद समेत कुछ चीजों को लेकर पार्टी में खींचतान जरूर देखने को मिली है.

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