J&K – जम्मू-कश्मीर: 32 साल में पहली बार बिना गोलाबारी और आतंकी वारदात के हुआ चुनाव, खलल डालने वालों ने भी चुनाव लड़ा – #NA
जम्मू-कश्मीर में पूरे विधानसभा चुनाव में एक भी आतंकी वारदात नहीं हुई। ऐसा दावा चुनाव आयोग ने भी किया है। यह दावा यहां आंकड़ों में भी खड़ा नजर आता है, वहीं रक्षा विशेषज्ञ इसकी दो बड़ी वजह मानते हैं। इसमें पहली चुनाव एक पूरी रणनीति से कराने और दूसरा चुनाव में खलल डालने वालों का चुनाव में खुद हिस्सा लेना। इससे प्रदेश के 32 वर्ष के इतिहास में पहली बार बिना किसी आतंकी वारदात और पाकिस्तान से गोलाबारी के बिना चुनाव हुआ है। 1996 से लेकर 2014 तक के चुनाव में अलगाववाद और आतंकवाद चुनाव पर भारी रहा है।
जानकारी के अनुसार, वर्ष 1996 के चुनाव में कई आतंकी हमले हुए। कई लोगों की जानें गईं। हालांकि इसका कोई पुख्ता आंकड़ा नहीं है, लेकिन जानकार बताते हैं कि इसमें कई लोगों को मारा गया, जो राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से संबंध रखते थे। इसके बाद जब, 2002 में चुनाव हुआ तो इसमें 700 लोग आतंकी हमलों और हिंसा में मारे गए। इनमें दो राजनीतिक दलों के प्रत्याशी और राजनीतिक दलों के 80 कार्यकर्ता थे। वर्ष 2008 में कश्मीर के अलग-अलग हिस्साें में बहुजन समाज पार्टी, नेकां, पीडीपी और कांग्रेस उम्मीदवारों, वर्करों के घरों व रैलियों में 30 से 40 आतंकी वारदातें हुईं। इनमें पांच से छह लोग मारे गए। वर्ष 2014 के चुनाव में भी कश्मीर में इतनी ही आतंकी वारदातें हुईं। जबकि जम्मू के सांबा और जम्मू बॉर्डर के पार से अगस्त से लेकर दिसंबर, 2014 तक 300 बार संघर्ष विराम तोड़ा गया।
खलल डालने वालों ने भी चुनाव लड़ा
कश्मीर में चुनाव को प्रभावित करने में हमेशा अलगाववादी ही . रहे हैं। चाहे ये आतंकियों के साथ जुड़े हों या फिर पाकिस्तान के साथ। इस बार ये लोग खुद चुनाव का हिस्सा थे। हुर्रियत और जमात-ए इस्लामी चुनाव में खलल डालते थे। इनके पूर्व सदस्यों ने खुद चुनाव लड़ा। इस वजह से कोई हिंसा नहीं हुई। पाकिस्तान में इस समय शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन है। वह अपनी छवि के लिए कोई ऐसी वारदात नहीं करवाना चाहता था। इस सम्मेलन के बीच चुनाव आयोग ने चुनाव कराया, यह एक रणनीति थी।
-राजिंदर जमवाल, रिटायर बिग्रेडियर
आतंकियों को आसपास नहीं फटकने दिया
आतंकियों पर चुनाव से पहले ही सुरक्षा एजेंसियों ने शिकंजा कस दिया था। जो जहां था, उसको वहां से बाहर नहीं आने दिया गया। यह एक बड़ी वजह थी कि शांतिपूर्ण चुनाव हुआ है।
-विजय सागर, रिटायर बिग्रेडियर
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