J&K – डोडा-कठुआ तक फैला नेटवर्क: बसंतगढ़ फिर बन रहा आतंकवाद का गढ़, 2006 के नरसंहार के बाद से हो चुकीं कई घटनाएं – #NA

रामनगर तहसील का पहाड़ी व दूर-दराज क्षेत्र बसंतगढ़ फिर आतंकवाद की गतिविधियों का गढ़ बन रहा है। वर्ष 2006 में आतंकियों ने यहां के लोलान गला में 13 लोगों के नरसंहार की घटना को अंजाम दिया था। तब से यहां साल दर साल कई घटनाएं हो चुकी हैं।

Trending Videos

वर्ष 1996 में रामनगर तहसील के क्षेत्रों में आतंक चरम पर रहा है। सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई के बाद आतंकियों ने अपना ठिकाना बदल लिया। बसंतगढ़ की सीमा से लगते भद्रवाह, डोडा, किश्तवाड़ और कठुआ जिले के बनी बसोहली, बिलावर जैसे क्षेत्रों को आतंकियों ने आने-जाने के रूट के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। एक बार फिर से इन क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की बड़ी संख्या में तैनाती के बाद आतंकियों ने पुराने रूट बसंतगढ़ को सक्रिय कर दिया है।


बसंतगढ़ में वर्ष 2000 से आतंकी गतिविधियां बढ़ने लगीं। लोअर पुनारा में आतंकियों ने एक वीडीजी और एक एसपीओ की गोली मारकर हत्या की थी। इस मुठभेड़ में एक आतंकवादी भी मारा गया था। सोनीटॉप खनेड़ में 2004 में आतंकवादी चार वीडीजी सदस्यों के हथियार लेकर फरार हो गए थे। 2006 के नरसंहार के बाद काफी सालों तक बसतंगढ़ में शांति रही लेकिन ओवर ग्राउंड वर्करों से जुड़ी घटनाएं जरूर देखने को मिलीं। दिसंबर 2023 में खंडारा टॉप में गैस सिलेंडर में लगाई गई इम्प्रोमाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) बरामद की गई। इसके बाद सुरक्षाबलों ने खंडारा टॉप से आतंकी ठिकाना ध्वस्त कर तिरपाल और कुछ खाने-पीने का सामान बरामद किया।


सलाथिया और दोमेल चौक पर धमाकों के तार भी बसंतगढ़ से जुड़े
उधमपुर के सलाथिया चौक और दोमेल चौक पर हुए धमाकों के भी तार बसंतगढ़ से जुड़े मिले। 28 अप्रैल 2024 की सुबह बसंतगढ़ के चोचरू गला हाइट्स पर आतंकी मुठभेड़ में एक वीडीजी सदस्य मारा गया। उसके बाद तीन महीने में आतंकी गतिविधियां बढ़ती चली गईं। हालांकि इस दौरान बसंतगढ़ में किसी तरह की बड़ी मुठभेड़ नहीं हुई परन्तु जिले की सीमा से सटे कठुआ, भद्रवाह और पठानकोट मार्ग सहित डोडा में आतंकियों व सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ जरूर हुई। इसमें कई जवानों ने बलिदान दिया। जाहिर है कि आतंकियों ने बसंतगढ़ को अपना नया ठइकाना बना लिया है। क्षेत्र के ऊपरी एवं जंगली इलाकों से ये आतंकवादी समूह साथ सटे जिलों में भी अपनी गतिविधियों को अंजाम देकर अपना नेटवर्क चल रहे हैं।


28 अप्रैल को हुई घटना के बाद एडीजीपी ने भी क्षेत्र में दो समूहों में लगभग दर्जन से भी अधिक आतंकियों के मौजूद होने की बात कही थी। इसके बाद से बसंतगढ़ में लगातार तलाशी अभियान चलाए जा रहे थे। कई बार पुलिस को आतंकी गतिविधियों को लेकर इनपुट भी मिले। कुछ दिन पहले सांग पोस्ट पर संदिग्ध गतिविधि भी देखी गई थी।


जंगलों में गुज्जर-बकरवालों के डेरों पर भी सुरक्षाबलों की नजर
सूत्रों के अनुसार बसंतगढ़ में वारदात को अंजाम देने के बाद आतंकी विभिन्न गुट बनाकर डोडा एवं कठुआ में भी वारदात को अंजाम दे रहे हैं। घटना के बाद ये लोग घने जंगलों में छिप जाते हैं। इसमें कुछ स्थानीय मददगार भी शामिल हैं। बसंतगढ़ से ही डोडा एवं कठुआ जिलों में जाने के लिए जंगल का रूट है। आतंकियों की तलाश में पुलिस और सुरक्षाबल कई लोगों से पूछताछ कर रहे हैं। बसंतगढ़ में वीडीजी की मौत में शामिल आतंकियों के स्केच भी जारी किए गए हैं। पूर्व आतंकियों से भी पूछताछ की जा रही है। इसके अलावा गर्मियों के चलते बसंतगढ़ में अपने मवेशियों के साथ ऊपरी इलाकों में डेरा जमाकर बैठे गुज्जर-बकरवाल समुदाय के लोगों पर भी नजर रखी जा रही है।

यह पोस्ट सबसे पहले अमर उजाला डॉट कोम पर प्रकाशित हुआ हमने अमर उजाला डॉट कोम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में अमर उजाला डॉट कोम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on live amar ujala.Source link

Back to top button