यूपी- Lal Imli Mill Kanpur: वो मिल जिसने कानपुर को बना दिया ‘पूरब का मैनचेस्टर’, कैसे नाम पड़ा ‘लाल इमली’? – INA
कानपुर यानि एक समय का मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट. इस शहर को यह नाम यहां की औद्योगिक संस्कृति की वजह से दिया गया. बीएसआई, एल्गिन, लाल इमली जैसी मिलों में बनने वाले उत्पाद सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मशहूर थे. खासकर लाल इमली में बनने वाले जाड़ों में इस्तेमाल होने वाले उत्पाद तो गुणवत्ता में भी बेजोड़ थे, लेकिन क्या आपको पता है कि इसका नाम लाल इमली कैसे पड़ा? तो चलिए आपको बताते हैं इसके पीछे की अनोखी कहानी.
कानपुर की लाल इमली का नाम एक स्थानीय पेड़ से जुड़ा हुआ है. लोग बताते हैं कि जिस जगह पर आज लाल इमली है, कभी इस जगह पर एक इमली का पेड़ हुआ करता था. इस पेड़ पर लाल रंग की इमली लगती थी, जबकि सामान्यतः इमली भूरे या काले रंग की होती है. इसी वजह से इस मिल का नाम लाल इमली रखा गया.
इस पेड़ का वैज्ञानिक नाम ‘Tamarindus Indica’ है. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस तरह की लाल इमली ज्यादा देखने को नहीं मिलती है और यही इसकी विशेषता है. लोग बताते हैं कि उस पेड़ की इमली बहुत खट्टी और स्वादिष्ट होती थी.
एक और कथा प्रचलित है नाम के पीछे
लाल इमली का नाम पड़ने के पीछे एक कथा और प्रचलित है. एक अन्य कथा के अनुसार, लाल इमली मिल के संस्थापक ने अपनी फैक्ट्री का नाम अपने पिता की पसंदीदा इमली के नाम पर रखा, जो कि लाल रंग की थी. संस्थापक के पिता को वही इमली पसंद आई थी, जो लाल रंग की थी और इसलिए उन्होंने मिल बनने के बाद इसका नाम भी लाल इमली रख दिया.
‘लाल इमली’ से कानपुर की पहचान
कानपुर की लाल इमली मिल का नाम पड़ने के पीछे की कहानी चाहे जो भी हो, यह नाम आज कानपुर की पहचान बन चुका है और लोग इसे गर्व से कहते हैं. भले ही आज लाल इमली मिल चालू हालत में न हो, लेकिन कानपुर का नाम जब भी लिया जाता है तो उसके साथ लाल इमली का नाम जरूर होता है.
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