यूपी – रिमांड मजिस्ट्रेट का आरोप: दरोगा कह रहा था…पुलिस ने बड़े-बड़े अफसर ठीक कर दिए, हाईकोर्ट पहुंचा मामला – INA

अलीगढ़ में बन्ना देवी थाने के एक दरोगा द्वारा रिमांड मजिस्ट्रेट पर लगाए गए आरोपों के बाद 18 सितंबर को रिमांड मजिस्ट्रेट ने भी पलटवार करते हुए दरोगा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एसएसपी और सीजेएम को भेजे शिकायती पत्र में मजिस्ट्रेट ने कहा है कि दरोगा ने कोर्ट में अभद्रता की। धमकी देते हुए कहा कि पुलिस ने बड़े बड़े अफसर ठीक कर दिए हैं। एक रिपोर्ट लिखा देंगे तो पता चल जाएगा।

दरोगा और मजिस्ट्रेट के बीच का विवाद अब तूल पकड़ गया है। दरअसल 16 सितंबर की रात को बन्ना देवी थाने का दरोगा सचिन कुमार आत्महत्या करने के लिए रेलवे ट्रैक पर बैठ गया था। सूचना पाकर थाने के इंस्पेक्टर और दरोगा भी वहां पहुंच गए। जब दरोगा से इंस्पेक्टर से पूछा तो उसने बताया कि वह बाइक चोरों की रिमांड लेने के लिए कोर्ट में मजिस्ट्रेट के पास गया था। 

वहां मजिस्ट्रेट ने उसे परेशान किया। उसे धमकाया गया। उनके इस व्यवहार से वह दुखी है और आत्महत्या करने के लिए यहां आया है। सचिन ने मजिस्ट्रेट के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए तहरीर भी दे दी थी। अब 18 सितंबर को रिमांड मजिस्ट्रेट ने दरोगा सचिन पर आरोप लगाए हैं। अफसरों को भेजे पत्र में रिमांड मजिस्ट्रेट ने कहा है कि उपनिरीक्षक सचिन कुमार ने धमकी दी थी। इतना ही नहीं रिमांड प्रपत्र की जांच करे बिना ही रिमांड देने का दवाब तक बनाया था।

दरोगा बोला, पुलिस के पास इतना समय नहीं जो फालतू सूचनाएं जुटाए


पुलिस के पास इतना समय नहीं जो फालतू सूचनाएं जुटाएअलीगढ़। रिमांड मजिस्ट्रेट ने दरोगा पर आरोप लगाया है कि जब मुकदमे से संबंधित सूचनाएं न होने पर दरोगा से पूछा गया तो उनका कहना था कि पुलिस के पास इतना फालतू समय नहीं है जो यह सूचनाएं इकट्ठा करे। पुलिस के पास और भी बहुत सारे काम होते हैं।

दरअसल जब दरोगा द्वारा पेश किए गए रिमांड प्रपत्रों का अवलोकन रिमांड मजिस्ट्रेट द्वारा किया गया तो उसमें कई कमियां पाईं गईं थीं। जिन सूचनाओं का उल्लेख प्रपत्र में होना चाहिए था वह नहीं था। इतना ही नहीं अभियुक्तों की गिरफ्तारी की सूचना उनके परिवार वालों को दी गई या नहीं यह भी प्रपत्र में दर्ज नहीं था। जबकि इसका उल्लेख साफ तौर पर किया जाना चाहिए।

हाईकोर्ट पहुंचा दरोगा-न्यायिक अधिकारी का विवाद
थाना बन्नादेवी में तैनात दरोगा सचिन कुमार और रिमांड मजिस्ट्रेट का विवाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। न्यायाधीश ने पूरी रिपोर्ट क्लब कर ली है। न्यायिक अफसरों से भी पूरी जानकारी की जा रही है।

रिमांड मजिस्ट्रेट द्वारा भेजी गई रिमांड रिपोर्ट मिल गई है। इसकी जांच कराई जा रही है। पूरे प्रकरण की जानकारी जिला जज के संज्ञान में है। अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस मामले में अवगत करा दिया गया है। संपूर्ण जांच के बाद ही साफ होगा और जांच रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई तय की जाएगी। -संजीव सुमन, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक


Credit By Amar Ujala

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