Crime- Mahalakshmi Case Bengaluru: कातिल ने क्यों किए महालक्ष्मी के 59 टुकड़े? अपने सुसाइड नोट में बताई 23 दिन की कहानी, इस बात से था नाराज
3 सितंबर की वो शाम… कर्नाटक के बेंगलुरु का वायलिकावल इलाका… यहां एक फ्लैट पर 29 साल की सेल्सवूमन महालक्ष्मी की बेरहमी से हत्या कर दी गई. किसी को भी इसकी भनक तक नहीं लगी कि यहां इतनी खौफनाक वारदात हुई है. सब कुछ यूं ही चलता रहा. तभी युवती की मां मीना राणा अचानक एक दिन उसके घर आ पहुंची. बेटी का फोन कई दिन से बंद था. न कोई अता था न पता. मां के साथ महालक्ष्मी की जुड़वा बहन भी वहां आई. 21 सितंबर को दोनों ने जैसे ही महालक्ष्मी का फ्लैट खोला, उनके होश उड़ गए.
कमरे में खून धब्बे, छोटे-छोटे मांस के टुकड़े और सामान बिखरा पड़ा था. बदबू इतनी कि वहां खड़ा रह पाना भी मुश्किल हो रहा था. दोनों ने देखा कि खून के धब्बे फ्रिज के पास जाकर खत्म हो रहे हैं. मां फ्रिज के पास गईं. उन्होंने जैसे ही फ्रिज का दरवाजा खोला तो बस एक चीख सी निकली. अंदर 30 से 40 टुकड़े इंसानी लाश के थे. नीचे महालक्ष्मी का कटा हुआ सिर था. मां की चीख सुन वहां और भी कई लोग आ पहुंचे. तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी गई.
महालक्ष्मी के घर के बाहर मानो भीड़ ही भीड़ एकत्रित हो गई. तभी पुलिस वहां पहुंची. पुलिस खुद उस कमरे में खड़ी नहीं हो पा रही थी. बदबू ही इतनी ज्यादा थी. फोरेंसिक टीम को जांच के लिए बुलाया गया. वो लोग भी इस विभत्स दृश्य को देख मानो सहम से गए. मदद के लिए पोस्टमार्टम हाउस से कुछ लोगों को बुलाया गया. शव के कुल 59 टुकड़े पुलिस को मिले. मौके से सबूतों को एकत्रित किया गया. फिर शुरू हुई पुलिस इन्वेस्टिगेशन. कौन था महालक्ष्मी का कातिल? हर किसी को बस यही एक जवाब चाहिए था.
मां मीणा ने पुलिस को बताया- हम लोग मूल रूप से नेपाल के टीकापुर इलाके के रहने वाले हैं. मैं पति चरण सिंह के साथ करीब 35 साल पहले बेंगलुरु शिफ्ट हो गई थी. हम यहां कमाने के लिए आए थे. हमें यहां आकर जुड़वा बेटियां हुईं. नाम रखा महालक्ष्मी और लक्ष्मी. फिर दो बेटे उक्कुम सिंह और नरेश हुए. महालक्ष्मी की शादी फिर नेलमंगला इलाके में रहने वाले हेमंत दास के साथ कर दी गई.
पति हेमंत से हुई अलग
हेमंत मोबाइल रिपेयर की दुकान चलाता है. तब महालक्ष्मी ने भी एक मॉल के ब्यूटी सेंटर में नौकरी करना शुरू कर दिया. दोनों को एक बेटी हुई. लेकिन साल 2023 में महालक्ष्मी और हेमंत के बीच दूरियां आ गईं. दोनों अलग हो गए. महालक्ष्मी फिर वायलिकावल इलाके में आकर रहने लगी. मैं हमेशा 15 से 20 दिन में एक बार महालक्ष्मी से मिलने जरूर आती थी. लेकिन जब उसका फोन बंद हुआ तो हमें टेंशन हो गई. मैं अपनी दूसरी बेटी के साथ उसके घर आई. देखा उसकी तो लाश टुकड़ों में कटी पड़ी है.
पति हेमंत ने क्या बताया?
महालक्ष्मी के पति हेमंत से भी पुलिस ने पूछताछ की. पुलिस को शक था कि कहीं इन सब के पीछे हेमंत का ही हाथ न हो. क्योंकि महालक्ष्मी और उसकी आपस में बनती नहीं थी. इसी साल फरवरी के महीने में महालक्ष्मी ने अपने पति हेमंत के खिलाफ मारपीट करने की शिकायत भी दर्ज कराई थी. लेकिन हेमंत ने पुलिस को जो कुछ भी बताया उससे वो भी हैरान रह गए. हेमंत बोला- साहब मेरी पत्नी का अशरफ नाम के हेयर ड्रेसर के साथ अफेयर चल रहा था. अशरफ उसे अक्सर घर लेने और बाइक पर छोड़ने भी आया करता था. उसी ने महालक्ष्मी की हत्या की होगी.
हेमंत से हटकर अशरफ पर फोकस
अब पुलिस का पूरा फोकस अशरफ की तरफ हो गया. पुलिस ने हेमंत की शिकायत के बाद पुलिस ने अशरफ की तलाश की. अशरफ बेंगलुरु में ही था और अपने काम पर था. पुलिस उसे पूछताछ के लिए थाने लाई. वहां उससे लंबी पूछताछ की गई. उसके बयान पिछले 20 दिनों में उसकी लोकेशन, कॉल डिटेल रिकॉर्ड और चश्मदीदों की गवाही के बाद पुलिस ने पूछताछ के बाद अशरफ को छोड़ दिया.
इसके बाद पुलिस ने इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगाला. पता चला कि 2 सिंतबर की रात को दो लोग स्कूटी से उसके घर आए थे. हालांकि, फुटेज में इन दोनों लोगों के चेहरे नहीं दिखे. जांच यूं ही चलती रही. अब ये तो साफ था कि न तो हेमंत और न ही अशरफ का इस हत्याकांड में कोई हाथ था. तो आखिर वो तीसरा शख्स था कौन जिसने इतनी बेरहमी से महालक्ष्मी का कत्ल किया. जांच चलती रही.
पुलिस टीमें दिन रात इस केस की बारीकी से जांच करती रहीं. बाद में उन्हें एक सुराग हाथ लगा. कातिल के भाई का पुलिस का पता चला था. जिस कातिल की पुलिस को तलाश थी, उसका परिवार भी मुंबई में रहता है. कातिल के एक भाई तक बेंगलुरु पुलिस पहुंची. कातिल के भाई ने पुलिस को बताया कि महालक्ष्मी के कत्ल के बाद उसके भाई ने खुद उसे ये बताया था कि उसने महालक्ष्मी की हत्या कर दी है.
मुक्ति रंजन ने किया सुसाइॉड
कातिल का नाम था मुक्ति रंजन रॉय. आखिर कौन था मुक्ति रंजन रॉय और क्यों उसने महालक्ष्मी को मार डाला. इस समय मुक्ति कहां है? इन सभी सवालों को पुलिस जानना चाह रही थी. केस की इन्वेस्टिगेशन और तेज की गई. पता चला मुक्ति रंजन इस समय ओडिशा में है. पुलिस टीम अलर्ट हो गईं. तभी एक चौंकाने वाली खबर सामने आई. 25 सितंबर को पुलिस को भद्रक शहर में मुक्ति रंजन रॉय का शव मिला. मुक्ति ने सुसाइड कर लिया था. आरोपी के पास पुलिस को एक डायरी और डेथ नोट मिला. मुक्ति रंजन फंडी गांव का रहने वाला था और बेंगलुरु में एक कपड़े की दुकान में काम करता था.
डेथ नोट में क्या लिखा?
रंजन ने अपने डेथ नोट में लिखा- मैंने 3 सितंबर को महालक्ष्मी की हत्या कर दी थी. उस दिन मैं महालक्ष्मी के घर गया था. हमारी किसी बात पर बहस हुई. तब महालक्ष्मी ने मुझपर हमला कर दिया. यह बात मुझे पसंद नहीं आई और गुस्से में मैंने उसे मार डाला. फिर मैंने उसकी लाश के 59 टुकड़े किए और उन्हें फ्रिज में डालकर वहां से भाग गया. मैंने कमरा साफ करने की कोशिश भी की थी ताकि लोगों को बदबू न आए. महालक्ष्मी का व्यवहार मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं था. मुझे बाद में हत्या का पछतावा जरूर हुआ. क्योंकि गुस्से में मैंने जो कुछ भी किया वो गलत था. मैं डर गया था इसलिए यहां भाग आया.
एक दिन पहले आया था घर
ओडिशा के फंडी गांव का रहने वाला मुक्ति रंजन पिछले दिन सुबह यानि 24 सितंबर को ही घर आया था. वह कुछ देर घर पर रुका और रात को स्कूटी बाइक से बाहर चला गया. इस बार वह अपना लैपटॉप लेकर चला गया और उसके बाद वह कहां गया किसी को नहीं पता. अगले दिन उसका शव कुलेपाड़ा नामक कब्रिस्तान में लटका हुआ मिला. फिलहाल, मुक्ति रंजन रॉय की आत्महत्या को लेकर दुशिरी थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है. इस तरह बेंगलुरु पुलिस ने महालक्ष्मी हत्याकांड की गुत्थी को सुलझा लिया.
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