यूपी – हम भूल गए रे हर बात: लंबे डिप्रेशन के कारण जवानी में ही भुलक्कड़ बन रहे लोग, अपनों को भी पहचानने में दिक्कत – INA

यूं तो चीजों को अक्सर भूल जाना आम बात है लेकिन महत्वपूर्ण चीजें भी याद नहीं रहतीं तो यह खतरनाक है। बुजुर्गों में यह बीमारी होती है तो इसे डिमेंशिया कहते हैं। वर्तमान में ऐसे केस मानसिक रोग विशेषज्ञों व न्यूरो सर्जन के पास आए हैं, जिनमें युवावस्था में ही लोगों को भूलने की बीमारी हो गई है।

यह डिमेंशिया का ही एक रूप अल्जाइमर है। लंबे समय तक डिप्रेशन में रहने के कारण लोगों को 60 की उम्र से पहले ही महत्वपूर्ण चीजें भूलने की समस्या हो रही है। स्मृति की नई परत हटने के कारण मरीज नई चीजें भूल जाता है और पुरानी बातें याद रहती हैं। लंबे डिप्रेशन के अलावा दिमाग पर चोट लगना, अनुवाशिंक कारण भी इस बीमारी के खतरे का बढ़ाते हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी में परिवार का साथ किसी इलाज से कम नहीं है। परिवार के लोग मरीज को हौसला दते हैं। चीजों को बार बार याद दिलाने, करीबी लोगों का जिक्र करते रहने से मरीज की स्मरण शक्ति बनी रहती है।


मस्तिष्क में असामान्य प्रोटीन एकत्र होना मुख्य कारण 

मानसिक रोग विशेषज्ञों का कहना है कि मस्तिष्क में असामान्य प्रोटीन एकत्र होना इसका मुख्य कारण है। समय के साथ मरीज की स्थिति खराब होने लगती है। वह अपने माता पिता को याद रखता है लेकिन बच्चों को भूल जाता है। परिवार व दोस्तों को भी याद नहीं रख पाता।

दिल की खराब सेहत, गलत खानपान व कम शारीरिक गतिविधि भी इसका कारण बन सकते हैं। न्यूरो सर्जन डॉ. अभय सिंह के मुताबिक इसे खत्म तो नहीं किया जा सकता लेकिन दवाओं से स्थिति नियंत्रित रहती है।


केस एक: 14 साल से अवसाद में 

आशियाना निवासी एक 56 वर्षीय शिक्षक पत्नी के निधन के बाद पिछले 14 साल से अवसाद में हैं। पहले उन्हें पेन, रजिस्टर रखकर भूलने की समस्या हुई फिर मोबाइल नंबर दिमाग से निकलने लगे। अब स्थिति यह है कि फोन आने पर रिश्तेदारों को भी नहीं पहचानते। डॉक्टर का कहना है कि उनका लंबा डिप्रेशन अल्जाइमर का कारण बन गया है। यदि परिजन शुरुआत में ध्यान देते तो सिर्फ काउंसिलिंग व कुछ दवाओं से उन्हें ठीक किया जा सकता था। 


केस दो: बच्चों की नहीं पहचान पाते 

कैंच की पुलिया निवासी 59 वर्षीय किसान कभी-कभी अपने बच्चों को नहीं पहचान पाते। कभी खुद ही ठीक हो जाते हैं। डॉक्टर को दिखाया तो काउंसिलिंग में पता चला कि भारी कर्ज के कारण जमीन बिकने से वह पिछले 10 साल से तनाव में हैं। अब मानसिक रोग विशेषज्ञ से उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टर का कहना है कि दवाओं से स्थिति को कंट्रोल किया जा रहा है लेकिन परिवार के लोगों को लगातार काउंसिलिंग करनी होगी।


Credit By Amar Ujala

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