खबर आगरा: मियां-बीबी चला रहे थे क्लीनिक, टीम ने मारा छापा, तहरीर के बाद भी छोड़ी झोलाछाप – INA
आगरा। कस्बा पिनाहट के एक मकान में गर्भपात केंद्र चल रहा था। सूचना पर सोमवार को स्वास्थ्य विभाग ने छापा मारा। यहां बाकायदा प्रसव कक्ष से लेकर डिलीवरी टेबिल तक पाई गई। प्रसव और गर्भपात से संबंधित दवाइयां, इंजेक्शन और जांच किट भी मिलीं। विभाग ने अवैध क्लीनिक बंद कराकर संचालिका पुलिस के सुपुर्द की थी। पुलिस ने बाद में उसे छोड़ दिया।स्वास्थ्य विभाग को पिनाहट के राजाखेड़ा रोड पर आरएन क्लीनिक में अवैध रूप से प्रसव और गर्भपात कराए जाने की शिकायतें मिल रही थीं। सूचना पर विभाग की टीम ने सोमवार दोपहर छापा मारा। रामनरेश परिहार के मकान के बाहर क्लीनिक का बोर्ड लगा था। इस पर डा. संगीता जादौन, राजकुमार जादौन लिखा था। बोर्ड पर सभी प्रकार के रोगों का इलाज और हर तरह के आपरेशन की व्यवस्था भी लिखी गई थी। केंद्र पर घुसते ही बड़े हाल में तीन-चार बेड पाए गए। इन पर कोई मरीज भर्ती नहीं मिला। हाल के बाद एक कमरा मिला, इसे लेबर रूम बना रखा था। यही डिलीवरी टेबिल लगी पाई गई। ऊपरी मंजिल पर एक कमरे में डबल बेड डाल रखा था। बेड की तलाशी ली गई तो भारी मात्रा में गर्भावस्था की जांच, प्रसव और गर्भपात में काम आने वाली दवाइयां, इंजेक्शन पाए गए। संचालिका संगीता जादौन किसी तरह की डिग्री आदि नहीं दिखा पाई। इस पर टीम ने इलाकाई पुलिस को बुला लिया। पुलिस तहरीर के आधार पर महिला को अपने साथ ले गई। टीम में नोडल अधिकारी डा. जितेंद्र लवानिया, जिला निरीक्षक जगपाल सिंह चाहर थे।
अवैध क्लीनिक पर प्रसव से संबंधित सामान, दवाएं, इंजेक्शन पकड़े गए हैं। संचालिका के पास कोई चिकित्सीय डिग्री नहीं है। उसे पुलिस को सौंपा गया है। केंद्र को बंद करा दिया गया है। डा. जितेंद्र लवानिया, नोडल अफसर अपंजीकृत अस्पताल ।
प्रसव का पूरा सामान बरामदऊपर वाले कमरे में प्रसव का पूरा सामान भरा पड़ा था। इसमें ग्लूकोज की बोतलें, टांके लगाने का सामान, सुन्न करने की दवाइयां, ग्लिसरीन, धड़कन मापने की मशीन, बीपी की मशीन, वजन मशीन, प्रसव से पहले और बाद में लगने वाले इंजेक्शन बरामद किए गए। यहां से औजार नहीं मिले। टीम नीचे करीब एक घंटे तक पूछताछ करती रही, आशंका है कि इसी बीच किसी ने औजार गायब कर दिए।
मियां-बीबी चला रहे थे क्लीनिकगिरफ्तार महिला संगीता जादौन और उसके पति राजकुमार जादौन मिलकर फर्जी क्लीनिक चला रहे थे। विभाग की फौरी पूछताछ में संगीता के पास किसी तरह की चिकित्सीय डिग्री, डिप्लोमा का पता नहीं चला है। सूत्रों की मानें तो महिला पहले किसी अस्पताल में नर्स थी। डाक्टरों के साथ ओटी में रहने के दौरान प्रसव सीख लिया। बाद में स्वयंभू डाक्टर बन गई। बोर्ड पर भी खुद को डाक्टर लिखवाया।
तहरीर के बाद भी छोड़ी झोलाछापइस मामले में पुलिस की कारगुजारी से हर कोई हैरान है। एसीएमओ डा. जितेंद्र लवानिया ने बताया कि उन्होंने बाकायदा विभाग की ओर से महिला के खिलाफ तहरीर दी थी। इसी आधार पर पुलिस उसे पकड़कर ले गई। इधर पुलिस का कहना है कि इस संबंध में मुकदमा नहीं लिखा गया है। अगर ऐसा था तो पुलिस उसे थाने तक क्यों ले गई। सूत्रों की मानें तो किसी दबाव में उसे छोड़ा गया है। यही कारण है कि जिले में झोलाछापों का आतंक कम नहीं हो रहा। आए दिन गलत इलाज, आपरेशन से लोगों की जान जा रही हैं।
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