खबर शहर , बारिश का कहर: रुक-रुक कर हो रही वर्षा से भरभराकर गिरा मकान, मलबे में दबकर बालिका की मौत, परिवार में छाया मातम – INA

जलाली कस्बे के वार्ड संख्या एक में मिट्टी से खड़ी की गई ईंटों की दीवार पर गाटर-पत्थर से बनी छत का एक मंजिला मकान 7 सितंबर दोपहर अचानक भरभराकर गिर गया। इस दौरान कमरे में सो रही बालिका की मलबे में दबकर मौत हो गई, जबकि लाखों रुपए का घरेलू सामान भी बर्बाद हो गया। सूचना पर देर शाम पहुंची राजस्व विभाग की टीम जांच पड़ताल कर वापस लौट गई।

जलाली के मजरा नगला मोड़ (तुरावली) निवासी भूप सिंह का सड़क किनारे एक मंजिला मकान है, जो कि लगभग चार – पांच साल पहले बनाया गया था। मिट्टी के गारे (घोल/लुगदी) से बनाई गई ईंटों की दीवार पर गाटर-पत्थर का पटाव (छत) था। वहीं कुछ हिस्सा खाली था, जहां मवेशी और ट्रैक्टर आदि खड़े होते थे। 7 सितंबर दोपहर डेढ़ बजे घर में जब भूप सिंह की पत्नी राजवती, पुत्रवधु रजनी और नातिन वंशिका पुत्री विष्णु मौजूद थे, तभी पूरा मकान अचानक भरभराकर गिर गया। 

राजवती और रजनी मकान के बाहरी खुले हिस्से में थे, जबकि वंशिका कमरे में सोई हुई थी। मकान के गिरने की तेज आवाज सुनकर मोहल्ले के लोग दहशत में आ गए और घटना स्थल की ओर दौड़ पड़े। आनन-फानन में बालिका को मलबे से बाहर निकाला और निजी वाहन से लेकर अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां डाक्टरों ने बालिका को मृत घोषित कर दिया। 

चेयरमैन फतेह सिंह कुशवाहा की सूचना पर राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंचीं और घटना स्थल का जायजा लिया। इस घटना में भूप सिंह और उनके दोनों बेटों के परिवार का लाखों रुपए का घरेलू सामान बर्बाद हो गया। माता-पिता समेत सभी का रो-रोकर बुरा हाल था। विष्णु की संतानों में मृतका बड़ी थी, जबकि उसका एक वर्षीय छोटा भाई करन भी है।

रुक-रुक कर हो रही बारिश को माना जा रहा है वजह


ग्रामीणों का कहना है की बीते कई दिनों से रुक – रुक कर हो रही बारिश के चलते हादसा हुआ है। मिट्टी के गारे से बनी दीवारों पर प्लास्टर भी नहीं था। जिससे बारिश के कारण दीवार नम रहीं। साथ ही छत पर गाटर – पत्थर के ऊपर केवल मिट्टी डाल रखी थी।

बुखार पीड़ित बालिका की दस मिनट पहले लेकर आई थी दवा, हमेशा के लिए सो गई
बालिका के दादा भूप सिंह का कहना है कि गांव के एक निजी स्कूल के एलकेजी में पढ़ने वाली वंशिका कई दिन से बुखार से पीड़ित थी। घटना से करीब दस मिनट पहले वह दवाई लेकर आई और खाकर सो गई। किसी नही पता था कि वह हमेशा के लिए सो जायेगी।

रात्रि में होता हादसा तो हो सकती थी बड़ी जनहानि
भूप सिंह के इस मकान के बाहरी हिस्से में एक हॉल था, जिसमें आटा चक्की व चारा काटने की मशीन लगी थी। अंदर की ओर कमरे थे। भूप सिंह के साथ इस मकान में 11 लोग रहते थे, जिसमें उनकी पत्नी राजवती, बड़ा बेटा दिनेश उसकी पत्नी विमलेश, तीन बच्चे, छोटा बेटा विष्णु, उसकी पत्नी रजनी और दो बच्चे रहते थे। ग्रामीणों में चर्चा थी कि हादसा उस समय हुआ, जब 11 सदस्यों में से केवल 7 वर्षीय वंशिका अंदर थी। यदि रात्रिकाल में यह हादसा होता तो बहुत बड़ी घटना हो सकती थी।


Credit By Amar Ujala

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