Political – विनोद तावड़े के 5 किस्से: मंत्री रहते टिकट कटा, फर्जी डिग्री का आरोप, अब कैश फॉर वोट में फंसे- #INA
विनोद तावड़े
महाराष्ट्र में मतदान से ठीक पहले वोट के बदले कैश बांटने के आरोपी बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े पूरे देश में सुर्खियां बंटोर रहे हैं. चुनाव आयोग की तरफ से एफआईआर की कार्रवाई करने के बाद तावड़े विपक्ष के रडार पर हैं. एक तरफ जहां राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस और विपक्ष के बड़े नेता तावड़े के जरिए बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं.
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी तावड़े के बचाव में पूरी मजबूती से जुटी है. पार्टी का कहना है कि तावड़े के खिलाफ षड्यंत्र किया जा रहा है. हालांकि, यह पहला मामला नहीं है, जब तावड़े किसी विवादों की वजह से सुर्खियों में हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले तावड़े पहले भी 5 मौकों पर सियासी चर्चा में रह चुके हैं.
1. पहली बार विधायक बने, कैबिनेट में जगह
2014 में पहली बार विनोद तावड़े विधायक चुने गए. उन्हें बीजेपी ने मुंबई के बोरेवली सीट से उम्मीदवार बनाया था. बोरेवली सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. विधायक चुने जाने के बाद विनोद तावड़े को महाराष्ट्र सरकार में शामिल किया गया.
तावड़े को उस वक्त सबसे अहम शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी दी गई. तावड़े को इसके अलावा परिवहन, अल्पसंख्यक, बॉर्डर सुरक्षा और संसदीय कार्य जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी दी गई.
सियासी गलियारों में उस वक्त तावड़े के कद को देखते हुए उन्हें सीएम पद के दावेदार के रूप में भी पेश किया गया था.
2. डिग्री को लेकर विवाद में आ चुके हैं
2015 में एक रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि विनोद तावड़े के पास इंजीनियरिंग की जो डिग्री है, वो फर्जी है. इस मसले को लेकर महाराष्ट्र की सियासत में खूब बवाल मचा. विपक्ष ने उस वक्त कई दिनों तक सदन से सड़क तक हंगामा मचाए रखा.
आरोप के मुताबिक विनोद तावड़े ने ज्ञानेश्वर विद्यापीठ पुणे से बीई (इलेक्ट्रॉनिक्स) की डिग्री हासिल की हुई है. इस डिग्री को सरकार की तरफ से मान्यता नहीं दी गई. तावड़े के बचाव के लिए उस वक्त देवेंद्र फडणवीस को मैदान में उतरना पड़ा.
तावड़े ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी डिग्री के बारे में विस्तार से बताया. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि मैंने जो जानकारी दी है, वो सही है.
3. फडणवीस से अनबन और टिकट कटा
2018 आते-आते देवेंद्र फडणवीस और विनोद तावड़े के बीच सियासी दूरियां बढ़ने लगी. कई मौकों पर दोनों के सुर एक दूसरे के मुकाबले बदले-बदले से थे. कहा जाता है कि तावड़े उस वक्त अपने पोस्टर पर सिर्फ नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाते थे, जो यह संकेत देता था कि अब भी वे सीएम की रेस में शामिल हैं.
हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में तावड़े के साथ खेल हो गया. उन्हें बीजेपी ने सिंबल ही नहीं दिया. तावड़े सरकार के पहले वरिष्ठ मंत्री थे, जिनका टिकट काट दिया गया था.
टिकट कटने के बाद तावड़े सियासत में साइड लाइन हो गए. 2 साल तक वे महाराष्ट्र की राजनीति में अलग-थलग रहे.
4. प्रमोशन मिला तो हाईकमान के करीब आए
2021 में भूपेंद्र यादव के मंत्री बनने के बाद विनोद तावड़े को प्रमोशन मिला. उन्हें जेपी नड्डा की टीम में राष्ट्रीय महासचिव की कुर्सी दी गई. तावड़े बिहार के प्रभारी नियुक्त किए गए. तावड़े इसके बाद बीजेपी हाईकमान के करीब आ गए.
2024 से पहले विनोद तावड़े ने नीतीश कुमार को एनडीए वापसी कराने में बड़ी भूमिका निभाई. लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया और नीतीश अभी सरकार में किंगमेकर की भूमिका में हैं.
5. कैश फॉर वोट में फंसे, सफाई देते फिर रहे
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े को संगठन का नेता माना जाता है. संगठन के लूपहोल खत्म करने में तावड़े बड़ी भूमिका निभाते हैं. महाराष्ट्र के चुनाव में भी उन्हें कील-कांटे दुरुस्त करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन मतदान से ठीक 24 घंटे पहले एक वीडियो ने उनकी टेंशन बढ़ा दी है.
तावड़े पर नालासोपारा विधानसभा में बीजेपी उम्मीदवार के साथ मिलकर 5 करोड़ रुपए बंटवाने का आरोप है. तावड़े इस मामले में सफाई दे रहे हैं. तावड़े का कहना है कि मामले में जांच कराकर आयोग सख्त कार्रवाई कर सकती है.
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