Political – राजस्थान के बाद अब हरियाणा चुनाव…जाटलैंड में हाथ आजमा रहे चंद्रशेखर, क्यों किनारा कर रहे जयंत चौधरी – Hindi News | Jayant Chaudhary RLD Not Fight Haryana Chunav After Rajasthan Ahead MP Chandrashekhar Enter Jatland- #INA

जाटलैंड में हाथ आजमा रहे चंद्रशेखर, क्यों किनारा कर रहे जयंत चौधरी?

हरियाणा के चुनावी रण में यूपी की 3 पार्टियां ताल ठोकने के लिए तैयार हैं. इनमें चंद्रशेखर की नई नवेली पार्टी आजाद समाज पार्टी भी है, लेकिन जाटलैंड में जयंत चौधरी का चुनाव नहीं लड़ना सुर्खियों में है. एनडीए में आने के बाद से ही जयंत यूपी छोड़ अन्य राज्यों से दूरी बनाने में लगे हैं.

पहले जयंत की पार्टी ने लोकसभा में राजस्थान से उम्मीदवार नहीं उतारा और अब विधानसभा में हरियाणा से लड़ने को तैयार नहीं है. वो भी तब, जब जयंत ने आरएलडी को क्षेत्रीय पार्टी बनाने का लक्ष्य रख रखा है. 2023 में आरएलडी से क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा छीन गया था.

विपक्ष में रहते राजस्थान में लड़े थे चुनाव

विपक्ष की इंडिया गठबंधन में रहते हुए जयंत चौधरी ने राजस्थान का चुनाव लड़ा था. उनकी पार्टी को राजस्थान की भरतपुर सीट मिली थी. पार्टी ने यहां से सुभाष गर्ग को उतारा था, जिन्हें जीत मिली थी.

2018 में भी आरएलडी को कांग्रेस ने समझौते में यह सीट दी थी. इतना ही नहीं, विधायक चुने जाने के बाद सुभाष गर्ग को अशोक गहलोत कैबिनेट में जगह भी मिली थी.

2023 के बाद हरियाणा में आरएलडी निष्क्रिय

2023 तक हरियाणा में राष्ट्रीय लोकदल जमीन पर थोड़ी-बहुत एक्टिव थी, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक बलवीर ग्रेवाल के निधन के बाद पार्टी यहां पूरी तरह से निष्क्रिय हो गई. हरियाणा में इसके बाद न तो आरएलडी ने नई टीम नियुक्त की और न ही कोई प्रयास किए.

लोकसभा चुनाव दौरान जयंत चौधरी हरियाणा में कुछ जगहों पर जरूर गए, लेकिन वहां पर सिर्फ बीजेपी के उम्मीदवारों के प्रचार करने के लिए.

जयंत के केंद्र में मंत्री बनने के बाद आरएलडी यूपी, हरियाणा और राजस्थान में संगठन विस्तार की तैयारी में थी, लेकिन हरियाणा में जल्द ही चुनाव की घोषणा ने पार्टी की अरमानों पर पानी फेर दिया.

जयंत हाल ही में जननायक जनता पार्टी के अजय सिंह चौटाला से मिले थे. इसकी तस्वीर भी वायरल हुई थी और कहा जा रहा था कि वे चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन जयंत ने अब तक इसकी कोई घोषणा नहीं की है.

मैदान में आने से क्यों कतरा रहे जयंत?

1. अजित सिंह के रहते हुए राष्ट्रीय लोकदल ने हरियाणा में जाटों के बीच पैठ बनाने की कोशिश की थी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पाई. वजह देवीलाल का परिवार था. 1990 से लेकर 2014 तक हरियाणा में जाटों के बीच देवीलाल परिवार का दबदबा था. इसी तरह देवीलाल के परिवार को पश्चिमी यूपी में सफलता नहीं मिल पाई. कहा जाता है कि इसके बाद से ही दोनों अपने-अपने क्षेत्र में सिमट कर रह गए.

2. 2024 के चुनाव से पहले जयंत चौधरी बीजेपी में आ गए. इससे जाटों के एक वर्ग पहले से ही उनसे नाराज चल रहे हैं. जयंत ने हाल ही विनेश फोगाट को लेकर एक पोस्ट किया था, जिसमें एक यूजर ने लिखा था कि इसकी रीढ़ आपसे मजबूत है. इस पर जयंत ने जवाब देते हुए कहा था- हां, सच में.

3. जयंत चौधरी अभी एनडीए में हैं. बीजेपी ने गठबंधन के तहत उन्हें सीटें नहीं दी है. कहा जा रहा है कि ऐसे में जयंत के लिए चुनाव जीतना मुश्किल हो सकता था. किरकिरी होने के साथ-साथ बीजेपी के नाराज होने का भी खतरा था. 2022 के यूपी चुनाव में बिहार में तह एनडीए की साझेदार रही मुकेश सहनी की पार्टी बिना पूछे मैदान में उतर गई थी. चुनाव बाद मुकेश सहनी के साथ बीजेपी ने अलग ही खेल कर दिया.

4. चुनाव में एकतरफ जहां कोई बड़ी सफलता नहीं मिलने की उम्मीद थी, वहीं दूसरी तरफ इससे रिसोर्स की भी बर्बादी होती. कहा जा रहा है कि इन्हीं सब कारणों से जयंत ने चुनाव में नहीं जाने का फैसला किया है.

यूपी की ये पार्टियां हरियाणा चुनाव में

चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी के साथ-साथ मायावती की बहुजन समाज पार्टी और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी भी हरियाणा में चुनाव लड़ने जा रही है. बीएसपी ने जहां इंडियन नेशनल लोक दल के साथ गठबंधन किया है. वहीं समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाहती है.

हालांकि, सपा को कांग्रेस ने अभी साथ लड़ने की हरी झंडी नहीं दी है. सपा गुरुग्राम और फरीदाबाद के अहिर बेल्ट में ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार उतारना चाहती है. वहीं बीएसपी की नजर दलितों बाहुल्य सीटों पर हैं.

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