Crime- Brijbihari Prasad Murder Full Story: बृजबिहारी प्रसाद की हत्या के बाद मुन्ना शुक्ला के ठिकाने पर लौंडा डांस, पहुंचा था श्रीप्रकाश शुक्ला, मारे जा चुके थे अजीत सरकार
Ajit Sarkar Murder Case: 13 जून 1998 को पटना में बृजबिहारी प्रसाद की हत्या के अगले ही दिन यानी 14 जून की शाम करीब पांच बजे पूर्णिया से दिग्गज कम्युनिष्ठ विधायक अजीत सरकार की हत्या हो गई. वैसे तो इन दोनों ही हत्याकांड में कोई कॉमन इंटेशन नहीं था, लेकिन दोनों वारदात के वक्त एक कॉमन घटना जरूर हुई थी. इन दोनों ही वारदातों को अंजाम देने के बाद बदमाशों ने ‘जय बजरंग बली’ का नारा लगाया था. दावा किया जाता है कि वारदात के बाद इस तरह से नारा श्रीप्रकाश शुक्ला और उसके दोनों साथी अनुज प्रताप सिंह और सुधीर त्रिपाठी लगाते थे.
इस वारदात में मुख्य आरोपी पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव बनाए गए. उनके साथ नाम श्रीप्रकाश शुक्ला और उनके दोनों साथियों समेत कई अन्य लोगों का नाम जोड़ा गया. घटना के बाद लोगों के आक्रोश को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को मामले की जांच सीबीआई से करानी पड़ी. यह अलग बात है कि सीबीआई ने सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट तो दाखिल कर दी, लेकिन कोर्ट में जिरह के दौरान यह चार्जशीट टिक नहीं पायी और सभी आरोपी सबूतों के अभाव में हाईकोर्ट से बरी हो गए. फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
Sriprakash Shukla: ऐसे हुई अजीत सरकार की हत्या
इस वारदात में श्रीप्रकाश शुक्ला की एंट्री कैसे हुई और वारदात के बाद क्या हुआ? इन सवालों का जवाब जानने से पहले जरूरी है कि ग्राउंड जीरो से घटनाक्रम पर नजर डाल लें. 14 जून की सुबह 11 बजे पूर्णिया के एक गांव में दलित समाज का एक विवाद था. इसी मामले में पंचायत के लिए तत्कालीन विधायक अजीत सरकार अपनी सफेद रंग की एंबेसडर कार से गए थे. उनके साथ ड्राइवर, एक सहयोगी और प्राइवेट गनर भी थे. उस दिन उनका सरकारी गनर छुट्टी पर था.शाम को पांच बजे अजीत सरकार जब अपने गांव वापस लौटे, उस समय बूंदाबादी हो रही थी. बिजली भी तड़क रही थी.
Munna Shukla: बाइक से आए थे तीन बदमाश
घटना के चश्मदीद सुभाष के मुताबिक वह घटना स्थल से महज 50 मीटर की दूरी पर थे. अचानक से तड़-तड़ की आवाज आने लगी. पहले तो उन्हें लगा कि बादल गरज रहे हैं, लेकिन उन्होंने अजीत सरकार की चीख सुनी तो वह दौड़ कर मौके पर पहुंचे. इतने में तीनों बाइक सवार वहां से निकल गए. सुभाष के मुताबिक यह वारदात अजीत सरकार का घर से महज 200 मीटर की दूरी पर हुआ. उस समय अजीत सरकार की कार को ओवरटेक कर एक बुलेट सवार आगे आया और उन्हें हाथ देकर रूकने का इशारा किया. ड्राइवर ने गाड़ी रोकी ही थी कि पीछे से यामाहा बाइक पर सवार दो लोग आ गए और अजीत सरकार के ऊपर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी.
Ajit Sarkar Murder: अजीत सरकार को लगीं थी 46 गोलियां
इस वारदात में कुल 107 गोलियां चली थीं. इसमें 46 गोलियां अजीत सरकार को लगीं, वहीं बाकी गोलियां उनके ड्राइवर और सहयोगी को लगी. कुछ गोलियां कार की बॉडी पर भी लगीं. इस घटना में उनके गनर को खरोंच तक नहीं आई. उल्लेखनीय है कि अजीत सरकार अलग तरह की राजनीति करते थे. इसकी वजह से कई जमींदारों और राजनीतिक लोगों की आंख में खटक रहे थे. इसलिए उन्हें रास्ते से हटाने की प्लानिंग करीब तीन महीने पहले से चल रही थी. अड़चन यह थी कि कोई ढंग का शूटर नहीं मिल रहा था.
तनाव में आ गई थी बिहार सरकार
कहा जाता है कि सूरजभान के जरिए वारदात के मास्टर माइंड को पता चला कि श्रीप्रकाश शुक्ला पटना आने वाला है तो आनन फानन में उसे सुपारी दी गई और इस वारदात को अंजाम दिया गया. अब आगे की कहानी सुनिए. पटना में बृजबिहारी प्रसाद और पूर्णिया में अजीत सरकार की हत्या के बाद बिहार सरकार तनाव में आ गई थी. पुलिस पर आरोपियों की धरपकड़ के लिए दबाव बढ़ गया था. राज्यपाल के जरिए केंद्र सरकार ने सरकार पर इतना दबाव बना दिया था कि मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तो दूर, खुद राजनीति के तीरंदाज लालू यादव भी नहीं समझ पा रहे थे कि हालात को कैसे कंट्रोल किया जाए.
CBI Investigation: सीबीआई की चार्जशीट में पुष्टि
ऐसे वह खुद पुलिस से पल पल की रिपोर्ट ले रहे थ्ज्ञे और आगे के लिए निर्देश दे रहे थे. इस सबके बीच बिहार के वैशाली में मुन्ना शुक्ला के ठिकाने पर जश्न का आयोजन किया गया था. एक तरफ दावत हो रही थी तो वहीं, आर्केस्ट्रा भी चल रहा था. इसमें सबसे आगे बैठे थे श्रीप्रकाश शुक्ला और मुन्ना शुक्ला. वहीं पास में ही सुधीर त्रिपाठी और अनुज प्रताप सिंह भी अपने हाथों में हथियार लेकर बैठे थे और जश्न का आनंद ले रहे थे. इस आयोजन की पुष्टि सीबीआई ने भी अपनी चार्जशीट में किया है. लिखा है कि यह आयोजन बृजबिहारी प्रसाद और अजीत सरकार की हत्या की खुशी में किया गया था.
मुन्ना शुक्ला को आजीवन कारावास
बृजबिहारी हत्याकांड में आज यानी गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वारदात के मास्टर माइंड कहे जा रहे सूरजभान सिंह समेत अन्य को बरी कर दिया है. वहीं मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
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