देश – Conversion of Religion: आरक्षण के लिए धर्म परिवर्तन संविधान के साथ धोखाधड़ी, 8 बिंदुओं में समझें सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसले #INA
Conversion of Religion: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण का लाभ लेने के लिए बिना सच्ची आस्था के धर्म परिवर्तन करना संविधान के साथ धोखाधड़ी के समान है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्म परिवर्तन और आरक्षण का ऐसा दुरुपयोग न केवल संविधान के साथ धोखाधड़ी है बल्कि सामाजिक न्याय की मूल भावना को भी ठेस पहुंचाता है. इस फैसले ने आरक्षण प्रणाली के सामाजिक उद्देश्य को बनाए रखने और इसे गलत तरीके से उपयोग करने से रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया.
- सामाजिक मूल्यों पर प्रभाव
कोर्ट ने माना कि इस तरह के कृत्य से आरक्षण नीति के सामाजिक मूल्य और लोकाचार को नुकसान पहुंचेगा. - मद्रास हाईकोर्ट के फैसले की पुष्टि
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के 24 जनवरी 2023 के आदेश को बरकरार रखते हुए अपीलकर्ता सी सेल्वरानी की याचिका खारिज कर दी. - संविधान का अनुच्छेद 25
पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 25 हर नागरिक को अपनी पसंद का धर्म अपनाने का अधिकार देता है लेकिन अगर धर्म परिवर्तन का मकसद केवल आरक्षण का लाभ उठाना हो तो यह अस्वीकार्य है. - धार्मिक आस्था पर दोहरा दावा
कोर्ट ने पाया कि अपीलकर्ता नियमित रूप से चर्च जाती है और ईसाई धर्म का पालन करती है जबकि वह अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र पाने के लिए हिंदू होने का दावा कर रही है. - धर्म परिवर्तन का प्रमाण
अपीलकर्ता के हिंदू धर्म अपनाने का दावा विवादास्पद था. उसने कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं की और न ही कोई धार्मिक समारोह कराया जिससे उसके पुनः धर्म परिवर्तन की पुष्टि हो. - आरक्षण के मूल उद्देश्य के खिलाफ
कोर्ट ने कहा कि बपतिस्मा के बाद खुद को हिंदू बताने और अनुसूचित जाति का दर्जा मांगना आरक्षण के मूल उद्देश्य के खिलाफ है और यह संविधान के साथ धोखाधड़ी होगी. - बयान को अविश्वसनीय बताया
अपीलकर्ता ने कहा कि उसकी मां ने शादी के बाद हिंदू धर्म अपनाया लेकिन कोर्ट ने इसे अविश्वसनीय बताया क्योंकि अपीलकर्ता का बपतिस्मा हुआ और वह नियमित रूप से चर्च जाती रही. - माता-पिता का विवाह ईसाई एक्ट के तहत पंजीकृत
अदालत ने पाया कि अपीलकर्ता के माता-पिता का विवाह भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872 के तहत पंजीकृत था जो यह स्पष्ट करता है कि अपीलकर्ता का परिवार ईसाई धर्म का पालन करता रहा.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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