देश- महाराष्ट्र-झारखंड में तेजी दिखाने वाली BJP यूपी उपचुनाव में क्यों नहीं खोल रही पत्ते, 2024 में लगे झटके का असर अब तक?- #NA

सीएम योगी और जयंत चौधरी

महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित करने में देर नहीं लगाई, लेकिन यूपी उपचुनाव में इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. बीजेपी ने यूपी की नौ सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों के नाम का ऐलान अभी नहीं किया है, जबकि नामांकन खत्म होने में तीन दिन बचे हैं. बसपा से लेकर सपा तक ने अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिए है. ऐसे में सभी की निगाहें बीजेपी और उसके सहयोगी आरएलडी के उम्मीदवारों पर लगी हैं?

यूपी उपचुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव में झटका खाई बीजेपी उपचुनाव में कोई राजनीतिक रिस्क लेने के मूड में नहीं है. यही वजह है वो कि फूंक-फूंक कर कदम रख रही है और सपा के पीडीए फॉर्मूले की काट निकालने की कवायद में है. यूपी बीजेपी की तरफ से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने तीन-तीन संभावित उम्मीदवारों के नाम का पैनल बनाकर भेजा है तो मीरापुर सीट पर कैंडिडेट का नाम आरएलडी को तय करना है.

2024 के लोकसभा चुनाव में सीटें कम आने से जनता में फैले सियासी भ्रम को दूर करने के लिए बीजेपी ने उपचुनाव के जरिए सपा को तगड़ी पटखनी देने की रणनीति बनाई है. इसीलिए बीजेपी 9 विधानसभा सीटों में से 8 सीट पर खुद चुनाव लड़ रही है और एक सीट मीरापुर आरएलडी को दी है. निषाद पार्टी उपचुनाव में दो सीटें मांग रही है, लेकिन बीजेपी इसके लिए राजी नहीं है.

निषाद पार्टी करेगी बीजेपी से डिमांड

निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद मंगलवार को दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर अपनी सीटों की डिमांड रखेंगे. बीजेपी ने उपचुनाव में निषाद पार्टी को एक भी सीट नहीं दी है. माना जा रहा है कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व संजय निषाद को दूर कर उन्हें साथ रखने का रास्ता निकाल सकता है. यूपी बीजेपी की तरफ से आठ सीटों के लिए 24 दावेदारों की लिस्ट शीर्ष नेतृत्व को भेजी गई है, जिसमें हर सीट पर तीन नाम शामिल हैं.

किन नेताओं के नाम भेजे गए

गाजियाबाद सदर सीट से यूपी बीजेपी की तरफ से जो नाम भेजे गए हैं, उनमें संजीव शर्मा, मयंक गोयल और ललित जयसवाल का नाम शामिल है. अलीगढ़ की खैर सीट से भोला दिवाकर, सुरेंद्र दिलेर और मुकेश सूर्यवंशी का नाम रखा गया है. कुंदरकी सीट पर शेफाली सिंह, रामवीर सिंह और मनीष सिंह के नाम भेजे हैं. सीसामऊ सीट पर सुरेश अवस्थी, नीरज चतुर्वेदी और नीतू सिंह के नाम भेजे गए हैं. मंझवा सीट पर सुचिस्मिता मौर्या, सीएल बिंद और उत्तर मौर्य का नाम भेजा है.

फूलपुर सीट से अनिरुद्ध पटेल, दीपक पटेल और कविता पटेल तो कटेहरी सीट पर अवधेश द्विवेदी, धर्मराज निषाद और अजीत सिंह का नाम शामिल है. मैनपुरी की करहल सीट पर संघमित्रा मौर्य, अनुजेश प्रताप सिंह और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल की बेटी के नाम की चर्चा है.

बीजेपी ने बनाई खास रणनीति

बीजेपी नेतृत्व की पूरी कोशिश है कि उपचुनाव में शत-प्रतिशत परिणाम बीजेपी के ही पक्ष में आए. इसलिए पार्टी ने खास रणनीति बनाई है. विधानसभा चुनाव वाले राज्यों के लिए प्रत्याशी तय करने के लिए हुई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में यूपी उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों के नाम की चर्चा हो चुकी है, लेकिन फाइनल मुहर लगने से पहले पार्टी हर पहलू को बरीकी से देख लेना चाहती है, क्योंकि उपचुनाव के नतीजों का असर 2027 के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा. इसीलिए बीजेपी कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रही.

जातीय समीकरण साधने की कोशिश

उत्तर प्रदेश उपचुनाव में सपा ने पीडीए का दांव चला है. सपा के फार्मूले को काउंटर करने के लिए बीजेपी हर सीट पर जातीय समीकरण को साधने का दांव चल रही है. माना जा रहा है कि बीजेपी इसी आधार पर ही प्रत्याशी तय करेगी, जिसमें पिछड़ों और दलित समाज को ही ज्यादा मौका मिलने की संभावना है. यूपी बीजेपी के द्वारा भेजे गए नामों को भी देखें तो ज्यादातर ओबीसी और अतिपिछड़े वर्ग के नाम है. इसी तरह से आरएलडी भी मीरापुर सीट पर जातीय समीकरण साधने के चलते ही उम्मीदवार के नाम को अभी तक फाइनल नहीं कर सकी है.

RLD के लिए मीरापुर अहम

मीरापुर विधानसभा सीट पर मुस्लिम, जाट और गुर्जर वोटर निर्णायक भूमिका में है. आरएलडी बहुत ठोक-बजाकर उम्मीदवार उतारने की फिराक में है. इसके लिए पार्टी साफ-सुथरे चेहरे के साथ-साथ जातिगत समीकरण भी देख रही है. 2022 का विधानसभा चुनाव आरएलडी ने सपा के साथ गठबंधन में लड़ा था जबकि इस बार बीजेपी के साथ गठबंधन में है और केंद्र और प्रदेश की सरकार में भी शामिल है. ऐसे में आरएलडी के लिए यह सीट काफी अहम हो गई है. बसपा से आए पूर्व सांसद मूलक नागर और मौजूदा सांसद चंदन चौहान अपने-अपने परिवार के सदस्यों को मीरापुर सीट से चुनाव लड़ाना चाहते हैं. देखना है कि जयंत चौधरी किसके नाम पर मुहर लगाते हैं?

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