यूपी – Hathras: कम नहीं हुआ ईशन नदी में पानी, बरसामई में 21 मकान गिरे, 35 घरों पर लटके ताले – INA

ईशन नदी ने 28 गांवों में कहर ढाया है। खेतों और घरों में पानी भरा हुआ है। बाढ़ में फंसे लोगों का अधिकांश राशन पहले ही भीगकर खराब हो गया था। जो जैसे-तैसे बचाया भी, वह खत्म हो गया और अब खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है। एक और बड़ी मुसीबत ग्रामीणों पर लगातार पानी भरा होने के कारण मकान गिरने से टूट पड़ी है। शनिवार को गांव बरसामई में 21 मकान गिर गए हैं। अन्य 27 गांवों में भी यही स्थिति बनी हुई है। 

बाढ़ के चलते गांव महाराजपुर तो 20 सितंबर को पूरी तरह से खाली हो गया था, गांव नगला बरी, बरसामई, बाड़ी, नगला नरी से भी ग्रामीण 22 सितंबर को पलायन करते नजर आए। बरसामई में भी 35 घरों पर ताले लटके हैं। पुरदिलनगर क्षेत्र के 28 गांवों में 19 सितंबर की रात और भोर में ईशन नदी का पानी गांवों में पहुंचना शुरू हो गया था। लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिला। घरों में पानी भरने के बाद कुछ लोग अपने घर छोड़कर रिश्तेदारों के यहां चले गए तो कुछ ने मवेशियों के साथ पुरदिलनगर में डेरा डाला हुआ है। 

गांव बरसामई में ईशन नदी उफनाने से आबादी के बीच भरा पानी

तीन बीत चुके हैं, लेकिन पानी कम नहीं हुआ है। महाराजपुर निवासी राजेंद्र सिंह ने बताया कि घर का राशन खत्म हो गया है। गांव और आसपास के गांवों में पानी भरा होने के कारण मजदूरी करने भी नहीं जा पा रहे हैं। पशुओं के लिए चारे का भी संकट है। रिश्तेदारों से मदद लेकर पुरदिलनगर से कुछ राशन लेकर आए हैं। इसी गांव के अजब सिंह का भी कहना है कि वह बाढ़ से पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं। 


इन गांवों में पानी भरा होने के कारण बिजली आपूर्ति ठप है। जिन घरों में सोलर पैनल लगे हैं, उनसे ग्रामीण मोबाइल चार्ज कर परिचितों को बाढ़ के हालात की जानकारी दे रहे हैं। बाढ़ से मकान गिरने लगे हैं और बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। जो लोग बीमार हैं, उनको दवा नहीं मिल पा रही है। डीएम और एसडीएम ने बाढ़ प्रभावित कुछ गांवों का भ्रमण किया और मुआवजे का आश्वासन दिया, लेकिन इससे ग्रामीण संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि न तो पानी की निकासी की व्यवस्था हुई है और न ही अन्य कोई सहायता दी गई है। राशन तक नहीं मिल पा रहा है। 
बाढ़ प्रभावित इन गांवों में हैं बुरे हालात
पुरदिल नगर क्षेत्र के नगला बरी जाने वाले रास्ते पर ईशन नदी का पानी भरने से बुग्गी में चारपाई पर राशन का सामान रखकर ले जाते लोग
वर्तमान में गोपालपुर, महाराजपुर, दौकेली, सिहोर, नगला मंधाती, बरसामई, सिंचावली कदीम, रामपुर, सुल्तानपुर, नगला ब्राहमण, नगरिया पट्टी देवरी, सुल्तापुर, रामपुर, देवरी, सुआ, मोहनपुर, नगला मियां, असोई, सिहोरी, गुजरपुर, नगला उदैया आदि गांवों में पानी भरा हुआ है। 

जलकुंभी से अटी है ईशन नदी
ईशन नदी में बाढ़ के हालात 25 साल बाद बने हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पहले जब बाढ़ आई थी, तब भी खेतों और गांवों के रास्तों तक पानी पहुंचा था, घरों में नहीं घुसा था। तीन दिन बाद भी जलस्तर कम न होने की वजह भी ईशन नदी ही है। यह जलकुंभी और मलबे से अटी पड़ी है और पानी . नहीं जा पा रहा है।


Credit By Amar Ujala

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