Tach – कौन है ‘डिजिटल युग का मच्छर’, रोज काटता पर हम ध्यान नहीं देते, नहीं छोड़ी ये आदत तो कर देगा बीमार

Tech Knowledge: मच्छर के काटने से डेंगू और मलेरिया जैसे जानलेवा बुखार आता है इसलिए लोग मच्छर से बचने के लिए तर-तरह के उपाय करते हैं. इन मच्छरों को तो हम मार देते हैं लेकिन, डिजिटल मच्छरों से घिरे रहते हैं. 24 घंटे और 7 दिन इस मच्छर को हम साथ में लेकर चलते हैं. क्या आप इस डिजिटल मच्छर के बारे में जानते हैं. ये डिजिटल मच्छर कोई और नहीं बल्कि हमारी जेब में रखा मोबाइल है. जो एक गलत आदत की वजह से हमें बीमार कर सकता है. दरअसल हम मोबाइल के आदि हो चुके हैं. स्मार्टफोन मानो हमारा शरीर का अंग हो गया है. चलते-फिरते हम हमेशा कुछ साथ रखें या ना रखें लेकिन मोबाइल जरूर साथ में लेकर चलेंगे. लेकिन, हम मोबाइल ऐसे जगह भी साथ लेकर चले जाते हैं जहां उसे ले जाना खतरे से खाली नहीं है. अक्सर लोग, टॉयलेट और लैट्रिन में मोबाइल साथ लेकर जाते हैं और काफी देर तक स्मार्टफोन पर चैटिंग या वीडियो देखते रहते हैं. यह आदत आपको कुछ देर के लिए मजा दे सकती है लेकिन आपकी सेहत के लिए बड़ी घातक है.

एक स्टडी के अनुसार, 10 में से 6 लोग काम के दौरान मोबाइल फोन को टॉयलेट में ले जाते हैं. ज्यादातर युवा टॉयलेट में बैठकर सोशल मीडिया पर चैट करते हैं. आइये आपको बताते हैं आखिर टॉयलेट में मोबाइल लेकर बैठने से क्या नुकसान होते हैं.

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बीमार बना देगी ये आदत

टॉयलेट में जब कोई व्यक्ति मोबाइल लेकर जाता है तो वहां मौजूद बैक्टीरिया और कीटाणु भी उनके हाथों के जरिए से स्मार्टफोन की सरफेस पर आ जाते हैं. इसके बाद पूरे दिन लगातार स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से ये बैक्टीरिया हमारे मुंह, आंखों और नाक के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं. एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ये कीटाणु मोबाइल फोन की स्क्रीन पर 28 दिनों तक जिंदा रह सकते हैं यानी करीब एक महीने तक आप कभी-भी इन कीटाणु और बैक्टीरिया के संक्रमण का शिकार हो सकते हैं.

इंफेक्शन कंट्रोल स्पेशलिस्ट डॉ. ह्यूग हेडन ने एक रिपोर्ट में बताया, “यह एक बड़ा फैक्ट है कि स्मार्टफोन में टॉयलेट सीट की तुलना में दस गुना अधिक कीटाणु हो सकते हैं. क्योंकि, मोबाइल के टचस्क्रीन को संक्रामक रोग के वाहक के रूप में ‘डिजिटल युग का मच्छर’ कहा गया है.” उन्होंने कहा कि जब हम टॉयलेट से निकलकर मोबाइल की टचस्क्रीन को छूते हैं तो संक्रमण का खतरा होता है, और इस तरह हमारा मोबाइल इंफेक्शन का सोर्स बन जाता है.”


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