देश – मोसाद ने कभी मोबाइल तो कभी फोन को ही बना दिया बम, अब्बू की कॉल उठाते ही हमास कमांडर खत्म – #INA

लेबनान में हिज्बुल्लाह लड़ाकों के पेजर्स में हुए सिलसिलेवार धमाकों से जहां आतंकी गुट में बौखलहट मची हुई है, वहीं इजरायल और उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद के गुप्त ऑपरेशन की चर्चा दुनियाभर में हो रही है। मंगलवार को लेबनान के कई शहरों में हिज्बुल्लाह लड़ाकों के पेजर्स को हैक कर उनमें सीरियल ब्लास्ट कराया गया, जिसमें अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि तीन हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हिज्बुल्लाह ने सीधे-सीधे इस घटना के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है और इसका खतरनाक अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है।

उधर, इजरायल ने अभी तक इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। हिज्बुल्लाह ने शायद ही कभी सोचा होगा कि 100 ग्राम वजन वाले पेजर्स में भी दुश्मन धमाका करा सकता है। मोबाइल लोकेशन की ट्रैकिंग होने के खतरों से बचने के लिए ही हिज्बुल्लाह आतंकी 1990 के दशक के पेजर का इस्तेमाल संचार स्थापित करने के लिए कर रहे थे। हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब मोसाद ने अपने दुश्मनों को खाक करने के लिए संचार के उपकरणों को हथियार बनाया हो।

इससे पहले 1972 और 1996 में मोसाद ने इसी तरह संचार के उपकरणों यानी फोन और मोबाइल को ही बम बना दिया था और उसके जरिए अपने दुश्मनों का खात्मा कर दिया था। पहले बात सितंबर 1972 की जब म्यूनिख ओलंपिक में 11 इजरायली खिलाड़ियों की हत्या का बदला फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) से लेने के लिए मोसाद ने एक खौफनाक ऑपरेशन को अंजाम दिया था। तब मोसाद के खुफिया एजेंटों ने पेरिस में PLO के प्रतिनिधि महमूद हमशारी का फोन चालाकी से बदल दिया था। वो तारीख थी 8 दिसंबर। जब महमूद हमशारी ने जैसे ही फोन उठाया, वैसे ही इजरायली टीम ने उस फोन में लगाए गए विस्फोटक में धमाका कर दिया, जिससे हमशारी बुरी तरह जख्मी हो गया। उसकी एक टांग काटनी पड़ी और कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो गई।

इसी तरह के एक और खुफिया ऑपरेशन में मोसाद ने हमास के कमांडर याह्या अय्याश को भी 1996 में मौत के घाट उतार दिया था। अय्याश बम बनाने में माहिर था और दर्जनों इजरायलियों की हत्या का आरोपी था। उसे मोसाद ने मोबाइल बम के जरिए खत्म कर दिया था। मोसाद के एजेंटों ने पहले याह्या अय्याश के ठिकाने तक अपनी पहुंच बनाई फिर मौका देखकर उस तक एक मोटोरोला फोन पहुंचाया, जिसमें 50 ग्राम विस्फोटक छिपा कर रखा गया था। अय्याश बड़ी सावधानी से उस फोन का इस्तेमाल करता था। एक दिन जैसे ही उसके अब्बू (पिता) का फोन आया और उसने कॉल रिसीव किया, मोसाद के एजेंट ने उसमें विस्फोट कर दिया और याह्या अय्याश का खेल खत्म हो गया।

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