यूपी – Kolkata Rape Murder Case: फिर एक बार छलका बेबस माता-पिता का दर्द, कहा- मजबूरन बेटी का किया अंतिम संस्कार, पुलिस ने किए पैसे ऑफर #INA

Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना के से लोग पीड़िता के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. इसे लेकर बुधवार की रात कोलकाता शहर में लाइटें बंद कर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान पीड़िता के माता-पिता भी शामिल हुए. बता दें कि पीड़िता के साथ हुई बर्बरता को लेकर अब तक सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय के अलावा किसी की भी गिरफ्तारी नहीं की गई है. जिसे लेकर पीड़िता के माता-पिता लगातार आंदोलन कर रहे हैं. उनका आरोप है कि इस घटना में कई लोग शामिल थे, लेकिन सभी आरोपी अब तक पकड़े नहीं गए हैं. 

लाइटें बंद कर शहर में पीड़िता के लिए विरोध प्रदर्शन

घटना पर पीड़िता के पिता ने कहा कि वह पहले भी बता चुके हैं कि उनकी बेटी के साथ जो हुआ वह सामान्य रेप और हत्या नहीं थी, लेकिन उन्हें मजबूरन अपनी बेटी का आत्मदाह करना पड़ा. वहीं, पीड़िता की मां ने कहा कि वह चाहती हैं कि जिस तरह से उनकी बेटी के साथ जो घटना हुई और उनकी नींद हराम हो गई है, उसी तरह आरोपियों की भी नींद हराम हो जाए.

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मजबूरन किया अंतिम संस्कार

इतना ही नहीं पीड़िता के माता-पिता बार-बार एक ही सवाल दोहरा रहे हैं कि आखिर उनकी बेटी के शव परीक्षण में देरी क्यों की गई? बिना पोस्टमार्टम कराए इसे आत्महत्या क्यों बताया गया था? असामान्य मौत का मामला क्यों नहीं दर्ज कराया गया? पीड़िता के निशुल्क अंतिम संस्कार की व्यवस्था किसके द्वारा की गई थी? ये सारे सवालों का जवाबदेह कौन है, पुलिस या अस्पताल? 

पुलिस ने पैसे किए थे ऑफर

पीड़िता के पिता ने कोलकाता पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें कोलकाता पुलिस ने पैसे ऑफर किए थे. वहीं, पीड़िता के चाचा का कहना है कि जैसे ही हमें 9 अगस्त को घटना की सूचना मिली, हम एक घंटे के अंदर अस्पताल पहुंच गए. बावजूद इसके अंतिम संस्कार होने तक हमें घेरे में रखा गया और उस समय 300-400 पुलिसकर्मियों ने हमें हिरासत में ले रखा था. इन सबके बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन रेप जैसी घटना को लेकर एक अहम बिल पेश किया है. इस बिल को दुष्कर्म विरोधी बिल बताया गया है. जिसका एक ही लक्ष्य है, पीड़ितों को तुरंत न्याय दिलाना. इस बिल के लागू हो जाने के बाद दोषियों को 10 दिन के अंदर फांसी की सजा देने का प्रावधान है. 


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