Political – Haryana Election Result 2024: क्या हुड्डा, सैलजा और सुरजेवाला की अदावत ने कांग्रेस को कमजोर कर दिया?- #INA

हरियाणा के चुनाव में एक बार फिर से बीजेपी की जीत हो रही है

हरियाणा विधानसभा चुनाव के अभी तक के रुझानों और नतीजों में बीजेपी पूर्ण बहुमत की ओर बढ़ रही है. विपक्षी पार्टी कांग्रेस को एक बार फिर से विपक्ष की भूमिका निभानी होगी. रुझानों में कांग्रेस 25 सीटों पर जीत हासिल कर चुकी है, जबकि 11 सीटों पर आगे चल रही है. दूसरी ओर बीजेपी 27 सीट जीत चुकी है और 22 सीटों पर आगे चल रही है. मतलब साफ है कि हरियाणा में बीजेपी की सीएम बदलने की रणनीति सफल रही है.

एग्जिट पोल के सर्वे के बाद से हरियाणा में कांग्रेस पूरे उत्साह में थी कि इस बार उसकी वापसी हो रही है, लेकिन इस चुनाव ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि फिलहाल बीजेपी से अकेले टक्कर लेना कांग्रेस के बस की बात नहीं है. हालांकि, यह कहना भी गलत नहीं होगा कि हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई का फायदा सीधे-सीधे बीजेपी को मिला है. टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार तक, कांग्रेस तीन हिस्सों में बंटी नजर आई. एक खेमा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का था तो दूसरा कुमारी सैलजा और तीसरा रणदीप सुरजेवाला का था.

चुनाव प्रचार के बीच सीएम फेस को लेकर शुरू हो गई थी खींचतान

माना जा रहा है कि हुड्डा-सैलजा और सुरजेवाला के बीच अदावत की वजह से कांग्रेस कमजोर पड़ गई. हुड्डा की गिनती हरियाणा में बड़े जाट राजनेताओं में होती है तो दूसरी ओर सैलजा बड़ी दलित नेता हैं. तीसरे नंबर पर सुरजेवाला रहे जो गाहे बगाहे सीएम पद को लेकर दावा ठोकते हुए नजर आए थे. राज्य की 90 विधानसभा सीटों के लिए हुए टिकट बंटवारे में भी इन्हीं तीनों नेताओं की चली थी जिसमें हुड्डा सबसे आगे थे.

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चुनाव प्रचार के बीच दिल्ली पहुंच गए थे नेता

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चल ही रहा था कि मुख्यमंत्री फेस को लेकर खींचतान शुरू हो गई थी. हुड्डा सीएम फेस पर फैसला हाईकमान पर छोड़ते रहे, दूसरी ओर कुमारी सैलजा को खुद को सीएम पद का दावेदार बोलने में पीछे नहीं हटीं. सुरजेवाला भी सीएम फेस को लेकर सियासी बैटिंग करते रहे. नौबत ये आ गई थी कि सैलजा और सुरजेवाला नाराज होकर दिल्ली पहुंच गए थे जबकि हुड्डा अकेले चुनाव प्रचार करते रहे. काफी मान मनौव्वल के बाद दोनों नेता हरियाणा वापस लौटे थे.

कांग्रेस नेताओं के बीच खटपट का फायदा बीजेपी को मिला

माना जा रहा है कि हरियाणा कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं के बीच खटपट से पार्टी को नुकसान पहुंचा है. इसका फायदा बीजेपी को तो मिला ही साथ ही साथ आम आदमी पार्टी और बसपा को भी फायदा हुआ और उसके वोट प्रतिशत बढ़ गए हैं. कांग्रेस के वोट प्रतिशत में नुकसान होता दिख रहा है. चुनावी नतीजों के बीच कुमारी सैलजा ने कहा भी कि हाईकमान को हरियाणा पर ध्यान देना चाहिए था. सब कुछ होते हुए भी साथ चुनाव लड़ा, लेकिन कार्यकर्ताओं की मेहनत पर पानी फिर गया. चुनाव नतीजे निराश करने वाले हैं.

बीजेपी-कांग्रेस दोनों 89-89 सीटों पर मैदान में थी

इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की काफी कोशिश की थी, लेकिन बात नहीं बन पाई थी. इसके बाद कांग्रेस अकेले हरियाणा की 90 में से 89 सीटों पर मैदान में उतरी थी. बीजेपी भी 89 सीटों पर मैदान में उतरी थी. जेजेपी और आजाद समाज पार्टी के बीच गठबंधन था, जो सफल नहीं हो पाया. आईएनएलडी भी कोई बड़ा उलटफेर नहीं कर पाई.

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विनेश फोगाट को लाने में हुड्डा की भूमिका अहम थी

माना जाता है कि विनेश फोगाट और रामकरण काला की पार्टी में एंट्री के पीछे भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा का ही हाथ था. भूपेंद्र से सहमति मिलने के बाद ही इन्हें पार्टी में शामिल किया गया. विनेश फोगाट जुलाना सीट से जीत हासिल करने में सफल भी रही हैं. सैलजा और रणदीप सुरजेवाला की पसंद के उम्मीदवारों का भी ख्याल रखा गया. पार्टी ने हुड्डा खेमे के 23 विधायकों को दोबारा मैदान में उतारा था. सैलजा के चार-पांच पसंद नेताओं को भी पार्टी ने टिकट दिया. वहीं, रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला को पार्टी ने कैथल सीट से मैदान में उतारा.

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