Political – J-K: घाटी की वो सीट, जहां मुसलमानों के बराबर हिंदुओं को मिली जीत, 4 बार से नंबर टू पर BJP- #INA
श्रीनगर जिले की चर्चित हब्बा कदल सीट पर दूसरे चरण में वोटिंग होनी है. (Getty Images)
जम्मू-कश्मीर में करीब 10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव के तहत आज दूसरे चरण की वोटिंग कराई जा रही है. इस चरण में राजधानी श्रीनगर समेत 6 जिलों की 26 सीटों पर वोटिंग हो रही है. इसमें भी कई अहम सीटें अपने चुनावी परिणाम की वजह से चर्चा में रही हैं, जिसमें हब्बा कदल विधानसभा सीट भी शामिल है. घाटी में पड़ने वाली यह वो सीट है जहां से अब तक के चुनाव में मुसलमानों और हिंदुओं को बराबर-बराबर जीत मिली है. पिछले 4 चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर आते रहे हैं.
हब्बा कदल क्षेत्र श्रीनगर जिले में पड़ता है. यह क्षेत्र अपने शानदार लकड़ी के पुल की वजह से जाना जाता है जो झेलम नदी को पार कराता है. हब्बा कदल ब्रिज का निर्माण 16वीं सदी में कराया गया था. साल 1551 में शाह मिरी राजवंश के सुल्तान हबीब शाह की ओर से इस पुल को पहली बार बनाया गया था. यह राजधानी श्रीनगर के सात मूल पुलों में से एक है. 1893 में आई भीषण बाढ़ की वजह से पुल को खासा नुकसान पहुंचा था, जिसका तब डोगरा शासकों ने इसका पुनर्निर्माण कराया था. पिछले एक दशक के दौरान 2 बार पुल का नवीनीकरण कराया जा चुका है.
92% वोट से हिंदू प्रत्याशी को मिली जीत
श्रीनगर का डाउनटाउन एरिया कहा जाने वाला यह क्षेत्र अलगाववाद और पत्थरबाजी का केंद्र हुआ करता था, लेकिन अब यहां पर शांति है. दूसरे चरण के तहत यहां पर वोटिंग कराई जा रही है. हब्बा कदल सीट पर 16 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है, जबकि यहां पर 21 उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी दाखिल की थी. 21 में से एक ने नाम वापस ले लिया तो 4 की दावेदारी खारिज ही हो गई.
साल 1962 में यहां पर पहली बार हुए विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक 10 चुनाव कराए गए हैं जिसमें 5 बार हिंदुओं को तो 5 बार मुसलमानों को जीत मिली. यहां पर जीत की शुरुआत भी हिंदू प्रत्याशी ने की थी. 1962 के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के दुर्गा प्रसाद धर ने 91.77 फीसदी मतों के अंतर से यह जीत हासिल की थी. दुर्गा प्रसाद को कुल 19,923 वोटर्स में से 14,495 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी डेमोक्रेटिक नेशनल कॉन्फ्रेंस (डीएनसी) पार्टी के गुलाम मोहम्मद मलिका को महज 516 वोट मिले. दुर्गा प्रसाद 13,979 मतों के अंतर से विजयी हुए.
जब पहले 2 स्थान पर रहे हिंदू प्रत्याशी
साल 1967 के चुनाव में यहां पर तो 2 हिंदू प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला रहा था. कांग्रेस ने यहां पर एसके कौल को उतारा तो नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएन) ने आरएन कौल को खड़ा किया. एसके कौल ने 1,931 मतों के अंतर से आरएन कौल को हराया था. 1972 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी गुलाम मोहम्मद भट ने बतौर मुसलमान पहली बार जीत हासिल की.
गुलाम मोहम्मद भट ने भारतीय जनसंघ के टीकालाल को 1,626 मतों के अंतर से हराया था. गुलाम मोहम्मद बाद में नेशनल कॉन्फ्रेंस में आ गए और फिर 1977 तथा 1983 के चुनाव में जीत हासिल कर अपनी हैट्रिक भी पूरी की. इन चुनावों में भी हिंदू प्रत्याशी दूसरे नंबर पर ही रहा.
पहली बार जब दूसरे नंबर पर रही BJP
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 1987 के चुनाव में प्यारे लाल हांडू को मैदान में उतारा और वह भी विजयी रहे. हांडू ने 1,289 मतों के अंतर से निर्दलीय प्रत्याशी मुश्ताक अहमद को हराया था. इस चुनाव के बाद घाटी में आतंकवाद और हिंसा का दौर शुरू हो गया. फिर करीब 9 साल बाद 1996 में विधानसभा चुनाव कराया गया. तब भी प्यारे लाल हांडू ने जीत हासिल की थी. प्यारे लाल ने बीजेपी की प्रत्याशी सरला तापलू को 4,015 मतों के अंतर से हराया था.
2002 में 2 हिंदुओं में टक्कर, 171 मतों से हारे
साल 2002 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रमन मट्टू मैदान में उतरे और वह भी विजयी रहे थे. रमन ने बीजेपी के हीरा लाल चट्टा को कड़े मुकाबले के बाद महज 171 मतों के अंतर से हराया था. हालांकि हब्बा कदल सीट से रमन मट्टू चुनाव जीतने वाले आखिरी हिंदू प्रत्याशी रहे. इसके बाद यहां पर 2008 और 2014 में कराए गए विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर शमीमा फिरदौस ने जीत हासिल की.
शमीमा ने साल 2008 में बीजेपी के हीरा लाल चट्टा को कड़े मुकाबले में हराया था. विधायक रमन मट्टू छठे स्थान पर खिसक गए थे. साल 2014 के चुनाव में यहां पर हुए आखिरी चुनाव में भी बीजेपी के प्रत्याशी मोती कौल को शमीमा के हाथों संघर्षपूर्ण मुकाबले में 2,359 मतों से हार का सामना करना पड़ा था. 1996 से लगातार 4 चुनावों में बीजेपी के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे हैं. 1967 के बाद अब तक कांग्रेस को यहां पर जीत भी नहीं मिली है.
1990 से पहले यहां 90 फीसदी रहते थे हिंदू
हब्बा कदल घाटी के चर्चित स्थलों में से एक है. यहां पर मस्जिद के साथ-साथ कई प्रतिष्ठित मंदिर भी हैं. 1990 के अंत में घाटी में आतंकवाद फैलने से पहले बड़ी संख्या (90 प्रतिशत) में कश्मीरी पंडित रहा करते थे. हालांकि अभी भी यहां पर कश्मीरी पंडित चुनाव में निर्णायक की भूमिका निभाते हैं.
साल 2024 के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जहां 2 बार की विधायक शमीमा फिरदौस पर भरोसा जताया है तो बीजेपी ने अशोक कुमार भट को मैदान में उतारा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस इस बार कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है और गठबंधन के तहत यह सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस के खाते में आई है. समाजवादी पार्टी ने महमूद फारूक खान को तो पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के आरिफ इरशाद लायग्रू को खड़ा किया है. लेकिन मुख्य मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी के बीच ही माना जा रहा है.
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