Political – कौन हैं कांग्रेस के रवींद्र चव्हाण जो नांदेड़ में हारते-हारते आखिर में BJP से जीत गए- #INA
रविन्द्र वसंतराव चव्हाण
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे कल सामने आए, इसके साथ ही देश की कई विधानसभा सीटों और 2 लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के भी नतीजे आए. महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रविन्द्र वसंतराव चव्हाण ने 1457 वोटों से जीत हासिल की है. बीजेपी के प्रत्याशी संतुकराव हंबर्डे एक समय तक 35000 वोटों की लीड लिए हुए थे, लेकिन आखिरी के कुछ राउंड ने पूरे चुनाव का पाला ही पलट गया. कांग्रेस को 586788 वोट मिले, जबकि बीजेपी प्रत्याशी हंबर्डे को 585331 वोट प्राप्त हुए.
दरअसल यह सीट कांग्रेस सांसद वसंतराव चव्हाण के निधन से खाली हो गई थी. लोकसभा चुनाव के 2 महीनों के बाद ही कांग्रेस सांसद वसंतराव चव्हाण का निधन हो गया था. उपचुनाव में कांग्रेस ने यहां से उनके बेटे को मैदान में उतारा था. बीजेपी ने यहां से संतुकराव मारोतराव को अपना प्रत्याशी बनाया था. हालांकि दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला.
पीएम मोदी के दावे के बाद हार गई बीजेपी
दिल्ली बीजेपी मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नांदेड़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव का भी जिक्र किया. उन्होंने भाषण के दौरान दावा कि महाराष्ट्र की नांदेड़ में जीत के साथ महाराष्ट्र में बीजेपी के लोकसभा सीटों का आंकड़ा 9 से बढ़कर 10 हो गया है. हालांकि तब तक इस सीट का फाइनल रिजल्ट सामने नहीं आया था. पीएम की स्पीच की कुछ समय बाद रिजल्ट आया जिसमें बीजेपी यह सीट हार चुकी थी, पीएम मोदी के दावे के पीछे की वजह ये भी थी कि इस सीट पर बीजेपी एक समय पर बड़े मार्जिन से आगे चल रही थी.
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कैसा था वसंतराव चव्हाण का राजनीतिक सफर
नांदेड़ जिले के नायगांव में जन्मे वसंतराव चव्हाण लंबे समय तक ग्राम पंचायत सदस्य रहे और बाद में 1990 और 2002 में जिला परिषद सदस्य बने थे. वे 2002 में महाराष्ट्र विधान परिषद के लिए चुने गए और नायगांव विधानसभा सीट से राज्य विधानसभा के सदस्य बने. वे 2009 से 2014 तक विधायक भी रहे, वे 2021 से 2023 तक नांदेड़ जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष भी रहे.69 साल की उम्र में साल 2024 के लोकसभा चुनाव में नांदेड़ लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे, लेकिन चुनाव के दो महीने बाद ही किडनी की बीमारी के चलते उनका निधन हो गया था. अब इस लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उनके बेटे रवींद्र चव्हाण ने जीत दर्ज की है.
नांदेड़ में घट गया कांग्रेस के जीत का मार्जिन
लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस ने वसंतराव चव्हाण को मैदान उतारा था, उस चुनाव में चव्हाण ने बीजेपी उम्मीदवार प्रतापराव चिखलीकर को 59 हजार से अधिक वोटों से चुनाव में शिकस्त दी थी, लेकिन यहां हुए उपचुनाव में कांग्रेस की जीत का मार्जिन सिमट गया. इस सीट से वसंतराव चव्हाण के बेटे रविन्द्र चव्हाण महज 1457 वोटों से चुनाव जीत पाए. मतगणना के दौरान एक समय ऐसा माना जा रहा था कि यह सीट कांग्रेस के हाथों से निकल गईं, लेकिन शाम होते होते यहां से कांग्रेस ने मामूली अंतर से जीत दर्ज कर ली.
क्या है नांदेड़ लोकसभा सीट का इतिहास
साल 2014 में नांदेड लोकसभा सीट पर बीजेपी के निवर्तमान सांसद प्रतापराव पाटिल चिखलीकर और कांग्रेस के प्रत्याशी वसंत चह्वाण के बीच मुकाबला था. वसंत चह्वाण ने 59,442 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. वसंत को चुनाव में 5,28,894 वोट मिले थे, जबकि प्रतापराव पाटिल चिखलीकर को 4,69,452 वोट आए थे. नांदेड़ राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से एक होने के साथ एक जिला भी है.
साल 2019 के संसदीय चुनाव में यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई और प्रतापराव गोविंदराव चिखलीकर सांसद बने. चिखलीकर को 486,806 वोट मिले जबकि कांग्रेस के अशोक चव्हाण को 4,46,658 वोट मिले.
नांदेड़ के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं. इस सीट पर 1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव कराए गए थे, तब कांग्रेस के उम्मीदवार शंकरराव टेलकीकर को जीत हासिल हुई थी. फिर 1957 के चुनाव में कांग्रेस ने देवराव नामदेवराव कांबले को टिकट दिया और वो विजयी हुए. 1962 में कांग्रेस के तुलसीदास जाधव को जीत हासिल हुई. 1967 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां से अपना प्रत्याशी बदला और वेंकटराव तिरोडकर को मैदान में उतारा और वह भी विजयी रहे.
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