Crime- चौकी में कंकाल-दहशत में पुलिस, 3 साल 11 महीने बाद अब मिली राहत; जानें क्या है मामला

चौकी में कंकाल-दहशत में पुलिस, 3 साल 11 महीने बाद अब मिली राहत; जानें क्या है मामला

कानपुर कमिश्नरेट पुलिस के साड थाने की एक चौकी में तैनात पुलिसकर्मियों ने 3 साल 11 महीने बाद अब राहत की सांस ली है. इन पुलिसकर्मियों की सांस चौकी में रखे ताबूत के अंदर एक कंकाल की वजह से अटकी हुई थी. लेकिन सरकारी नौकरी के मोह में वह दहशत के बावजूद यहां अपनी ड्यूटी करने के लिए मजबूर थे. इन तीन सालों में स्थिति यहां तक आ गई थी कि शाम ढलने के बाद लोग भी इस चौकी में आने से भरसक परहेज करते थे.

यही नहीं, इस चौकी में तैनात पुलिसकर्मी भी रात की ड्यूटी फील्ड में करने की योजना बनाते रहते थे. दरअसल 47 महीने पहले 30 सितंबर 2020 को पुलिस को खबर मिली कि साड थाना क्षेत्र के बेटा बुजुर्ग गांव के पास जंगल में किसी ने सुसाइड किया है. इस सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची. उस समय तक शव बुरी तरह से सड़ चुका था. इसलिए काफी प्रयास के बावजूद उसकी पहचान नहीं हो पायी. आखिर में पुलिस ने डीएनए सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिया और शव को पोस्टमार्टम हाउस में रखवाया.

चौकी में ताबूत रखे जाने से थी दहशत

कुछ दिन बाद पोस्टमार्टम हाउस में जगह की कमी बता कर यह कंकाल पुलिस को सौंप दिया गया. अब इस कंकाल की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की हो गई. मजबूरी में पुलिस ने एक ताबूत मंगाकर कंकाल को उसमें रखवा दिया और यह ताबूत चौकी में ही रखवा दी. चौकी के अंदर इस ताबूत रखे होने की वजह से पुलिसकर्मी भी दहशत में रहने लगे. धीरे धीरे यह खबर स्थानीय लोगों तक पहुंची तो आम लोग भी डर की वजह से शाम ढलने के बाद चौकी की ओर आने से परहेज करने लगे.

करीब 4 साल बाद कंकाल को दफनाया

पुलिसकर्मियों की परेशानी को देखते हुए थाना प्रभारी इंस्पेक्टर केपी सिंह ने मामला उच्चाधिकारियों के सामने उठाया और उच्चाधिकारियों के ही आदेश पर इस कंकाल को रिंद नदी के किनारे दफनाया गया है. इस प्रकार अब साड थाने की पुलिस को अब इस कंकाल से मुक्ति मिल गई है. इसी के साथ चौकी के अंदर करीब चार साल से कायम दहशत भी खत्म हो गई है.


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