Political – हरियाणाः लालू के दामाद, मैदान में लाल परिवार के 13 ‘लाल’, दांव पर कई खिलाड़ियों की किस्मत- #INA
हरियाणा में कई बड़े चेहरों की किस्मत दांव पर
हरियाणा में विधानसभा चुनाव प्रचार आज गुरुवार को बड़े दलबदल के साथ थम गया. करीब 8 महीने पहले कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में आए अशोक तंवर ने फिर से पाला बदलते हुए अपनी पुरानी पार्टी में घर वापसी कर लिया. 90 सदस्यीय विधानसभा में इस बार के चुनाव में कई राजनीतिक घरानों की किस्मत दांव पर लगी है तो कई खिलाड़ी भी इस चुनावी समर में ताल ठोंक रहे हैं. लालू के दामाद भी यहां से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
हरियाणा के चुनाव अपने ‘लाल’ की वजह से खासतौर पर जाने जाते हैं. यहां की सियासत में ‘लाल’ नाम से 3 बड़े ब्रांड हैं, बंसीलाल, देवीलाल और भजनलाल. तीनों राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं. इस बार के चुनाव में अकेले इन 3 परिवारों के 13 सियासी वारिस जनता के दरबार में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. कहीं भाई-बहन तो कहीं चाचा-भतीजा तो कहीं दादा-पोते के बीच कड़ा मुकाबला है. खेल की दुनिया में नाम कमाने वाले कई बड़े चेहरों का भी भविष्य दांव पर लगा है.
रेवाड़ी में लालू के दामाद पर नजर
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस 90 में से 89 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों ही दल सत्ता पर काबिज होने की कोशिशों में जुटी हैं. रेवाड़ी जिले की रेवाड़ी विधानसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने के आसार हैं. यहां से कांग्रेस ने चिंरजीव राव को मैदान में उतारा है जो यहां के सिटिंग विधायक भी हैं. उनके साथ खास बात यह जुड़ी है कि वह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं.
चिरंजीव राव लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की छठी बेटी अनुष्का यादव के पति हैं. वह प्रदेश के रसूखदार यादव परिवार से नाता रखते हैं. उनके पिता कैप्टन अजय यादव भी यहां से लगातार 6 बार चुनाव जीत चुके हैं और वह राज्य के पूर्व मंत्री भी रहे हैं.
खेल के मैदान से चुनाव के मैदान तक
हरियाणा अपने दिलचस्प चुनाव परिणाम के लिए जाना जाता है. यहां पर कम से कम 3 बड़े खिलाड़ी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. जाट लैंड कहे जाने वाले रोहतक की चर्चित मेहम विधानसभा सीट से भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान मैदान में हैं. भारतीय जनता पार्टी ने यहां से कबड्डी के पूर्व कप्तान दीपक राम निवास हुड्डा को मैदान में उतारा है. अर्जुन पुरस्कार विजेता दीपक राम देश के बेहतरीन कबड्डी खिलाड़ियों में शुमार किए जाते हैं. वह प्रोफेशनल कबड्डी खिलाड़ी भी हैं. अतंरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीतने वाली टीम इंडिया से सदस्य भी रहे हैं.
खेल के मैदान से सियासी पिच पर सबसे अहम मुकाबला जींद जिले की जुलाना सीट है. कांग्रेस ने यहां पर दिग्गज पहलवान विनेश फोगाट को उतारा है. राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी ने हाल में हुए पेरिस ओलंपिक के कुश्ती (50 kg) के फाइनल में पहुंचने में कामयाब रही थीं लेकिन खिताबी मुकाबले से पहले उन्हें अधिक वजन की वजह से डिस्क्वालीफाई कर दिया गया. अब वह राजनीति में पदक जीतने की कवायद में हैं और आम आदमी पार्टी ने यहां से प्रोफेशनल रेसलिंग WWE में कामयाब रहीं कविता दलाल को उतारा है.
‘लाल’ परिवार के 13 वारिस मैदान में
प्रदेश की सियासत में ‘लाल’ परिवार के आगे किसी का कोई वजूद नहीं है. यहां पर 3 ‘लाल’ परिवारों ने लंबे समय तक दबदबा बनाए रखा है. पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल, भजन लाल और बंसी लाल तीनों प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं और अब उनके वारिस प्रदेश की राजनीति में ताल ठोंकते नजर आ रहे हैं. ‘लाल’ परिवार का किस कदर दबदबा है, इससे ऐसा समझा जा सकता है कि अकेले देवी लाल के परिवार से 8 नेता चुनाव लड़ रहे हैं.
ताऊ देवी लाल का परिवारिक घराना प्रदेश की सियासत में सबसे बड़ा घराना है. इसकी चौथी पीढ़ी भी चुनावी किस्मत आजमा रही है. देवी लाल का परिवार चौटाला बिरादरी से नाता रखता है और इस बार परिवार से 8 नेता अलग-अलग दलों के साथ चुनाव मैदान में उतरे हैं. चौधरी रणजीत सिंह चौटाला निर्दलीय मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं तो दुष्यंत सिंह चौटाला और दिग्विजय सिंह चौटाला जननायक जनता पार्टी के टिकट से मैदान में हैं. पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अभय सिंह चौटाला (ऐलानाबाद सीट) इंडियन नेशनल लोक दल के साथ चुनाव लड़ रहे हैं.
कई सीटों पर ‘लाल’ परिवार के बीच जंग
रसूखदार चौटाला परिवार की बहू सुनैना चौटाला फतेहाबाद जिले की फतेहाबाद सीट से आईएनएलडी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. देवी लाल के पोते आदित्य चौटाला के अलावा परिवार से नाता रखने वाली नई पीढ़ी के रूप में अर्जुन चौटाला और अमित सिहाग भी चुनाव लड़ रहे हैं. डबवाली सीट पर पारिवारिक मुकाबला है. यहां पर चाचा-भतीजे की लड़ाई है.
दिग्विजय सिंह चौटाला जननायक जनता पार्टी के उम्मीदवार हैं, जबकि दिग्विजय के चाचा आदित्य चौटाला आईएनएलडी के टिकट पर डबवाली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं . दिग्विजय के भाई अमित सिहाग यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. कांग्रेस के अमित सिहाग मौजूदा विधायक हैं.
डबवाली सीट की तरह रानिया सीट पर भी चौटाला परिवार की लड़ाई भी देखने को मिल रही है. ओम प्रकाश चौटाला के भाई चौधरी रणजीत चौटाला इस सीट से विधायक हैं. वे बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वे बागी हो गए और उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. यहीं से आईएनएलडी ने अभय सिंह चौटाला के बेटे और रणजीत चौटाला के पोते अर्जुन चौटाला को मैदान में उतारा है
मैदान में भजन लाल का भी परिवार
प्रदेश की सियासत में एक और दिग्गज ‘लाल’ परिवार यानी भजन लाल परिवार से 3 वारिस चुनावी समर में किस्मत आजमा रहे हैं. पूर्व सीएम भजन लाल के छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई का भविष्य दांव पर लगा है. वह हिसार जिले की आदमपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं. यहां से कुलदीप बिश्नोई 4 बार चुनाव जीत चुके हैं.
भजन लाल के बड़े बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन कांग्रेस के टिकट पर पंचकूला सीट चुनाव लड़ रहे हैं. पूर्व सीएम के भतीजे दुरा राम भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. वह बीजेपी के टिकट से फतेहाबाद सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले दुरा राम 2 बार विधायकी का चुनाव जीत चुके हैं.
बंसी लाल के पोता-पोती के बीच जंग
यहां का बंसी लाल परिवार भी अपनी सियासी जमीन बचाए रखने की कवायद में जुटा है. हालांकि परिवार के दो सदस्य आपस में ही भिड़ते दिख रहे हैं. यहां पर पोता-पोती के बीच ही जंग है. भिवानी जिले की तोशम सीट से बंसी लाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं. उनके सामने उनकी चचेरी बहन चुनौती पेश कर रही हैं.
यहीं से बंसी लाल के ही छोटे बेटे सुरेंद्र चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ रही हैं. श्रुति कुछ समय पहले ही अपनी मां किरण चौधरी के साथ बीजेपी ज्वाइन किया था. श्रुति 2009 में लोकसभा सांसद चुनी गई थीं. वहीं अनिरुद्ध के पिता रणबीर महेंद्रा बीसीसीआई के चेयरमैन रहे हैं.
इनके अलावा भी कई अन्य राजनीतिक घराने भी चुनावी मैदान में हैं. रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला भी कैथल सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. यहां से उनके पिता और दादा दोनों ही चुनाव जीत चुके हैं.
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