देश – यह तो दुर्भाग्यपूर्ण है; न्यायपालिका पर उठाया सवाल तो CBI पर भड़का सुप्रीम कोर्ट – #INA
पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा के मामले में एक याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को फटकार लगाई है। पश्चिम बंगाल में न्यायपालिका पर सवाल उठाने वाली इस याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका फाइल कर 45 केसों को बंगाल से बाहर की अदालत में शिफ्ट करने की मांग की थी। जस्टिस एएस ओका और पंकज मिथल की बेंच ने कहा कि इस तरह से सीबीआई न्यायपालिका कि छवि को धूमिल कर रही है। जानकारी के मुताबिक सीबीआई ने कहा था कि पश्चिम बंगाल की अदालत में सुनवाई के दौरान दुश्मनी अदा करने जैसा व्यवहार किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस आरोप को आपत्तिजनक बताते हुए याचिका वापस लेने का आदेश दिया है।
बेंच ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, याचिका में कहा गया है कि जज गलत तरीके से जमानत दे रहे हैं। आप सभी अदालतों को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं और पक्षपाती बताना चाहते हैं। वहीं आप वहां के जजों की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। यह अस्वीकार्य है। बता दें कि कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई चुनाव के बाद हिंसा की घटनाओं की जांच कर रही है। एजेंसी का कहना है कि राज्य का माहौल ठीक नहीं है। ऐसे में निष्पक्ष सुनवाई के लिए मामलों को प्रदेश से बाहर भेजने की जरूरत है।
14 फरवरी को एक सिंगल जज बेंच ने इन मामलों की सुनवाई पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सीबीआई को अवमानना की कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है। कोर्ट ने कहा, जिस व्यक्ति ने इस याचिका को प्रमाणित किया है उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने के लिए यह मामला पर्याप्त है।
कोर्ट ने कहा कि आखिर एजेंसी की याचिका में कोर्ट के खिलाफ इस तरह की बात कैसे की जा सकती है। कोर्ट ने कहा जज खुद को डिफेंड नहीं कर सकते लेकिन हम आपको इस तरह के आरोप लगाने की भी अनुमति नहीं दे सकते। जिला अदालत के जज यहां अपना तर्क रखने उपस्थित नहीं हो सकते। वहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर इन मामलों को राज्य के बाहर शिफ्ट किया जाता है तो पीड़ितों का क्या होगा। उनके लिए कोर्ट पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। इसके बाद एएसजी राजू ने याचिका वापस लेने का फैसला किया।
बेंच ने अपने आदेश में कहा, याचिका के पैराग्राफ 3 में कहा गया है कि क्यों इन मामलों को राज्य के बाहर शिफ्ट कर देना चाहिए। इसमें पश्चिम बंगाल की सभी अदालतों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं। बार-बार कहा गया है कि अदालतों का माहौल खराब है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीबीआई जैसी एजेंसी इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाए। कोर्ट ने यह भी कहा है कि एजेंसी अपनी आपत्ति जाहिर कर सकती है। सीबीआई ने बीरभूम जिल के मामले का उदाहरण देते हुए कहा था कि यहां ती नआरोपियों को बिना सीबीआई के पक्ष को सुने ही जमानत देदी ई। हालांकि बाद में हाई कोर्ट ने जमानत रद्द कर दी।
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